(प्रारंभिक परीक्षा : भारत का इतिहास - कला एवं संस्कृति; जैव-विविधता)
चर्चा में क्यों
हाल ही में, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कोहिमा (नागालैंड) के निकट किसामा हेरिटेज विलेज में हॉर्नबिल महोत्सव के 23वें संस्करण का उद्घाटन किया। इस दौरान इन्हें सिफी (पारंपरिक नागा टोपी) और अमुला कक्सा (नागा शॉल) देकर सम्मानित किया गया।
हॉर्नबिल महोत्सव
- नागालैंड की समृद्ध संस्कृति एवं जीवन शैली को प्रस्तुत करने वाला यह महोत्सव नागालैंड की लड़ाकू जनजातियों का सबसे बड़ा उत्सव है, जो सामान्यत: दिसंबर माह के प्रथम सप्ताह में मनाया जाता है। इसे 'त्योहारों का त्योहार' भी कहा जाता है।
- यह वार्षिक रूप से मनाया जाने वाला एक दस दिवसीय कार्यक्रम है जिसे पहली बार वर्ष 2000 में आयोजित किया गया था।
- इस महोत्सव के माध्यम से नागालैंड के भोजन, हस्तशिल्प, पारंपरिक गीतों, नृत्यों और रीति-रिवाजों की विविधता को प्रदर्शित किया जाता है।
- इस महोत्सव का नाम ‘हॉर्नबिल’ पक्षी के नाम पर रखा गया है जिसका उल्लेख यहाँ की जनजातियों के लोकगीतों में भी मिलता है। विदित है कि भारत में हॉर्नबिल की 9 प्रजातियाँ पाई जाती हैं जिनमें से ग्रेट हॉर्नबिल सबसे प्रसिद्ध है।
ग्रेट हॉर्नबिल
- ग्रेट हॉर्नबिल पश्चिमी घाट, उत्तराखंड में हिमालय की तलहटी और उत्तर-पूर्व भारत के साथ ही दक्षिण पूर्व एशिया में भी पाए जाते हैं।
- इसे भारतीय वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 की अनुसूची-I तथा अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) की लाल सूची में सुभेद्य (Vulnerable) के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
- विदित है कि पूर्वोत्तर भारत में ग्रेट हॉर्नबिल के अतिरिक्त इस पक्षी की चार अन्य प्रजातियाँ- ‘रुफस-नेक्ड हॉर्नबिल’ (Rufous-Necked Hornbill), ‘रीथ्ड-हॉर्नबिल’ (Wreathed-Hornbill), ‘व्हाइट-थ्रोटेड हॉर्नबिल’ (White-Throated Hornbill) और ‘ओरिएंटल पाइड हॉर्नबिल’ (Oriental Pied Hornbill) भी पाई जाती है।