(प्रारंभिक परीक्षा : सामान्य विज्ञान से संबंधित प्रश्न)
(मुख्य परीक्षा : सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 3 - बायो-प्रौद्योगिकी से संबंधित प्रश्न)
संदर्भ
एच.आई.वी. वैश्विक महामारी के प्रारंभ होने के 40 वर्षों के पश्चात्, हाल ही में अमेरिकी फार्मास्यूटिकल एवं बायोटेक कंपनी ‘मॉडर्ना’ (Moderna) द्वारा दो एच.आई.वी. टीकों के लिये मानव परीक्षण की घोषणा की गई है। एच.आई.वी. टीका, इस कंपनी द्वारा विकसित विश्व के प्रथम कोविड टीके की प्रणाली (messengerRNA-mRNA) पर आधारित है।
मानव परीक्षण: क्रियाविधि
- मॉडर्ना, वैक्सीन प्राप्तकर्ताओं पर दो संस्करणों का परीक्षण करेगी। ध्यातव्य है कि यह एच.आई.वी. के विरुद्ध मनुष्यों पर परीक्षण किया जाने वाला पहला एम.आर.एन.ए. टीका है।
- ‘यू.एस. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ’ के चिकित्सीय परीक्षण रजिस्ट्री के अनुसार, प्रथम चरण के परीक्षण में 18-50 आयु वर्ग के मध्य के 56 एच.आई.वी.-नेगेटिव (एच.आई.वी. से प्रभावित नहीं) लोगों को शामिल किया गया है।
- पहले चरण में चार समूह होंगे, जिनमें से दो समूहों को एम.आर.एन.ए. वैक्सीन संस्करणों का मिश्रण दिया जाएगा और अन्य दो समूहों को अन्य वैक्सीन दी जाएगी। इस परीक्षण के दौरान प्रतिभागियों को ज्ञात रहेगा कि उन्हें किस समूह में शामिल किया गया है।
- इस परीक्षण में, ‘अंतर्राष्ट्रीय एड्स वैक्सीन पहल’ (I.A.V.I.) एवं ‘स्क्रिप्स रिसर्च’ द्वारा विकसित एक अन्य वैक्सीन के साथ अंततः दो एम.आर.एन.ए. टीके का उपयोग किया जाएगा।
- अनुमान यह है कि मॉडर्ना के प्रथम टीके में, एक विशिष्ट प्रकार की ‘बी-सेल’ को प्रभावी रूप से बेअसर करने वाली एंटीबॉडी को बनाने की क्षमता है और वहीं दूसरा टीका उन्हें ऐसा करने के लिये प्रोत्साहित करेगा।
- आई.ए.वी.आई. और अन्य द्वारा प्रायोजित अध्ययन के अनुसार, इसके मई 2023 तक चलने की उम्मीद है। साथ ही, इस परीक्षण का प्रथम चरण लगभग 10 महीने तक चलेगा।
एच.आई.वी. से संबंधित आँकड़े
- ‘विश्व स्वास्थ्य संगठन’ (W.H.O.) के अनुसार, लगभग 36.3 मिलियन लोग अभी तक एच.आई.वी. संक्रमित पाए गए हैं, जो वर्ष 2020 के अंत तक बढ़कर 37.7 मिलियन होने की संभावना है।
- अभी तक इस संक्रमण का कोई प्रभावी इलाज उपलब्ध नहीं है। हालाँकि, प्रभावी रोकथाम, निदान और देखभाल की बढ़ती पहुँच के कारण, हाल के वर्षों में एच.आई.वी. संक्रमण एक प्रबंधनीय स्वास्थ्य स्थिति बन गया है।
- भारत के ‘राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन’ की वर्ष 2019 की एच.आई.वी. अनुमान रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2019 में भारत में अनुमानित 23.48 लाख लोग एच.आई.वी. से संक्रमित थे।
- कुल मिलाकर, वर्ष 2000 में भारत में एच.आई.वी. प्रसार की प्रवृत्ति वयस्कों (15-49 आयु वर्ग) में सर्वाधिक थी, जिसके बाद से इसमें लगातार गिरावट दर्ज की गई है और हाल के वर्षों में यह स्थिर हो रही है।
एकमात्र टीका (Elusive Vaccine)
- एच.आई.वी. अपने आवरण में तेज़ी से बदलाव लाता है जिस कारण किसी भी एंटीबॉडी को इसे कवर करने में कठिनाई का सामना करना पड़ता है।
- इसके अतिरिक्त, इसे आवरण प्रोटीन (Envelope Protein), एक शुगर कोटिंग द्वारा कवर किया जाता है, जो प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया की पीढ़ी को प्रभावित करता है।
- एच.आई.वी. की उच्च प्रतिकृति दर (High Replication Rate) के कारण ‘एस्केप म्यूटेंट’ तेज़ी से उत्पन्न होते हैं।
- एंटीबॉडी बनने के बाद जब तक उनका निर्माण होता है, तब तक वायरस तेज़ी से स्वयं को विकसित कर लेता है और एंटीबॉडी, वायरस को बेअसर नहीं कर पाती है।
पूर्व में किये गए प्रयास
- सर्वप्रथम, वायरस के निष्क्रिय रूपों एवं एडिनोवायरस वेक्टर पर आधारित टीकों द्वारा कोशिश की गई, लेकिन इसने वायरस पर प्रभावी कार्य नहीं किया।
- एच.आई.वी. के चिकित्सकीय परीक्षण बहुत सावधानी से संचालित किये गए थे, लेकिन टीकों के सही कार्य नहीं करने पर या बेअसर रहने के कारण इसे रोक दिया गया था। एडिनोवायरस वेक्टरेड वैक्सीन के मामले में संकेत था कि प्रतिभागी सुरक्षित होने की बजाय एच.आई.वी. के प्रति अधिक संवेदनशील थे।
- एच.आई.वी. टीके के विकास में सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण चुनौती, प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया के सटीक सहसंबंधों की पहचान करने में असमर्थता रही है, जिन्हें, एच.आई.वी. और वायरस की विशाल विविधता से बचाने के लिये प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है। एच.आई.वी. आवरण प्रोटीन और सी.डी. 8 टी सेल प्रतिक्रियाओं के विरुद्ध, व्यापक रूप से तटस्थ एंटीबॉडी को प्रेरित करना इसके केंद्र में रहा है।
निवारक और चिकित्सकीय दृष्टिकोण (Preventive & Therapeutic)
- विशेषज्ञों का कहना है कि एच.आई.वी. के टीके के लिये दो तरीकों पर विचार किया जा सकता है - निवारक और चिकित्सकीय।
- निवारक दृष्टिकोण के माध्यम से यह ज्ञात होगा कि कितने लोग टीकाकरण के पश्चात् एच.आई.वी. से संक्रमित हुए हैं अथवा कितने लोगों में टीकाकरण वाले संक्रमण के प्रति प्रतिरोधकता विकसित हुई है।
- वहीं, चिकित्सीय दृष्टिकोण के परिणामस्वरूप एक प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया होगी, जो संक्रमित कोशिकाओं पर हमला करके, आगे प्रतिकृति बनने से रोकेगी।
- टीकाकरण के पश्चात् मानव कोशिकाएँ ऐसी एंटीबॉडी का निर्माण करेंगी, जो वायरस को निष्प्रभावी करने में सक्षम होगी।
- वहीं, एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी संक्रमण को तो नियंत्रित करती है, किंतु इसके पश्चात् किसी व्यक्ति को जीवन भर दवाएँ लेनी पड़ती हैं, साथ ही, इसके विभिन्न दुष्प्रभाव भी परिलक्षित होते हैं। इसके अतिरिक्त, एच.आई.वी. संक्रमण दर में कमी आने के साथ-साथ यह एच.आई.वी. के संपर्क में आने के जोखिम को भी कम करता है। इसके अलावा, यह अन्य निवारक उपायों के उपयोग से एच.आई.वी. संक्रमित लोगों की दर में भी कमी लाता है।
एम.आर.एन.ए. : आगे का रास्ता
- मॉडर्ना का परीक्षण भिन्न प्रकार का है, क्योंकि यह किसी भी वैक्सीन को में शीघ्रता से डिज़ाइन और विकसित करने के लिये प्रौद्योगिकी का उपयोग करने की अनुमति देता है।
- यह कोविड वैक्सीन प्रणाली के समान ही है, जिससे शरीर की कोशिकाएँ प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को सक्रिय करने के लिये वायरस के स्पाइक आवरण को निर्मित करती हैं।
- एच.आई.वी. के संदर्भ में, एम.आर.एन.ए. प्रणाली ने ‘विट्रो और बंदरों’ के अध्ययनों में आशाजनक परिणाम दिखाए हैं, यह मानव पर चिकित्सकीय परीक्षण करने के लिये उपयोगी है।
- इस अध्ययन से उम्मीद है कि यह प्रणाली वायरस के उत्परिवर्तित आर.एन.ए. में बदलाव करने तथा प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को भी मज़बूत करने में सक्षम होगा।
- अब तक एम.आर.एन.ए. टीकों के विकास के लिये बड़ी चुनौती, कुशल प्रौद्योगिकियों की कमी थी। इसे कोविड -19 एम.आर.एन.ए. टीकों के साथ सफलतापूर्वक दूर कर लिया गया है।