चर्चा में क्यों
चीन द्वारा पाकिस्तान के लिए निर्मित पहली हंगोर श्रेणी की पनडुब्बी को 26 अप्रैल को वुहान शिपयार्ड में लॉन्च किया गया। इसे पाकिस्तानी नौसेना वर्ष 2028 तक अपने बेड़े में शामिल कर सकती है।
विशेषताएँ
- हंगोर-श्रेणी पनडुब्बी चीन की टाइप 039-A युआन श्रेणी का एक निर्यात संस्करण है।
- इसका नाम सेवामुक्त हो चुकी पीएनएस हंगोर के नाम पर रखा गया है जिसका उपयोग चीन द्वारा भारत के विरुद्ध वर्ष 1971 के युद्ध के दौरान किया गया था।
- यह एक डीजल-इलेक्ट्रिक हमलावर श्रेणी की पनडुब्बी है।
- डीज़ल-इलेक्ट्रिक प्रणोदन के तरीके को संदर्भित करता है जिसमें डीजल इंजन पनडुब्बी को सतह पर या स्नोर्केलिंग के दौरान शक्ति प्रदान करते हैं।
- इसमें डीजल इंजन द्वारा चार्ज की गई बैटरी जहाज को जल के भीतर रहने पर संचालित करने की अनुमति देती है।
- हंगोर-श्रेणी में चार डीजल इंजन होते हैं।
- यह एक वायु स्वतंत्र प्रणोदन प्रणाली से भी सुसज्जित है, जो जल के भीतर पनडुब्बियों की क्षमता में वृद्धि करता है।
- इन पनडुब्बियों को विशेष रूप से टॉरपीडो या आधुनिक समय में क्रूज़ मिसाइलों का उपयोग करके अन्य पनडुब्बियों या सतह के जहाजों को डुबाने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
- यह छह 21 इंच टारपीडो ट्यूब और एंटी-शिप मिसाइलों को लॉन्च करने की क्षमता के साथ ही बाबर -3 सबसोनिक क्रूज़ मिसाइल से लैस है जिसकी मारक क्षमता लगभग 450 किमी. है।
भारत की कलावरी श्रेणी से तुलना
- भारत वर्तमान में छह कलावरी श्रेणी की पनडुब्बियों का संचालन करता है। भारत द्वारा वर्ष 2030 के दशक की शुरुआत तक तीन और पनडुब्बियों को सेवा में शामिल करने की योजना है।
अंतर का आधार
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कलवरी श्रेणी
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हंगोर श्रेणी
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आकार
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67.5 मीटर
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76 मीटर
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भार /विस्थापन
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1775 टन
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2800 टन
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गति
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37 किमी./घंटा
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37 किमी./घंटा
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प्रणोदन प्रणाली
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डीज़ल-इलेक्ट्रिक प्रणोदन
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डीज़ल-इलेक्ट्रिक प्रणोदन
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आयुध के संदर्भ में
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छह 21 इंच जर्मन निर्मित टॉरपीडो और मिसाइल सिस्टम
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अतिरिक्त विशेषता
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वायु स्वतंत्र प्रणोदन
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निर्माणाधीन
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