उत्तर प्रदेश के झांसी में एक अस्पताल में आग लगने से कुछ नवजात शिशु ‘हाइपोक्सिक-इस्केमिक एन्सेफैलोपैथी’ नामक बीमारी से पीड़ित हो गए हैं।
हाइपोक्सिक-इस्केमिक एन्सेफैलोपैथी के बारे में
- हाइपोक्सिक-इस्केमिक एन्सेफैलोपैथी (Hypoxic-ischemic encephalopathy : HIE) एक प्रकार का मस्तिष्क क्षति रोग है।
- यह जन्म से पहले या तुरंत बाद मस्तिष्क में ऑक्सीजन की कमी के कारण होता है। यह केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता है।
- HIE से पीड़ित शिशुओं में न्यूरोलॉजिकल या विकास संबंधी समस्याएँ हो सकती हैं।
- ऐसा अनुमान है कि HIE प्रति 1,000 जीवित जन्मों में 2 से 9 के बीच होता है।
नवजात शिशु में HIE के लिए जिम्मेदार प्रमुख कारक
- माँ में अति निम्न या बहुत उच्च रक्तचाप
- शिशु में हृदय संबंधी समस्याएँ
- गर्भाशय या प्लेसेंटा से संबंधित समस्याएँ
- प्रसव और डिलीवरी के दौरान समस्याएँ, जैसे- गर्भनाल में चोट लगना
- जन्म के समय बच्चे के मस्तिष्क में रक्त प्रवाह की कमी
नवजात शिशु में HIE के लक्षण
- जागृत एवं सजग रहने की असामान्य स्थिति, जैसे- अत्यधिक सतर्क होना या बहुत निम्न ऊर्जा
- साँस लेने में तकलीफ़
- सुनने में परेशानी
- दौरे या तंत्रिका संबंधी अन्य समस्याएँ
- धीमी हृदय गति
- अंग विफलता
- गंभीर मामलों में बच्चे की वृद्धि या विकास में देरी हो सकती है। उन्हें सेरेब्रल पाल्सी या मानसिक विकलांगता भी हो सकती है। इन लक्षणों की गंभीरता 3 से 4 वर्ष की आयु तक पता नहीं चलती है।
नवजात शिशु में HIE का निदान
- रक्त में ऑक्सीजन की मात्रा की जांच द्वारा
- गर्भनाल से रक्त की जांच या प्लेसेंटा की जांच द्वारा
- शिशु के सिर का अल्ट्रासाउंड परीक्षण द्वारा
- इलेक्ट्रोएन्सेफेलोग्राफी (EEG) से शिशु के मस्तिष्क की विद्युत गतिविधि की जांच
- मस्तिष्क एम.आर.आई. परीक्षण द्वारा मस्तिष्क क्षति की जांच द्वारा
उपचार विधियाँ
- चिकित्सीय हाइपोथर्मिया : यह उपचार मध्यम से गंभीर नवजात शिशु HIE के लिए उपयोग किया जाता है।
- इसे जन्म के बाद पहले 6 घंटों के भीतर दिया जाना चाहिए।
- इसके दौरान एक शीतलन प्रणाली बच्चे के शरीर के तापमान को 72 घंटों तक 91.4°F से 95°F (33°C से 35°C) तक कम कर देती है।
- ऐसा करने से बच्चे के बचने की संभावना बढ़ सकती है।
- यह जीवन में बाद में विकास संबंधी समस्याओं या विकलांगता के जोखिम को भी कम कर सकता है।