संदर्भ
हाल ही में, हिमालय में सामान्य रूप से पाई जाने वाली जड़ी-बूटी ‘हिमालयन ट्रिलियम’ (ट्रिलियम गोवैनियम) को अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संगठन (IUCN) द्वारा संकटग्रस्त (Endangered) घोषित किया गया है।
हिमालयन ट्रिलियम
- यह पौधा समुद्र तल से 2,400-4,000 मीटर की ऊँचाई पर हिमालय के समशीतोष्ण और उप-अल्पाइन क्षेत्रों में पाया जाता है। भारत में यह केवल चार राज्यों- हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, सिक्किम और उत्तराखंड में पाया जाता है। इसके अतिरिक्त यह भूटान, नेपाल, चीन, अफगानिस्तान और पाकिस्तान में भी पाया जाता है।
- इसे ‘नागचत्री’ के नाम से भी जाना जाता है। यह जड़ी-बूटी 15-20 सेमी. की ऊँचाई तक बढ़ती है।अपने बाज़ार मूल्य में वृद्धि के बाद अब यह तस्करों के लिये एक आसान लक्ष्य बन गया है।
उपयोग
- इसका उपयोगघाव, त्वचा संबंधी रोग, सूज़न, सेप्सिस तथा यौन विकारों जैसे रोगों के उपचार के लिये पारंपरिक चिकित्सा के रूप में किया गया है।
- हाल के प्रयोगों से पता चला है कि यह जड़ी-बूटी प्रकंद (Rhizome) स्टेरॉइडल सैपोनिन (Steroidal Saponins) का एक स्रोत है, जिसे कैंसर रोधी और एंटी-एजिंग एजेंट के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।
- पिछले कुछ वर्षों में यह पौधा अपनी उच्च औषधीय गुणवत्ता के कारण हिमालयी क्षेत्र के सबसे अधिक वाणिज्यिक कारोबार वाले पौधों में से एक बन गया है।