प्रारम्भिक परीक्षा - 'इडालिया' तूफान/ चक्रवात मुख्य परीक्षा - सामान्य अध्ययन, पेपर-1 |
संदर्भ
- राष्ट्रीय तूफान केंद्र के पूर्वानुमान के अनुसार, मेक्सिको के तट पर 27 अगस्त 2023 को बना उष्णकटिबंधीय तूफान 'इडालिया' दक्षिण अमेरिका की तरफ बढ़ सकता है।
- राष्ट्रीय तूफान केंद्र ( एनएचसी ) संयुक्त राज्य अमेरिका की एनओएए / राष्ट्रीय मौसम सेवा का प्रभाग है जो प्राइम मेरिडियन और 140वें मेरिडियन पश्चिम ध्रुव से लेकर पूर्वोत्तर प्रशांत महासागर में 30वें समानांतर उत्तर के बीच उष्णकटिबंधीय मौसम प्रणालियों पर नज़र रखने और भविष्यवाणी करने के लिए जिम्मेदार है ।
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प्रमुख बिंदु
- राष्ट्रीय तूफान केंद्र के मुताबिक, 27 अगस्त 2023 को स्थानीय समयानुसार शाम पांच बजे ‘इडालिया’ मेक्सिको के कोजुमेल से लगभग 153 किलोमीटर पूर्व से दक्षिण-पूर्व में था और यह 64 किलोमीटर प्रति घंटे की अधिकतम रफ्तार से बह रही हवाओं के साथ 4.8 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से उत्तर-पूर्व की ओर बढ़ रहा है।
- राष्ट्रीय तूफान केंद्र के अनुसार, ‘इडालिया’ के मेक्सिको की खाड़ी में तूफान का रूप अख्तियार करने और फिर उत्तर-पूर्व में फ्लोरिडा के पश्चिमी तट की तरफ बढ़ने की आशंका है।
तूफान की तीव्रता
- तूफान की गति लगभग 119 से 160 किलोमीटर प्रति घंटे से अधिक है ।
- इस तूफान के कारण फ्लोरिडा के पश्चिमी तट के एक विशाल हिस्से में समुद्र का 3.4 मीटर तक पानी भर सकता है, जिससे वहां विनाशकारी बाढ़ आने की आशंका है।
उष्णकटिबंधीय तूफान/ चक्रवात
- कर्क तथा मकर रेखाओं के मध्य वृत्ताकार समदाब रेखाओं से घिरा हुआ निम्न वायुदाब का केंद्र, जिसकी उत्पत्ति महासागरीय सतह पर होती है, उष्णकटिबंधीय चक्रवात कहलाते हैं। इनकी गति, आकार एवं मौसम में पर्याप्त अंतर पाया जाता है।
इन चक्रवातों की मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
- उष्णकटिबंधीय चक्रवात की समदाब रेखाएँ वृत्ताकार होती हैं, जिनके निम्न वायुदाब के केंद्र से बाहर की ओर जाने पर वायुदाब में वृद्धि होती है। समदाब रेखाओं की संख्या कम एवं सघन होने के कारण वायुदाब में अधिक अंतर हो जाता है, जिससे बाहर से हवाएँ तेजी से केंद्र की ओर अभिसारित होती हैं और तूफानी गति धारण कर लेती हैं।
- चक्रवातीय हवाएँ विभिन्न गति से चलती है। क्षीण चक्रवात की गति 32 किमी. प्रति घंटा होती है, जबकि हरिकेन 120 किमी. प्रति घंटे से भी अधिक गति से चलता हैं।
- सामान्यतः चक्रवात का व्यास 500 से 800 किमी. तक होता है। परंतु कभी-कभी इनका व्यास 50 किमी. से भी कम हो जाता है।
- ये सदैव गतिशील नहीं होते बल्कि कभी-कभी एक ही स्थान पर कई दिन तक स्थायी होकर तीव्र वर्षा करते हैं।
- इनका आगमन सामान्यतः ग्रीष्मकाल के अंत में होता है। शीतोष्ण चक्रवात की अपेक्षा इनकी संख्या तथा प्रभावित क्षेत्र सीमित होता है।
- सामान्यतया इस चक्रवात की ऊपरी सीमा 10 से 15 किलोमीटर तक होती है।
चक्रवातों का वर्गीकरण
- विश्व मौसम संगठन (World Meteorological Organization- WMO) ने चक्रवातीय प्रवाह को वायु वेग के आधार पर वर्गीकृत करते हुए 17 मीटर प्रति सेकंड वेग के चक्रवात को अपनवर्ती चक्रवात, 17 मीटर से 32 मीटर प्रति सेकंड वेग के चक्रवात को उष्णकटिबंधीय तूफान एवं 32 मीटर प्रति सेकेंड से अधिक वेग के चक्रवातीय प्रवाह को उष्णकटिबंधीय चक्रवात के रूप में वर्गीकृत किया है।
