(प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक घटनाक्रम) |
चर्चा में क्यों
झारखंड विधानसभा चुनाव से पहले, ‘हो’ जनजातीय भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग की जा रही है।
8वीं अनुसूची में शामिल करने की मांग
- ओडिशा और झारखंड की सरकारें ‘हो’ भाषा को भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग कर रही हैं।
- ‘हो’ भाषी समुदाय भी 8वीं अनुसूची में शामिल किए जाने की अपनी मांगों को पूरा करने के लिए निरंतर प्रयास कर रहे हैं।
- ‘हो’ भाषा को 8वीं अनुसूची में शामिल करने से इसके संरक्षण एवं संवर्धन को बढ़ावा मिलेगा।
‘हो’ भाषा के बारे में
- परिचय: वर्ष 2001 की जनगणना के अनुसार, ‘हो’ भाषा भारत में लगभग 22 लाख लोगों द्वारा बोली जाने वाली ऑस्ट्रो-एशियाटिक भाषा परिवार की एक मुंडा भाषा है।
- प्रमुख समुदाय: यह झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल और असम के हो, मुंडा, कोल्हा और कोल आदिवासी समुदायों द्वारा बोली जाती है।
- लिपि: इसे प्रमुख रूप से वारंग क्षिति लिपि का उपयोग करके लिखा जाता है, इस लिपि का आविष्कार ‘लाको बोदरा’ ने किया था।
- देवनागरी, लैटिन और ओडिया लिपियों का भी लेखन में प्रयोग किया जाता है।
- प्रयोग
- बहुभाषी शिक्षा कार्यक्रम के तहत ओडिशा सरकार ‘हो’ भाषी क्षेत्रों में प्राथमिक शिक्षा प्रदान कर रही है।
- भारतीय विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने ‘हो’ को एक भाषा और साहित्य के रूप में मान्यता दी है।
- ओडिशा और झारखंड में, प्राथमिक स्तर पर कुछ स्कूलों में ‘हो’ भाषा में शिक्षा शुरू की गई है और लगभग 44,000 से अधिक आदिवासी छात्र इस भाषा में अपनी पढ़ाई कर रहे हैं।
यह भी जानें
- वर्तमान में 8वीं अनुसूची में 22 भाषाएँ शामिल हैं- असमिया, बंगाली, गुजरात, हिन्दी, कन्नड़, कश्मीरी, कोंकणी, मलयालम, मणिपुरी, मराठी, नेपाली, ओडिया, पंजाबी, संस्कृत, सिंधी, तमिल, तेलुगु, उर्दू, बोडो, संथाली, मैथिली, डोगरी।
- 8वीं अनुसूची से संबंधित संवैधानिक प्रावधान: संविधान के भाग XVII के अनुच्छेद 344, 344 (1) और 351।
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