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हाइड्रोजन : भविष्य का ईंधन और पर्यावरण का साथी

(प्रारम्भिक परीक्षा: आर्थिक और सामाजिक विकास) (मुख्य परीक्षा: सामान्य अध्ययन, प्रश्नपत्र- 3: बुनयादी ढाँचा- ऊर्जा, पर्यावरण, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी) 

पृष्ठभूमि

  • हाल ही में एन.टी.पी.सी. लिमिटेड की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कम्पनी एन.टी.पी.सी. विद्युत् निगम लिमिटेड द्वारा हाइड्रोजन ईंधन सेल आधारित इलेक्ट्रिक बसों और कारों के लिये ग्लोबल एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट आमंत्रित किया गया है। इन बस एवं कारों का उपयोग दिल्ली तथा लेह में किया जाएगा।
  • हाइड्रोजन ईंधन आधारित वाहनों की खरीद से सम्बंधित यह देश की पहली परियोजना है।

महत्त्वपूर्ण तथ्य

  • राष्ट्रीय ताप विद्युत निगम लिमिटेड (NTPC LTD)  भारत की सबसे बड़ी विद्युत उत्पादक कम्पनी है, जिसे महारत्न कम्पनी का दर्जा (इस दर्जे की प्राप्ति से कम्पनी की निवेश एवं प्रबंधन सम्बंधी शक्तियों में स्वायत्तता बढ़ जाती है) प्राप्त है।
  • एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट (EOI) किसी बहु-चरण निविदा का पहला चरण होता है, जिसमें भावी क्रेता द्वारा एक समझौता पत्र साझा किया जाता है, जो किसी वस्तु, व्यवसाय या सेवा के खरीदे जाने से सम्बंधित होता है।
  • हाइड्रोजन एक गंधहीन, रंगहीन एवं स्वाधीन गैसीय द्रव है। यह आवर्त सारणी में प्रथम स्थान पर आता है। सामान्यतः इससे दो परमाणुओं (H2) से मिलकर एक अणु बनता है। यह सबसे हल्का तत्त्व है, इसका घनत्व 0.09 ग्राम प्रति लीटर होता है। इसकी परमाणु संख्या 1, संकेत (H) तथा परमाणु भार 1.008  होता है। हाइड्रोजन अत्यधिक कम ताप पर ठोस या द्रव में परिवर्तित हो जाता है। द्रव हाइड्रोजन 253°C पर उबलता है तथा ठोस इड्रोजन 258°C पर पिघलता है।

हाइड्रोजन ईंधन सेल तकनीक

  • यह तकनीक हाइड्रोजन और ऑक्सीजन का प्रयोग करके रासायनिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करती है।
  • चूँकि वायुमंडल में ऑक्सीजन आसानी से उपलब्ध है, इसलिये ईंधन सेल (Fuel Cell) को केवल वाहन को बिजली पहुँचाने के लिये आवश्यक हाइड्रोजन की आपूर्ति करनी होती है।
  • फ्यूल सेल्स की तुलना बैटरियों से की जाती है। दोनों में ही रासायनिक अभिक्रिया द्वारा ऊर्जा पैदा होती है, जिसका इस्तेमाल इलेक्ट्रिक पॉवर के रूप में किया जाता है।

hydogen-fuel-cell

  • फ्यूल सेल तब तक ही विद्युत पैदा करने में सक्षम होते हैं, जब तक उनमें ईंधन के रूप में हाइड्रोजन की आपूर्ति बनी रहती है।
  • दरअसल, फ्यूल सेल एक ऐसी तकनीक है, जिसका इस्तेमाल मकानों में ताप (Heat) एवं विद्युत (Electricty) के स्त्रोत के रूप में किया जाता है। साथ ही, इसके द्वारा विद्युत मोटर से चलने वाले वाहनों के लिये ऊर्जा भी मुहैया कराई जाती है। शुद्ध हाइड्रोजन से फ्यूल सेल का संचालन बेहतर तरीके से होता है।
  • हाइड्रोजन फ्यूल सेल तकनीक भविष्य में स्वच्छ ईंधन की दिशा में एक बेहतर विकल्प साबित हो सकती है।

हाइड्रोजन ईंधन का महत्त्व

  • हाइड्रोजन ईंधन डीज़ल और पैट्रोल का बेहतर विकल्प हो सकता है। साथ ही, यह ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को भी कम करता है। इसलिये यह पर्यावरण की दृष्टि से अनुकूल है।
  • दरअसल, हाइड्रोजन अन्य ईंधनों की तुलना में अधिक ऊर्जा उत्सर्जित करता है। साथ ही, इसका दहन होने पर इंजन में किसी भी प्रकार का प्रदूषण नहीं होता है। अतः यह वाहनों के लिये सबसे उपयुक्त एवं दक्ष ईंधन है।
  • उल्लेखनीय है कि हाइड्रोजन ईंधन का इस्तेमाल रॉकेट में भी किया जाता है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ‘नासा’ ऑर्बिटर में रॉकेट भेजने के लिये वर्ष 1970 से ही द्रव हाइड्रोजन का उपयोग कर रही है।
  • साथ ही, यह एक नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत भी है, जिसका पुनरुपयोग ऊर्जा उत्पादन में किया जा सकता है।
  • हाइड्रोजन प्राकृतिक रूप से भारी मात्रा में उपलब्ध है।