- उष्णकटिबंधीय प्रदेशों में सबसे महत्त्वपूर्ण आर्वा विक्षोभ विलोम अमेरिका में हरिकेन, चीन तथा जापान में टाइफून, उत्तरी ऑस्ट्रेलिया में बिलीबिली एवं भारत तथा बांग्लादेश में उष्णकटिबंधीय तूफान कहलाते हैं।
- उष्णकटिबंधीय चक्रवातों की उत्पत्ति के लिये आवश्यक दशाएँ (Necessary Conditions for the Origin of Tropical Cyclones)-
1. उष्णकटिबंधीय चक्रवातों की उत्पत्ति के लिये एक विशाल गर्म सागर का होना अति आवश्यक है, जिसके तल का तापमान 279 सेल्सियस या 80 फारेनहाइट से अधिक हो।
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- ऐसी अवस्था केवल विषुवत रेखा के समीप उष्णकटिबंधीय क्षेत्र तक ही संभव है। यही ताप, चक्रवातों को शक्ति प्रदान करता है और समीपस्थ वायुमंडल की अपेक्षा अधिक गर्म रखता है।
2. उष्णकटिबंधीय चक्रवातों के निर्माण के लिये कोरिऑलिस बल उच्च होना चाहिये। विषुवत रेखा पर कोरिऑलिस बल शून्य होने के कारण अन्य दशाओं के अनुकूल होने पर भी वायु में चक्रवातीय प्रवाह उत्पन्न नहीं हो पाते हैं। यही कारण है कि उष्णकटिबंधीय चक्रवात विषुवत रेखा पर निर्मित नहीं होते; जबकि उससे दूर लगभग 8 से 15° अक्षांशों के मध्य ये चक्रवात उत्पन्न होते हैं।
3. उष्णकटिबंधीय चक्रवातों की उत्पत्ति के लिये यह भी आवश्यक है कि ऊर्ध्वाधर वायु कर्तन की मात्रा अधिक न हो, क्योंकि वायु कर्तन आवर्त निर्माण के लिये बाधक होता है। यही कारण है कि जेट प्रवाह के नीचे उष्णकटिबंधीय चक्रवात नहीं निर्मित होते हैं।
4. इनके निर्माण के लिये विषुवत रेखीय निम्न भार क्रम की स्थिति विषुवत रेखा से सबसे दूर होनी चाहिये।
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- उत्तरी गोलार्द्ध की गर्मियों में अंतर उष्ण कटिबंधीय अभिसरण क्षेत्र (ITCZ) 8 और 15° उत्तरी अक्षांश के मध्य सागरों में स्थापित होता है। यही मौसम उष्णकटिबंधीय चक्रवातों के निर्माण के लिये सबसे आदर्श माना जाता है।
- दक्षिणी गोलार्द्ध की गर्मियों में विषुवत रेखीय निम्न भार पेटी 5° दक्षिणी अक्षांश से अधिक दक्षिण की ओर नहीं खिसकती है। फलतः दक्षिणी अटलांटिक और दक्षिणी प्रशांत महासागर में उष्णकटिबंधीय चक्रवात का निर्माण बहुत कम होता है।
5. उष्णकटिबंधीय चक्रवातों की उत्पत्ति व्यापारिक हवाओं के प्रदेश में भी संभव है, परंतु यहाँ उपोष्णीय उच्च भार कोशिकाओं के पश्चिमी किनारे अधिक उपयुक्त होते हैं। इन किनारों में अवतलन तथा वायु स्थायित्व की अवस्था क्षीण होती है तथा वायु उत्थापन और अस्थिरता संभव है। ये प्रदेश अटलांटिक, प्रशांत तथा हिंद महासागर के पश्चिमी किनारों पर 8 और 15° अक्षांश के मध्य फैले हैं।
प्रारम्भिक परीक्षा प्रश्न : निम्नलिखित में से उष्णकटिबंधीय चक्रवातों की उत्पत्ति के लिए जिम्मेदार कारकों पर विचार कीजिए?
- गर्म सागर का होना
- कोरिऑलिस बल उच्च होना
- व्यापारिक हवाओं का होना
उपर्युक्त में से कितना/कितने कथन सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) सभी तीनों
(d) कोई नहीं
उत्तर - (c)
मुख्य परीक्षा प्रश्न: उष्णकटिबंधीय चक्रवात किसे कहते हैं तथा इसके उत्पत्ति के आवश्यक दशाओं का वर्णन कीजिए।
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