New
GS Foundation (P+M) - Delhi: 5 May, 3:00 PM GS Foundation (P+M) - Prayagraj: 11 May, 5:30 PM Call Our Course Coordinator: 9555124124 Request Call Back GS Foundation (P+M) - Delhi: 5 May, 3:00 PM GS Foundation (P+M) - Prayagraj: 11 May, 5:30 PM Call Our Course Coordinator: 9555124124 Request Call Back

इक्ष्वाकु युगीन सिक्के

  • हाल ही में, तेलंगाना के पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग को सूर्यापेट जिले के फणीगिरी बौद्ध स्थल से सिक्कों का भंडार प्राप्त हुआ है।
  • उत्खनन के दौरान मिट्टी के घड़े में मिले ये सिक्के इक्ष्वाकु काल संबंधित हैं और संभवत: तीसरी से चौथी सदी के मध्य के हैं।
  • सीसे के इन सिक्कों के अग्र भाग पर हाथी का चिह्न और पृष्ठ भाग पर उज्जैन का चिह्न अंकित है।

ISHWAKU

  • इसके अतिरिक्त उत्खनन स्थल से पत्थर के मोती, कांच के मोती, शंख की चूड़ियों के टुकड़े, प्लास्टर की आकृतियाँ, चूना पत्थर की विकृत मूर्तियाँ, खिलौना गाड़ी का एक पहिया, लोहे की कीलें एवं मृदभांड भी मिले हैं।

फणीगिरी बौद्ध स्थल के बारे में

  • फणीगिरी का नाम वहाँ स्थित पहाड़ी के आकार के कारण पड़ा, जो सांप के फन जैसी प्रतीत होती है। संस्कृत में फणी शब्द का अर्थ है ‘सर्प’ और गिरि का अर्थ है ‘पहाड़ी’।
  • ऐसा माना जाता है कि फणीगिरि दक्कन के पश्चिम एवं पूर्वी तट को जोड़ने वाले प्राचीन व्यापार मार्ग (दक्षिणापथ) में पहाड़ी की चोटी पर रणनीतिक रूप से स्थित महत्वपूर्ण बौद्ध मठों में से एक है। 
    • अनुमानत: 1000 ईसा पूर्व से 18वीं सदी ईस्वी तक गांव में जीवंत जीवन था।

अन्य खोज

  • पुरातत्व विभाग के अनुसार, पहले की खुदाई के विभिन्न चरणों में यहां महास्तूप, अर्धवृत्ताकार चैत्यगृह, मन्नत स्तूप, स्तंभयुक्त मण्डली हॉल, विहार, विभिन्न स्तरों पर सीढ़ियों वाले मंच, अष्टकोणीय स्तूप चैत्य, 24-स्तंभ वाले मंडपम, गोलाकार चैत्य एवं सांस्कृतिक सामग्रियां जैसे टेराकोटा मोती, अर्ध-कीमती मोती, लोहे की वस्तुएं, ब्राह्मी लेबल शिलालेख व पवित्र अवशेष कास्केट मिली हैं।
    • सभी सांस्कृतिक सामग्री पहली शताब्दी ईसा पूर्व से चौथी सदी ईस्वी तक की बताई जाती हैं।
« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR
X