DRDO ने सियाचिन और लद्दाख जैसे भीषण ठंडे इलाकों में तैनात सैनिकों के लिए नई 'हिमकवच' यूनिफॉर्म लॉन्च की है।
यह यूनिफॉर्म -60°C तक के तापमान में प्रभावी है और इसे मॉड्यूलर डिजाइन में तैयार किया गया है।
हिमकवच
मल्टी-लेयर सिस्टम - गर्मी बनाए रखने और आराम के लिए इन्सुलेटेड लेयर।
मौसम के अनुकूल - जरूरत के अनुसार लेयर जोड़ या हटा सकते हैं।
सांस लेने योग्य और हल्का - बेहतर सुविधा और कार्यक्षमता।
ECWCS से एडवांस
पहले इस्तेमाल होने वाले ECWCS सिस्टम की तुलना में हिमकवच अधिक इन्सुलेशन और ठंड से सुरक्षा प्रदान करता है, जिससे जवानों का सियाचिन जैसे इलाकों में काम करना आसान होगा।
यह 'मेक इन इंडिया' पहल के तहत विकसित किया गया एक बड़ा कदम है, जो जवानों की क्षमता और सुरक्षा को नई ऊंचाई पर ले जाएगा।
सियाचिन :-
सियाचिन ग्लेशियर
सियाचिन ग्लेशियर दुनिया का सबसे ऊंचा और ठंडा युद्धक्षेत्र है, जहां भारतीय सेना विषम प्राकृतिक परिस्थितियों में भी तैनात रहती है।
यह ग्लेशियर भारत के लद्दाख क्षेत्र में काराकोरम पर्वतमाला का हिस्सा है।
स्थान: लद्दाख, भारत।
लंबाई: लगभग 76 किलोमीटर, यह दुनिया के सबसे लंबे ग्लेशियरों में से एक है।
ऊंचाई: 5,400 मीटर (18,000 फीट) से अधिक।
तापमान: सर्दियों में -50°C से -60°C तक
सियाचिन का सामरिक महत्व
सियाचिन ग्लेशियर भारत, पाकिस्तान और चीन की सीमाओं के समीप स्थित है।
यह भारत-पाकिस्तान सीमा के संवेदनशील क्षेत्रों में आता है।
भारत ने 1984 में ऑपरेशन मेघदूत के तहत इस पर नियंत्रण स्थापित किया।
यह क्षेत्र सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है क्योंकि यह काराकोरम दर्रे के पास स्थित है, जो चीन और पाकिस्तान को जोड़ता है।
भारतीय सैनिक यहां कठिन परिस्थितियों में देश की रक्षा करते हैं।
प्राकृतिक चुनौतियां:
बेहद कम ऑक्सीजन स्तर।
अत्यधिक ठंड और ग्लेशियर की दरारें।
हिमस्खलन और बर्फीले तूफान।
प्रश्न - सियाचिन ग्लेशियर किसपर्वतमाला का हिस्सा है ?