प्रारंभिक परीक्षा
(सामान्य विज्ञान)
मुख्य परीक्षा
(सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3 : विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी)
|
संदर्भ
भारत के मशहूर तबला वादक जाकिर हुसैन का 73 वर्ष की आयु में इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस (Idiopathic Pulmonary Fibrosis : IPF) के कारण अमेरिका में निधन हो गया।
क्या है इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस
- IPF फेफड़ों की दीर्घकालिक गंभीर बीमारी है जो फेफड़ों के वायुकोशों या एल्वियोली के आसपास के ऊतकों को प्रभावित करती है।
- यह स्थिति तब विकसित होती है जब अज्ञात कारणों से फेफड़े के ऊतक मोटे एवं सख्त हो जाते हैं। समय के साथ ये परिवर्तन फेफड़ों को स्थायी रूप से जख्मी कर सकते हैं, जिसे ‘फाइब्रोसिस’ भी कहा जाता है।
- ऊतक के घाव के कारण सांस लेना एवं फेफड़ों से मानव शरीर के बाकी हिस्सों में ऑक्सीजन पहुंचाना मुश्किल हो जाता है।
- इससे प्रभावित व्यक्ति के लिए धीरे-धीरे सांस लेना मुश्किल हो जाता है।
- स्वस्थ फेफड़े के मामले में ऑक्सीजन आसानी से वायुकोषों की दीवारों से होकर केशिकाओं में और अंततः रक्तप्रवाह में चली जाती है।
- हालाँकि, IPF के मामले में एल्वियोली की दीवारें मोटी हो जाती हैं, जिससे ऑक्सीजन का रक्त में जाना मुश्किल हो जाता है।
- धूम्रपान की आदत या IPF की बीमारी के पारिवारिक इतिहास वाले व्यक्ति को इस बीमारी का जोखिम अधिक होता है। यह जोखिम आयु के साथ बढ़ता ही जाता है।
IPF के लिए ज़ोखिम कारक
- आयु : आयु में वृद्धि के साथ इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस होने का जोखिम अधिक होता है। अधिकांश लोगों में प्राय: 60 या 70 की आयु में इस बीमारी का निदान किया जाता है।
- जीवनशैली : धूम्रपान की आदत वाले लोगों में IPF सबसे सामान्य जोखिम है।
- लिंग : एक अध्ययन के अनुसार इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस या IPF महिलाओं की तुलना में पुरुषों में अधिक सामान्य है।
- पारिवारिक इतिहास और जीन : यदि किसी व्यक्ति के निकटतम संबंधी, जैसे- माता-पिता या भाई-बहन को IPF है तो उन्हें स्वतः ही यह बीमारी होने का अधिक जोखिम होता है। किसी व्यक्ति को विरासत में मिले जीन के कारण भी IPF विकसित होने की संभावना अधिक हो सकती है।
IPF के लक्षण
- सांस लेने में समस्या : IPF से पीड़ित व्यक्ति को शुरू में सांस लेने में कठिनाई हो सकती है जो समय के साथ बढ़ती जाती है। ऐसे में व्यक्ति को आराम करने की भी स्थिति में भी सांस लेने में कठिनाई होती है।
- लंबे समय तक सूखी खांसी : लंबे समय तक होने वाली सूखी खांसी भी इसका एक संकेत है। इसमें बार-बार खांसी आना भी शामिल है जिसे व्यक्ति नियंत्रित नहीं कर पाता है।
- जोड़ों एवं मांसपेशियों में दर्द : किसी व्यक्ति के जोड़ों व मांसपेशियों में दर्द महसूस होना एक सामान्य स्थिति है लेकिन यह भी IPF का एक लक्षण हो सकता है।
- थकान या कमजोरी महसूस करना : थकान सामान्य रूप से बीमारी का एक सामान्य लक्षण है और IPF के मामले में भी ऐसा ही है।
- वजन कम होना : IPF से पीड़ित व्यक्ति का बिना किसी प्रयास या व्यायाम के वजन धीरे-धीरे कम हो सकता है।
IPF के लिए उपचार
- वर्तमान में IPF का कोई स्पष्ट उपचार उपलब्ध नहीं है। हालाँकि, दवाएँ, प्रक्रियाएँ या अन्य उपचार फेफड़ों की क्षति को धीमा करने और बाद में जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने में मदद कर सकते हैं।
- दवाएँ : Nintedanib या Pirfenidone जैसी दवाएँ फेफड़ों को बेहतर ढंग से काम करने में मदद कर सकती हैं। एंटासिड पेट के एसिड को रिफ्लक्स से फेफड़ों में प्रवेश करने और IPF को बदतर बनाने से रोकने में मदद कर सकता है।
- ऑक्सीजन थेरेपी : यह सांस की तकलीफ को कम करने और व्यायाम क्षमताओं को बेहतर बनाने में मदद करती है।
- सर्जरी : दीर्घकालिक IPF वाले कुछ लोगों के लिए फेफड़े का प्रत्यारोपण एक विकल्प हो सकता है। हालाँकि, फेफड़े के प्रत्यारोपण से बड़ी जटिलताएँ उत्पन्न हो सकती हैं, जैसे कि संक्रमण या शरीर द्वारा नए अंग के प्रत्यरोपण को अस्वीकार करना।
- जीवनशैली में बदलाव इसके उपचार में सबसे प्रभावी है जिसमें धूम्रपान छोड़ना, स्वस्थ आहार लेना और नियमित रूप से व्यायाम करना शामिल है। काउंसलिंग एवं थेरेपी भी तनाव व चिंता को दूर करने या प्रबंधित करने में मदद कर सकती है।