(प्रारम्भिक परीक्षा, सामान्य अध्ययन 3: अंतरिक्षप्रौद्योगिकी)
चर्चा में क्यों ?
इसरो ने 18 दिसंबर, 2024 को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (SDSC) में ह्यूमन-रेटेड लॉन्च व्हीकल मार्क-3 (HLVM3) को असेंबल करना शुरू कर दिया।
ध्यातव्य है कि HLVM3 की असेंबली LVM3-X/CARE मिशन की 10वीं वर्षगांठ के अवसर पर हुआ, जो 18 दिसंबर, 2014 को हुई थी।
HLVM 3 के बारे में
HLVM3 असेंबली के लिए सबसे महत्वपूर्ण विकास LVM3 लॉन्च वाहन की सफल ह्यूमन रेटिंग है।
ह्यूमन रेटिंग में यह सुनिश्चित करने के लिए कठोर परीक्षण शामिल है कि वाहन की प्रणालियाँ मानव अंतरिक्ष उड़ान के लिए आवश्यक सुरक्षा मानकों को पूरा करती हैं।
HLVM3 का उपयोग गगनयान मिशन के तहत भारत की पहली मानवयुक्त अंतरिक्ष उड़ान में किया जाएगा ।
मिशन के लिए S200 मोटर्स, नियंत्रण प्रणाली और एवियोनिक्स जैसे अतिरिक्त घटकों को एकीकृत किया जा रहा है।
विशिष्टताएं
चरण : तीन चरणीय वाहन
ऊंचाई :53 मीटर
वजन :640 टन
पेलोड क्षमता :निम्न पृथ्वी कक्षा (LEO) में 10 टन तक ले जा सकता है ।
क्रू एस्केप सिस्टम (CES) :इसमें CES को शामिल किया गया है, जो चढ़ाई के प्रत्येक चरण के दौरान अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करता है और वाहन के वायुमंडलीय उड़ान व्यवस्था से अलग होने तक क्रियाशील रहता है।
भविष्य की अंतरिक्ष परियोजनाओं के लिए गगनयान का महत्व
गगनयान मिशन न केवल भारत के पहले मानवयुक्त मिशन की ओर एक कदम है, बल्कि यह भारत के भविष्य के अंतरिक्ष स्टेशन, भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (BAS) के लिए एक महत्वपूर्ण अग्रदूत भी है।
गगनयान मिशन से प्राप्त सबक उन्नत अंतरिक्ष प्रौद्योगिकियों और बुनियादी ढांचे के विकास में योगदान देंगे, जो भारत के दीर्घकालिक अंतरिक्ष अन्वेषण लक्ष्यों का समर्थन करेंगे।
आगामी मानवरहित गगनयान मिशन, मानवयुक्त मिशन से पहले सभी प्रमुख प्रणालियों और प्रौद्योगिकियों के लिए परीक्षण स्थल के रूप में काम करेगा।
HLVM3 वाहन का सफल संयोजन और आवश्यक परीक्षणों का पूरा होना भारत की पहली मानव अंतरिक्ष उड़ान की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति को दर्शाता है ।
गगनयान मिशन के बारे में
गगनयान परियोजना में तीन दिवसीय मिशन के लिए तीन सदस्यों के दल को 400 किलोमीटर की कक्षा में प्रक्षेपित करना है और उन्हें सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस लाकर मानव अंतरिक्ष उड़ान क्षमता का प्रदर्शन करने की परिकल्पना की गई है।
इस कार्यक्रम में तीन मानवरहित मिशन और एक मानवयुक्त मिशन शामिल हैं । पहला मानवरहित मिशन वर्ष 2024-2025 के लिए निर्धारित है, जबकि मानवयुक्त मिशन वर्ष 2025-2027 के बीच होने की उम्मीद है।