संदर्भ
हाल ही में, भारत मौसम विभाग (IMD) ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और उत्तर भारत के कई अन्य हिस्सों में गंभीर शीत लहर का पूर्वानुमान लगाते हुए इन क्षेत्रों के लोगों को शराब के सेवन न करने और ठण्ड से बचने के साथ ही हाइपोथर्मिया की स्थिति से बचने की सलाह भी दी है।
प्रमुख बिंदु
- आई.एम.डी. के विशेषज्ञों के अनुसार शराब हमारे शरीर के तापमान को कम करके हमें गर्म होने का एहसास देती है लेकिन इसके कारण हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली कमज़ोर हो सकती है और हाइपोथर्मिया का खतरा बढ़ सकता है।
- अल्कोहल मुख्यतः एक वैसोडिलेटर (vasodilator) होता है, अर्थात् यह रक्त वाहिकाओं को शिथिल कर देता है। इसलिए शराब का सेवन करने के बाद, त्वचा की सतह पर रक्त की मात्रा बढ़ जाती है, जिसके परिणामस्वरूप शरीर गर्मी महसूस करता है।
- आई.एम.डी. ने शीतदंश (frostbite) की चेतावनी भी दी है, फ्रॉस्टबाइट की स्थिति में त्वचा पीली, कठोर और सुन्न हो जाती है और अत्यधिक ठंड की स्थिति में शरीर पर काले फफोले भी पड़ जाते हैं।
- आई.एम.डी. ने शीतलहर की स्थिति में लोगों से बाहरी गतिविधियों को सीमित करने, तेल या क्रीम के साथ नियमित रूप से अपनी त्वचा को मॉइस्चराइज़ करने, विटामिन-सी से भरपूर फल और सब्जियाँ खाने और शरीर की प्रतिरक्षा को बनाए रखने के लिये लगातार गर्म तरल पदार्थ पीते रहने का भी आग्रह किया है।
हाइपोथर्मिया
- हाइपोथर्मिया एक गंभीर शारीरिक स्थिति है, जिसमें शरीर ऊष्मा/गर्मी उत्पन्न करने से पहले ही इसे खो देता है, जिसके परिणामस्वरूप शरीर का तापमान रूप से कम हो जाता है।
- सामान्य शरीर का तापमान लगभग 37℃ होता है, हाइपोथर्मिया से पीड़ित व्यक्ति के शरीर का तापमान 35 ℃ से भी नीचे चला जाता है।
- सामान्य लक्षणों में कंपकंपी, सांस लेने की धीमी दर, स्पष्ट बोलने में दिक्कत, ठंडी त्वचा और थकान आदि शामिल हैं। विशेष परिस्थितियों में हाइपोथर्मिया के कारण सोचने-समझने की क्षमता भी प्रभावित हो सकती है।
- नवजात तथा वृद्ध लोगों को यह अधिक प्रभावित करता है, क्योंकि इनकी सामान्य शारीरिक तापमान को बनाए रखने की क्षमता कम होती है।
- अमूमन मानव मष्तिष्क में हाइपोथैलेमस के प्रभावित होने के कारण हाइपोथर्मिया की स्थिति उत्पन्न होती है क्योंकि हाइपोथैलेमस शरीर के तापमान नियंत्रक के रूप में कार्य करता है।
- हाइपोथर्मिया के 68% मामलों में मुख्य कारक शराब को माना गया है।