हाइड्रोजन  ईंधन  की  चुनौतियाँ

  • हाइड्रोजन को जल से अलग करने की तकनीक और प्रक्रिया अत्यंत जटिल है। साथ ही, हाइड्रोजन अन्य ईंधनों की तुलना में अत्यधिक ज्वलनशील होता है, जिससे वाहन में विस्फोट होने का खतरा रहता है।
  • हाइड्रोजन ईंधन के उत्पादन के लिये प्रचुर मात्रा में जलीय एवं भू-तापीय ऊर्जा की आवश्यकता पड़ती है।
  • हाइड्रोजन ईंधन के उत्पादन की प्रक्रिया जटिल तथा महँगी होने के कारण यह ईंधन भी महँगा होता है। यही कारण है कि यह ईंधन अब भी विदेशों में पायलट परियोजना के रूप में प्रयोग किया जा रहा है।
  • साथ ही, हाइड्रोजन ईंधन पर आधारित वाहन अन्य ईंधनों से संचालित वाहनों की तुलना में महँगे होते हैं।
  • हाइड्रोजन ईंधन आधारित वाहनों के बाज़ार में आने और आम जनता तक इनकी उपलब्धता के सम्बंध में अभी तक अनिश्चितता है।
  • उपर्युक्त के अतिरिक्त, हाइड्रोजन ईंधन का संग्रहण या भंडारण करना काफी मुश्किल होता है।

ऊर्जा के अन्य वैकल्पिक स्त्रोत

  • ‘एड ब्लू डीज़ल एक्जास्ट फ्लूड ईंधन’ को भी एक वैकल्पिक ऊर्जा स्त्रोत के रूप में देखा जा रहा है, जिसमें नाइट्रोजन ऑक्साइड को भाप तथा नाइट्रोजन में बदला जाता है।
  • एक विकल्प के रूप में  बायोडीज़ल का उपयोग भी किया जा रहा है। यह एक क्लीन बर्निंग अक्षय ऊर्जा है जिसे रासायनिक प्रक्रिया से बनाया जाता है, जो वनस्पति तेल और वसा को विषरहित ऊर्जा (Non-toxic energy) में परिवर्तित कर देता है।
  • पैट्रोल के विकल्प में एथेनॉल का इस्तेमाल भी किया जा सकता है। इसमें 100 प्रतिशत शुद्ध एथनोल को रेगुलर अनलिडेड फ्यूल कन्सेंट्रेशन के साथ मिलाकर प्रयोग किया जाता है।
  • एथेनॉल एक जैविक ईंधन है, जिसे गन्ने और मक्के के अवशेषों को प्रोसेस कर बनाया जाता है। एथेनॉल को एक स्थायी ईंधन माना जाता है, जो कम प्रदूषण उत्सर्जित करता है।
  • जीवाश्म ईंधन के स्थान पर  तरल नाइट्रोजन का इस्तेमाल भी किया जा सकता है। इसे एक दबाव टैंक (Pressurized Tank) में गर्म करने पर उच्च दाब गैस का निर्माण होता है। यह गैस पिस्टन और रोटरी इंजन को चलाने में सक्षम है। हालाँकि तरल नाइट्रोजन की क्षमता अन्य जीवाश्म ईंधनों से कम है। साथ ही, इसके उत्पादन में बिजली की आवश्यकता भी पड़ती है।

भविष्य की राह

  • समय आ गया है कि पैट्रोल व डीज़ल के विकल्पों का उपयोग अधिक से अधिक किया जाए ताकि पर्यावरण को बचाया जा सके, क्योंकि स्वच्छ पर्यावरण में साँस लेना हमारे साथ-साथ भावी पीढ़ी का भी अधिकार है, जिसे हमें आज ही सुनिश्चित करना होगा।
  • दुनिया हरित ईंधन (ऐसे ईंधन जो पर्यावरण की दृष्टि से अनुकूल होते हैं) के उपयोग की दिशा में तेज़ी से बढ़ रही है। भारत द्वारा भी इस दिशा में आइसलैंड के ऊर्जा मॉडल को घरेलू आवश्यकताओं के अनुरूप अपनाए जाने पर विचार किया जा सकता है।
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