मामल्लपुरम के बारे में
- मामल्लपुरम या महाबलीपुरम (Mahabalipuram) तमिलनाडु राज्य के चेंगलपट्टु ज़िले में स्थित है। यह चेन्नई के दक्षिण में बंगाल की खाड़ी के कोरोमंडल तट पर स्थित एक ऐतिहासिक नगर है।
- इसकी स्थापना 7वीं सदी में पल्लव राजा नरसिंहवर्मन प्रथम ने करवाई थी।
- यह पल्लव साम्राज्य के दो प्रमुख बंदरगाह शहरों में से एक था।
- इस प्राचीन शहर के तट पर सात पगोडा थे। इनमें से केवल एक ही संरक्षित है जिसे ‘शोर मंदिर’ (तटीय शहर) के नाम से जाना जाता है।
- वर्ष 1984 में यूनेस्को ने मामल्लपुरम को उसके सांस्कृतिक महत्व के कारण विश्व धरोहर स्थल घोषित किया। यहाँ पंच रथ, गुफा मंदिर, अर्जुन तपस्या या गंगा अवतरण एवं तट मंदिर जैसे स्मारक हैं।
पंच रथ मंदिर

- यह महाभारत के पांच पांडवों (युधिष्ठिर, भीम, अर्जुन, नकुल एवं सहदेव) एवं उनकी पत्नी द्रौपदी को समर्पित एक वास्तुशिल्प श्रद्धांजलि है।
- ये सभी रथ मंदिर एकाश्म हैं अर्थात एक ही पत्थर को काटकर बनाए गए हैं।
- पंच रथों में धर्मराज रथ सबसे बड़ा है। यह अपनी पिरामिड संरचना एवं जटिल नक्काशी के लिए जाना जाता है।
अर्जुन तपस्या या गंगा अवतरण

- महाबलीपुरम में विशाल गुलाबी ग्रेनाइट पर की गई नक्काशी पवित्र गंगा के पृथ्वी पर अवतरण को दर्शाती है। यह नक्काशी भारतीय संस्कृति में गंगा नदी के महत्व को रेखांकित करते हुए एक पौराणिक कथा को जीवंत करती है।
- इसमें भारतीय महाकाव्यों एवं दंतकथाओं की कहानियों की नक्काशी के माध्यम से नैतिक मूल्यों पर जोर दिया गया है, जो पल्लव कलाकारों की कथात्मक क्षमता को प्रदर्शित करता है।
तट मंदिर (Shore Temple)

- इसमें दो मंदिर हैं, जिसमें से एक शिव को और दूसरा विष्णु को समर्पित है। इसका निर्माण नरसिंहवर्मन द्वितीय (या राजसिम्हा) के शासनकाल में किया गया था।
- यह अपनी जटिल नक्काशी एवं मूर्तियों के साथ पल्लव शैली का विशिष्ट उदाहरण प्रस्तुत करता है। इसका समुद्र तटीय स्थान एक ‘लहरते एंटीना’ का प्रतीक है, जो पल्लवों की सांस्कृतिक एवं धार्मिक शक्ति को दक्षिण-पूर्व एशिया में ‘प्रसारित’ करना चाहता था।