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एच.आई.वी. एवं सिफलिस संचरण रोकथाम प्रमाणन

(प्रारंभिक परीक्षा : राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ, सामान्य विज्ञान)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3 : स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधनों से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित विषय)

संदर्भ 

ट्रैकिंग एवं रोकथाम तंत्र के बावजूद भारत अभी भी माँ से शिशु में एच.आई.वी. एवं सिफलिस संचरण रोकथाम संबंधी विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) प्रमाण पत्र नहीं प्राप्त कर पाया है। यद्यपि ‘बेलीज’, ‘जमैका’ और ‘सेंट विंसेंट एवं ग्रेनेडाइंस’ जैसे तीन छोटे कैरेबियाई देशों ने यह प्रमाण पत्र प्राप्त कर लिया है।  

विश्व स्वास्थ्य संगठन प्रमाणन के बारे में 

  • WHO यह प्रमाण पत्र उन देशों को प्रदान करता है, जिन्होंने निम्नलिखित स्थितियाँ प्राप्त कर ली हो :  
    • माता से शिशु में एच.आई.वी. (HIV) संचरण दर 5% से कम हो गया हो।
    • 90% से अधिक गर्भवती महिलाओं को प्रसवपूर्व देखभाल एवं एंटीरेट्रोवायरल उपचार प्रदान किया जाता हो।
    • प्रति 100,000 नवजात शिशुओं में जन्मजात सिफलिस के 50 से कम नए मामले आते हो।
    • प्रति 100,000 जीवित जन्मों पर 500 से कम एच.आई.वी. मामले की दर प्राप्त की हो। 

क्या है ह्यूमन इम्युनोडेफिशिएंसी वायरस (HIV) 

  • ह्यूमन इम्युनोडेफिशिएंसी वायरस (HIV) संक्रमण शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को प्रभावित करता है। एक्वायर्ड इम्युनोडेफिशिएंसी सिंड्रोम (AIDS) बीमारी इस संक्रमण का सबसे उन्नत चरण है। 
  • अभी तक इसका कोई प्रभावी उपचार नहीं है किंतु उचित चिकित्सा देखभाल से एच.आई.वी. (HIV) को नियंत्रित किया जा सकता है।

भारत में एच.आई.वी. की चिंताजनक स्थिति 

  • राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (NACO) के अनुमान के अनुसार, भारत में वर्ष 2022 में 2.5 मिलियन लोग HIV से पीड़ित है, जिनमें 70,000 बच्चे शामिल हैं। 
  • वर्ष 2022 में एड्स से संबंधित 32,000 मौतें हुईं। हालांकि, एक वर्ष में कुल संख्या में 25% की कमी आई है। 
  • भारत में लगभग 64% गर्भवती महिलाओं को गर्भावस्था या स्तनपान के दौरान अजन्मे बच्चे को एच.आई.वी. संक्रमण से बचाने के लिए दवाइयाँ दी जाती हैं। 
  • सामान्य तौर पर स्तनपान के दौरान माँ से शिशु में वायरस संक्रमण की दर 24.3% होती है। इसे शून्य पर लाया जा सकता है। 

एच.आई.वी. रोकथाम के लिए उपाय 

  • अत्यधिक संक्रामक हेपेटाइटिस बी वायरस (HBV) एवं सिफलिस बैक्टीरिया पर ज्यदा ध्यान देने की आवाश्यकता है जबकि एच.आई.वी. वायरस सबसे कम संक्रामक है।
  • त्वरित रिपोर्टिंग संरचना को निर्मित किया जाना चाहिए जिससे संक्रमित लोगों को स्वास्थ्य सुविधाओं से जोड़ा जा सके। 
  • एच.आई.वी. को नियंत्रित किया जा सकता है और इसके वायरल लोड को एक स्तर पर लाया जा सकता है ताकि मां से बच्चे में इसके संचरण को रोका जा सके। 
    • माँ से बच्चे में संक्रमण को रोकने के लिए डोल्यूटेग्रेविर के साथ टेनोफोविर एवं लैमिवुडिन का प्राथमिक रूप से प्रयोग किया जाना चाहिए। इसे टी.एल.डी. (TLD) (Tenofovir and Lamivudine with Dolutegravir) कहते हैं
    • वायरल लोड (Viral load) से तात्पर्य संक्रमित व्यक्ति के रक्त में वायरस की मात्रा से है। इसे प्रत्येक मिलीलीटर रक्त में वायरल कणों की संख्या के रूप में व्यक्त किया जाता है। उच्च वायरल लोड का अलग-अलग वायरस पर अलग-अलग प्रभाव हो सकता है किंतु प्राय: इसका मतलब है कि संक्रमण बढ़ रहा है।

सिफलिस (Syphilis) के बारे में 

  • सिफलिस एक घातक यौन संचारित संक्रमण (STI) है, जो किसी संक्रमित व्यक्ति के साथ यौन संबंध बनाने या उसके निकट संपर्क से फैल सकता है।
  • उपचार न करने की स्थिति में सिफलिस से अंधापन, हृदय की समस्याएं, न्यूरोलॉजिकल एवं मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं, मस्तिष्क, आंखों, हड्डियों व तंत्रिकाओं को नुकसान पहुंच सकता है और मृत्यु भी हो सकती है। हालाँकि, सिफलिस का इलाज पूरी तरह संभव है।
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