प्रारंभिक परीक्षा – भारत की जलविद्युत परियोजना, भाखड़ा-नांगल बहुउद्देशीय बांध, तीस्ता-VI पनबिजली परियोजना , चुंगथांग बांध मुख्य परीक्षा - सामान्य अध्ययन, पेपर- 1 और 3
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संदर्भ
- बिजली और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के अनुसार,बाढ़ या अन्य कारणों से बांधों के नष्ट होने से जलविद्युत पर भारत की निर्भरता कम नहीं होगी।
प्रमुख बिंदु
- सिक्किम में ग्लेशियर झील विस्फोट (GLOF) के कारण अचानक आई बाढ़ से चुंगथांग बांध नष्ट हो गया, जिससे जलविद्युत ऊर्जा प्रभावित हुई है।
- इसी कारण से बिजली और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने एक सूचना के तहत बताया है कि बांधों के नष्ट होने से जलविद्युत पर भारत की निर्भरता कम नहीं होगी।
- तीस्ता-VI पनबिजली परियोजना सिक्किम में चुंगथांग बांध पर निर्मित है ।
- इस परियोजना के तहत 1,200 मेगावाट की ऊर्जा जलविद्युत से प्राप्त की जाती है।
- चुंगथांग बांध के नष्ट होने कारणों में चेतावनी प्रणाली न होना पाना गया है जिस पर सरकार कार्य कर रही है।
पनबिजली/ जलविद्युत का महत्त्व
- जलविद्युत एक नवीकरणीय ऊर्जा है जिसे बांधों, जलाशयों, बहती नदियों आदि से संग्रहित जल के द्वारा टरबाइन के उपयोग से उत्पन्न किया जाता है।
- भारत में हरित क्रांति आंशिक रूप से भाखड़ा -नांगल (बिजली परियोजना) के कारण हुई थी, इसलिए जलविद्युत को बंद नहीं किया जा सकता है क्योंकि यह कृषि और ऊर्जा के लिए आवश्यक है।
भाखड़ा-नांगल बहुउद्देशीय बांध परियोजना
- यह बहुउद्देशीय बांध परियोजना हिमाचल प्रदेश में स्थित सतलुज नदी पर भाखड़ा और नांगल में बने दो बांधों पर बनाया गया है।
- इसका उद्घाटन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू द्वारा वर्ष 1963 में किया गया।
- इस परियोजना की विद्युत उत्पादन क्षमता लगभग 1,204 मेगावाट है।
- इस परियोजना को भारत सरकार के द्वारा पंजाब, हरियाणा एवं राजस्थान में कृषि में सिंचाई की सुविधा प्रदान करने एवं फसल उत्पादन में वृद्धि करने के लिए किया गया था।
- भाखड़ा बांध को जल प्रदान करने के लिए एक मानव निर्मित या कृत्रिम जलाशय गोविंद सागर जलाशय का निर्माण किया गया है।
- भाखड़ा-नांगल बांध एशिया का दूसरा सबसे ऊंचा बांध है जिसकी ऊंचाई लगभग 226 मीटर तथा औसत चौड़ाई लगभग 362 मीटर है।
- यह परियोजना भारत और पाकिस्तान के बीच एक अंतर्राष्ट्रीय जल विवाद भी था।
- जिसे वर्ष1960 में विश्व बैंक तथा संयुक्त राज्य अमेरिका के सहयोग से सिंधु जल संधि के माध्यम से हल किया गया।
जलविद्युत परियोजन से हानि
- जलविद्युत परियोजन स्थापित करने से सामाजिक ,आर्थिक एवं पर्यावरणीय क्षति का सामना भी करना पड़ता है।
- इन परियोजनाओं से बहुत से लोग अपने घर से विस्थापित होते है।
- वृक्षों का अत्यधिक मात्रा में कटाव किया जाता है जिससे पर्यावरणीय समस्याएं जैसे बाढ़, सूखा एवं जल भराव की समस्याएं आदि उत्पन्न होती हैं।
जलविद्युत परियोजना लाभ
- यह कोयले,गैस या जीवाश्म ईंधन पर आधारित ऊर्जा से सस्ती ऊर्जा है।
- इस ऊर्जा से कोई पर्यावरणीय क्षति नहीं होती है।
- इस परियोजना से पर्यटन को बढ़ावा मिलता है।
- ऐसी परियोजनाओं से मछली उत्पादन में वृद्धि आदि लाभ प्राप्त होते हैं।
निष्कर्ष
- भारत में लगभग 100 बड़े जलविद्युत संयंत्र हैं, जिनकी क्षमता 25 मेगावाट से अधिक है, लेकिन देश के कुल बिजली मिश्रण में उनकी हिस्सेदारी निम्न स्तर पर है वर्तमान में यह लगभग 12% है जिसे बढ़ने की आवश्यकता है।
प्रारंभिक परीक्षा प्रश्न:- निम्नलिखित में से भाखड़ा-नांगल बहुउद्देशीय बांध परियोजना किस नदी पर स्थित है ?
(a) सिन्धु
(b) रावि
(c) व्यास
(d) सतलज
उत्तर: (d)
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स्रोत : INDIAN EXPRESS