New
IAS Foundation Course (Prelims + Mains): Delhi & Prayagraj | Call: 9555124124

हिमालय में नव-विवर्तनिक रूप से सक्रिय क्षेत्र की पहचान और भूकम्प के अध्ययन में बदलाव

(प्रारंभिक परीक्षा- राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ, भारत एवं विश्व का भूगोल)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 1 : भूकम्प, आदि जैसी महत्त्वपूर्ण भू-भौतिकीय घटनाएँ, भौगोलिक विशेषताएँ)

चर्चा में क्यों?

हाल ही में, हिमालय में विवर्तनिक रूप से सक्रिय नए क्षेत्र की पहचान हुई है, जिससे भूकम्प के अध्ययन और अनुमानों में बदलाव आने की उम्मीद है।

प्रमुख बिंदु

  • वैज्ञानिकों ने हिमालय के शचर जोन या लद्दाख में स्थित ‘इंडस शचर जोन’ (ISZ) के विस्तृत रूप से भौगोलिक अध्ययन में यह पाया है कि वास्तव में यह जोन बंद क्षेत्र (Locked Zone) न होकर विवर्तनिक रूप से सक्रिय क्षेत्र (Tectonically Active Zone) है।
  • ‘इंडस शचर जोन’ (ISZ) वह क्षेत्र है, जहाँ पर भारतीय और एशियाई प्लेट परस्पर मिलती हैं।
  • भू-वैज्ञानिकों ने पाया कि जहाँ नदियाँ ऊँचे उठे इलाके से जुड़ी हुई हैं, वहाँ पर गाद के इलाके या तलछटी में झुकाव है और उनकी सतह टूटी हुई है।
  • इसके अलावा चट्टानों का आधार काफी कमज़ोर है और वे भंगुर विरूपण प्रदर्शित करती हैं, जिसकी वजह से उसमें टूट-फूट भी होती रहती है। परिणामस्वरुप वहाँ काफी उथली घाटियाँ निर्मित हो गई हैं।

अध्ययन विधि

  •  इन चट्टानों का अध्ययन देहरादून स्थित प्रयोगशाला में ‘ऑप्टिकली स्टिमुलेटेड ल्यूमिनेससेंस’ (Optically Stimulated Luminescence : OSL) के द्वारा किया गया।
  • यहाँ पर भूकम्प की आवृत्ति और पहाड़ों की ऊँचाई घटने की दर का अध्ययन किया गया। इन भौगोलिक गादों का अध्ययन ल्यूमिनेससेंस डेटिंग विधि से किया जाता है।
  • प्रयोगशाला के आंकड़ों और भौगोलिक क्षेत्र के अध्ययनानुसार ‘इंडस शचर जोन’ (ISZ) का क्षेत्र पिछले 78000 से 58000 वर्ष से नव-विवर्तनिक रूप से सक्रिय है। साथ ही, वर्ष 2010 में उपशी गांव में आए कम तीव्रता वाले (रिक्टर स्केल पर 4) भूकम्प का कारण भी चट्टान का टूटना था।

अध्ययन का प्रकाशन

  • विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार के अंतर्गत आने वाले देहरादून स्थित स्वायत्त संस्थान वाडिया हिमालय भू-विज्ञान संस्थान के वैज्ञानिकों ने यह नई खोज की है।
  • वैज्ञानिकों ने यह अध्ययन हिमालय के सबसे सुदूर स्थित लद्दाख क्षेत्र में किया है, जिसे ‘टेक्नोफिज़िक्स’ जर्नल में प्रकाशित किया गया है।

हिमालयन थ्रस्ट

  • हिमालय को मुख्य रूप से मेन सेंट्रल थ्रस्ट (MCT), मेन बाउंड्री थ्रस्ट (MBT) और मेन फ्रंटल थ्रस्ट (MFT) से निर्मित माना जाता है। ये सभी उत्तर की ओर झुकने वाली थ्रस्ट हैं।
  • अभी तक की मान्यता के अनुसार एम.एफ.टी. थ्रस्ट को छोड़कर अन्य सभी थ्रस्ट बंद (लॉक्ड) थी। इस कारण से हिमालय में होने वाले सभी बदलावों के लिये एम.एफ.टी. को उत्तरदायी माना जाता था।

अध्ययन का महत्त्व

सम्भावना है कि इस खोज से भूकम्प के अध्ययन में महत्त्वपूर्ण बदलाव आएंगे। विशेषकर भूकम्प के अनुमान, पहाड़ों के विकास और इसकी भूगर्भीय संरचना को बेहतर तरीके से समझने में मदद मिलेगी।

आगे की राह

नई खोज के अनुसार शचर जोन की पुरानी परतें नव-विवर्तनिक रूप से सक्रिय हैं। ऐसे में हिमालय के विकास के मौजूदा मॉडल पर नये तकनीकी और बृहत भौगोलिक आंकड़े का प्रयोग करते हुए नये सिरे से तथा गम्भीर रूप से पुनः अध्ययन करने की आवश्यकता है।

प्री फैक्ट :

  • हिमालय के शचर जोन या लद्दाख में स्थित ‘इंडस शचर जोन’ (ISZ) को विवर्तनिक रूप से सक्रिय क्षेत्र (Tectonically Active Zone) पाया गया है। ‘इंडस शचर जोन’ (ISZ) वह क्षेत्र है, जहाँ पर भारतीय और एशियाई प्लेट परस्पर मिलती हैं।
  • भौगोलिक गादों का अध्ययन ल्यूमिनेससेंस डेटिंग विधि द्वारा किया जाता है।
  • वाडिया हिमालय भू-विज्ञान संस्थान देहरादून में स्थित एक स्वायत्त संस्थान है।
  • हिमालय को मुख्य रूप से मेन सेंट्रल थ्रस्ट (MCT), मेन बाउंड्री थ्रस्ट (MBT) और मेन फ्रंटल थ्रस्ट (MFT) से निर्मित माना जाता है।
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR