(प्रारंभिक परीक्षा : राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ; मुख्य परीक्षा: पर्यावरण प्रदूषण, संरक्षण व क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन)
संदर्भ
राष्ट्रीय हरित अधिकरण (National Green Tribunal) ने केरल में वायु प्रदूषण का अध्ययन करने के लिये एक संयुक्त समिति को नियुक्त किया है। इस समिति में पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, केंद्रीय व राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड तथा सी.एस.आई.आर-राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान, चेन्नई के प्रतिनिधि शामिल हैं।
समिति की प्रमुख सिफारिशें
- समिति ने वायु गुणवत्ता में सुधार के लिये ‘फिलिंग स्टेशनों’ पर ईंधनों से उत्पन्न वाष्प को एकत्रित करने (वेपर रिकवरी) की प्रणाली स्थापित करने तथा प्रदूषण शोधन के लिये पुराने डीज़ल वाहनों में संशोधन कर नए कल-पुर्जों के उपयोग (रेट्रोफिटिंग) की सिफारिश की है। इससे पूर्व प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने जेनरेटर के उत्सर्जन नियंत्रण उपकरणों की रेट्रोफिटिंग तथा डीज़ल चालित जनरेटर को गैस-आधारित जनरेटर में परिवर्तित करने का सुझाव दिया था।
- उत्सर्जन मानदंडों का अनुपालन नहीं करने वाली औद्योगिक इकाइयों के विरुद्ध कठोर कार्यवाही करने की सिफारिश की है।
- अन्य सिफारिशों में बैटरी चालित वाहनों को बढ़ावा देना, पुराने डीज़ल वाहनों को चरणबद्ध तरीके से प्रतिबंधित करना, हरित क्षेत्रों को बढ़ावा देना तथा ट्रैफ़िक कॉरिडोर के समीप हरित पट्टी का निर्माण करना आदि शामिल हैं।
समिति से संबंधित अन्य तथ्य
- इस समिति को केरल में, विशेष रूप से तिरुवनंतपुरम, कोल्लम, कोच्चि, अलाप्पुझा, कोझीकोड, त्रिशूर, कासरगोड तथा कन्नूर में परिवेशीय वायु गुणवत्ता के स्तर का आकलन करने के लिये निर्देशित किया गया था।
- समिति ने अपनी रिपोर्ट में ‘फिलिंग स्टेशंस’ को बेंज़ीन उत्सर्जन वाष्पशील कार्बनिक यौगिकों (VOCs) तथा प्रदुषण कणों PM-2.5 सांद्रण का प्रमुख स्रोत बताया है।
- अतः ‘वाष्प संग्रहण प्रणाली’ की स्थापना हवा की गुणवत्ता में सुधार के लिये एक महत्त्वपूर्ण कदम है। इसे शीघ्र ही पेट्रोलियम एवं विस्फोटक सुरक्षा संगठन (PESO) के साथ समन्वय कर लागू किया जाएगा।
वाष्प संग्रहण प्रणाली
- ‘वाष्प संग्रहण प्रणाली’ गैसोलीन तथा अन्य ईंधनों से उत्पन्न वाष्प को एकत्रित करने की प्रक्रिया है। इसका उद्देश्य वायुमंडल में ईंधन वाष्प की मात्रा को नियंत्रित करना है। प्राय: इस प्रक्रिया को फिलिंग स्टेशनों पर विषाक्त व संभाव्य विस्फोटक धुएँ को कम करने के लिये अपनाया जाता है।
- ध्यातव्य है कि पेट्रोल में वाष्पशील कार्बनिक यौगिक (VOCs) होते हैं, जो फ्यूल टैंक से वाष्पित हो जाते हैं। इस प्रक्रिया में पेट्रोल को भूमिगत फ्यूल टैंक या वाहन में भरने के दौरान ईंधन वाष्प टैंक में विस्थापित हो जाएगा।
- दूसरे शव्दों में, यह प्रणाली वाहन में ईंधन भरते समय तथा भूमिगत फ्यूल टैंक में फिलिंग के दौरान उत्सर्जित पेट्रोल वाष्प को एकत्रित करने में मदद करती है। नियंत्रित न किये जाने पर यह वायुमंडल में फैल जाती है तथा हानिकारक प्रभाव उत्पन्न करती है।
- पेट्रोल फिलिंग स्टेशनों से उत्सर्जित ‘वाष्पशील कार्बनिक यौगिक’ वातावरण में ओज़ोन तथा प्रदूषण कणों के गठन में वृद्धि करते हैं, जिससे धुंध (Smog) की स्थिति उत्पन्न होती है। बेंज़ीन के कार्सिनोजेनिक होने के कारण इससे लोगों के लिये संभावित स्वास्थ्य जोखिम बना रहता है।
बेंज़ीन
- बेंज़ीन एक तरल व तीव्र ज्वलनशील रसायन है, जो सामान्य ताप पर रंगहीन या हल्का पीला दिखाई देता है। इसमें एक मीठी गंध होती है। उच्च अस्थिरता के कारण बेंज़ीन वाष्पोत्सर्जन का एक प्रमुख घटक है। यह बहुत तेज़ी से वाष्पित हो जाती है।
- इससे निर्मित वाष्प वायु की तुलना में भारी होती है, जिस कारण इसका निचली सतह में अवरोहण हो सकता है। इसकी कुछ मात्रा ही जल में घुलनशील है, अधिकांशतः यह जल के ऊपर ही प्रवाहित होती रहती है।
- बेंज़ीन का उत्सर्जन मानव गतिविधियों व प्राकृतिक प्रक्रियाओं दोनों से होता है। प्राकृतिक स्रोतों के रूप में ज्वालामुखी तथा वनाग्नि शामिल हैं, जबकि कृत्रिम रूप से यह कच्चे तेल, गैसोलीन तथा सिगरेट के धुएँ आदि से स्वाभाविक रूप से उत्पन्न होता है।
- कुछ उद्योग प्लास्टिक, रेजिंस, नायलॉन व सिंथेटिक फाइबर बनाने के लिये अन्य रसायनों के उत्पादन के लिये बेंज़ीन का उपयोग करते हैं। इसका उपयोग स्नेहक, रबर, रंजक, डिटर्जेंट, औषधि तथा कीटनाशकों के निर्माण में भी किया जाता है।
- बेंजीन उत्सर्जन (एक्सपोज़र) के प्रमुख स्रोत; तंबाकू से उत्पन्न होने वाला धुआँ, ऑटोमोबाइल सर्विस स्टेशन, मोटर वाहनों से उत्सर्जित धुआँ और औद्योगिक उत्सर्जन हैं।
- बेंजीन वाष्पोत्सर्जन तथा निकास प्रक्रिया दोनों में मौजूद होती है। मोटर वाहन कुल बेंज़ीन उत्सर्जन का लगभग 85% उत्सर्जित करते हैं।
- बेंज़ीन का अंतर्ग्रहण तथा अवशोषण दूषित जल के संपर्क तथा त्वचा के माध्यम से भी हो सकता है।