प्रारंभिक परीक्षा : पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी |
चर्चा में क्यों
हाल ही में उत्तराखंड के तराई के जंगलों में पहली बार हनी बेजर (honey badger) को कैमरे पर रिकॉर्ड किया गया।
- तराई पूर्वी वन प्रभाग तराई आर्क लैंडस्केप का हिस्सा है, जहाँ बाघ, हाथी और तेंदुए सहित विभिन्न प्रजातियाँ पाई जाती हैं।
हनी बेजर(honey badger) के बारे में
- परिचय: यह एक सर्वाहारी, स्तनधारी निशाचर जीव हैं जो अपने शक्तिशाली, घुमावदार पंजों का उपयोग अपने आश्रय के लिए बिल खोदने के लिए करते हैं।
- अन्य नाम : स्थानीय भाषा में इसे बिज्जू कहा जाता है। इसके अलावा इसे रैटल (Rɑtel) के नाम से भी जाना जाता है।
- वंश और कुल : यह मेलिवोरा वंश और मस्टेलिड कुल का एकमात्र जीवित प्रजाति है।
- विस्तार : यह अफ्रीका,दक्षिण-पश्चिम एशिया और भारतीय उपमहाद्वीप में व्यापक रूप से पाया जाता है।
- संरक्षण : इसे वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम 1972 की अनुसूची I के तहत संरक्षित किया गया है, जो इसे भारत में कानूनी सुरक्षा का उच्चतम स्तर प्रदान करता है।
- IUCN स्थिति: इसे IUCN रेड लिस्ट में सबसे कम चिंता (Least Concern) की सूची में रखा गया है।
- विशेषताएँ :
- यह मुख्य रूप से एक मांसाहारी प्रजाति है।
- मोटी त्वचा, ताकत और क्रूर रक्षात्मक क्षमताओं के कारण यह जंगल का महत्वपूर्ण शिकारी जीव है।
- यह एक कुशल खुदाई करने वाला जीव है, जो 10 मिनट के भीतर कठोर ज़मीन में सुरंग खोदने में सक्षम है।
- यह अपने भोजन का एक बड़ा हिस्सा बिलों से खोदकर प्राप्त करता है। यह प्राय: मधुमक्खी के लार्वा और शहद की तलाश में मधुमक्खियों के छत्तों पर हमला करता है।
- इसके अलावा यह कीड़े , मेंढक, कछुए , छिपकली , कृंतक , सांप, पक्षी और अंडे भी खाता है।
- पर्यावरणीय महत्व : ये छोटे जानवरों एवं कीटों का शिकार करके पारिस्थितिकी संतुलन बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं जिससे आबादी को नियंत्रित करने और फसलों की रक्षा करने में मदद मिलती है।
- इसके अतिरिक्त, हनी बेजर अपने आहार एवं अपशिष्ट के माध्यम से मिट्टी को समृद्ध करके पोषक चक्रण में योगदान करते हैं।
- आवास परिवर्तनों के प्रति उनकी संवेदनशीलता उन्हें पारिस्थितिकी तंत्र के स्वास्थ्य का महत्वपूर्ण संकेतक भी बनाती है।
- जोखिम : मानव अतिक्रमण और आवास क्षति