प्रारंभिक परीक्षा- आपरेशन पोलो, सुंदरलाल आयोग मुख्य परीक्षा – सामान्य अध्ययन, पेपर-1 |
संदर्भ-
- हैदराबाद राज्य पर निजाम का शासन 17 सितंबर, 1948 को समाप्त हुआ। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने 17 सितंबर, 2022 को हैदराबाद मुक्ति के 75 वर्ष पूरे होने पर नई परंपरा शुरू की, कि भारत सरकार का संस्कृति मंत्रालय हर वर्ष 17 सितंबर को ‘तेलंगाना मुक्ति दिवस’ के रूप में मनाएगा। इसके माध्यम से युवा पीढ़ी को इस महान आंदोलन के शहीदों के संघर्ष से अवगत कराया जाएगा।
मुख्य बिंदु-
- केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने 17 सितम्बर,2023 को तेलंगाना में हैदराबाद मुक्ति दिवस समारोह को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित किया।
- केन्द्रीय गृह मंत्री यहां सशस्त्र सीमा बल, इब्राहिमपटनम के पारिवारिक आवासों का वर्चुअल शिलान्यास किया, जो एसएसबी में कार्यरत दक्षिण भारत के जवानों के परिवारों के लिए एक नई शुरूआत है। प्रसिद्ध पत्रकार और शहीद शोएबुल्लाह खान और रामजी गोंड की स्मृति में डाक टिकट भी जारी किए गए हैं।
- इस अवसर पर अपने संबोधन में केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि आज हैदराबाद की मुक्ति के 75 वर्ष पूरे हो रहे हैं और अगर सरदार पटेल ना होते तो हैदराबाद को इतनी जल्दी मुक्ति नहीं मिलती।
- उन्होंने कहा कि वे सरदार पटेल ही थे, जिन्होंने ‘राष्ट्र’ सर्वप्रथम के सिद्धांत को चरितार्थ करते हुए हैदराबाद पुलिस एक्शन की योजना बनाई और बिना रक्तपात के निज़ाम के रज़ाकारों की सेना को आत्मसमर्पण करने पर मजबूर कर दिया था।
- श्री शाह ने कहा कि सरदार पटेल और के. एम. मुंशी की जोड़ी ने तेलंगाना के कर्नाटक के बीदर क्षेत्र और मराठवाड़ा के इस विशाल क्षेत्र को भारत के साथ जोड़ने का काम किया।
- हैदराबाद की मुक्ति के लिए स्वामी रामानंद तीर्थ, एम चिन्नारेड्डी, नरसिम्हा राव, शाइक बंदगी, के वी नरसिम्हा राव, विद्याधर गुरु, पंडित केशवराव कोरटकर, अनाभेरी प्रभाकरी राव, बद्दम येल्ला रेड्डी, रवि नारायण रेड्डी, बुरुगुला रामकृष्ण राव, कलोजी नारायण राव, दिगंबरराव बिंदु, वामनराव नाइक और वाघमारे जैसे अनगिनत लोगों ने अपना सर्वस्व न्यौछावर किया था।
हैदराबाद राज्य के बारे में-
- हैदराबाद राज्य, ब्रिटिश भारत की रियासत थी। इसमें वर्तमान तेलंगाना, मराठवाडा, उत्तर कर्नाटक, विदर्भ के कुछ भाग सम्मिलित थे।
- सन् 1724 से सन् 1948 तक निजाम हैदराबाद राज्य के शासक थे।
- हैदराबाद की जनता की सामूहिक इच्छा-शक्ति ने न केवल इस क्षेत्र को एक स्वतंत्र देश बनाने हेतु निजाम के प्रयासों को निष्फल कर दिया बल्कि इस प्रांत को भारत संघ में मिलाने का भी निश्चय किया।
- जब 15 अगस्त 1947 को पूरा भारत स्वतंत्रता दिवस मना रहा था तो निजाम के राजसी शासन के लोग हैदराबाद राज्य को भारत में मिलाने की मांग करने पर अत्याचार और दमन का सामना कर रहे थे।
- हैदराबाद की जनता ने निजाम और उसकी निजी सेना 'रजाकारों' की क्रूरता से निडर होकर अपनी आजादी के लिए पूरे जोश से लड़ाई जारी रखी।
- भारत के तत्कालीन गृहमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल द्वारा पुलिस कार्रवाई करने हेतु लिए गए साहसिक निर्णय ने निजाम को 17 सितम्बर 1948 को आत्म-समर्पण करने और भारत संघ में सम्मिलित होने पर मजबूर कर दिया।
- इस कार्यवाई को 'आपरेशन पोलो' नाम दिया गया था।
- इसलिए शेष भारत को अंग्रेजी शासन से स्वतंत्रता मिलने के बाद हैदराबाद की जनता को अपनी आजादी के लिए 13 महीने और 2 दिन संघर्ष करना पड़ा था।
- हालाँकि पुलिस कार्रवाई के दौरान जानमाल का नुकसान मामूली था, लेकिन इसके बाद हिंदू नागरिकों और पुलिस द्वारा मुसलमानों की लूटपाट और बदले की भावना से हत्याएं होनी शुरू हो गईं।
- 1951 में हैदराबाद की घटनाओं की जांच के लिए भारत सरकार द्वारा भेजे गए बहु-विश्वास ‘सुंदरलाल आयोग’ ने निष्कर्ष निकाला कि कम से कम 27,000 से 40,000 लोग मारे गए थे।
- 1950 में रियासत भारतीय संघ में हैदराबाद राज्य बन गई।
- 1956 में राज्य को विभाजित कर तेलुगु भाषी क्षेत्रों (तेलंगाना क्षेत्र) को तत्कालीन आंध्र राज्य के साथ मिलाकर आंध्र प्रदेश बनाया गया, जिसकी राजधानी हैदराबाद थी।
- हालाँकि, तेलंगाना के लोगों में असंतोष बढ़ गया 2014 में तेलंगाना का गठन किया गया।
प्रारंभिक परीक्षा के लिए प्रश्न-
प्रश्न- हैदराबाद को कब भारतीय संघ का एक राज्य बनाया गया?
(a) 1948 (b) 1950 (c) 1952 (d) 1956
उत्तर - (b)
मुख्य परीक्षा के लिए प्रश्न-
प्रश्न- हैदराबाद राज्य को भारतीय संघ में सम्मिलित किए जाने की प्रक्रिया पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।
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