प्रारंभिक परीक्षा- समसामयिकी, IARI, PB-1121, PB -1509 मुख्य परीक्षा- सामान्य अध्ययन, पेपर-3 (कृषि उत्पाद का भंडारण, परिवहन तथा विपणन) |
संदर्भ:
हाल ही में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) के वैज्ञानिकों ने अपने द्वारा विकसित एवं भारत के लिए संरक्षित उच्च उपज वाली बासमती के पाकिस्तान द्वारा अवैध कृषि करने पर कानूनी कारवाई की मांग की है।
IARI द्वारा निर्मित एवं भारत के लिए संरक्षित बासमती किस्में:
- पूसा बासमती-1121 (PB-1121)
- यह किस्म चावल के दाने की लंबाई (औसतन 8 मिमी और पकाने पर लगभग 21.5 मिमी तक) के लिए जानी जाती है।
- IARI ने इसका विकास वर्ष 2003 में किया था।
- इस किस्म को पाकिस्तान में आधिकारिक रूप से PK 1121 Aromatic के रूप में पंजीकृत किया गया है।
- पाकिस्तान द्वारा इसका विपणन '1121 कायनात' के नाम से किया जा रहा है।
- पूसा बासमती -6 (PB -6) का विकास IARI ने वर्ष 2010 में किया था।
- IARI ने PB -1509 का विकास वर्ष 2013 में किया था,
- यह अन्य उच्च उपज वाली बासमती किस्मों के 135-145 दिनों की तुलना में 115-120 दिनों में परिपक्व हो जाता है।
- पाकिस्तान में इसका नाम बदलकर 'किसान बासमती' कर दिया गया है।
- पाकिस्तान ने IARI द्वारा विकसित बासमती के कुछ नए किस्मों के बारे में यूट्यूब पर वीडियो डाला है। ये किस्में हैं;
- पूसा बासमती -1847 (PB-1847), PB -1885 और PB -1886;
- ये किस्में क्रमशः PB-1509, PB-1121 और PB-6 के उन्नत संस्करण हैं।
- तीनों किस्मों का विकास IARI ने वर्ष 2021 में किया था।
- इनका विकास बैक्टीरियल ब्लाइट और राइस ब्लास्ट फंगल रोग के प्रतिरोध के लिए किया गया है।
पाकिस्तान में इन "संरक्षित" किस्मों की कृषि:
- पाकिस्तान में इन "संरक्षित" किस्मों को उगाया जा रहा है।
- पाकिस्तान की बीज कंपनियों ने सीमा पार के खेतों या पंजाब या हरियाणा की थोक मंडियों से कुछ अनाज को ख़रीदा।
- इनको बोने और प्रसंस्करण हानि से बचे अनाज का उपयोग पुनः बुआई के लिए किया गया।
- यह अवैध है क्योंकि इनको केवल भारत में उगाने के लिए संरक्षित किया गया है।
भारत द्वारा बासमती चावल का निर्यात:
- भारत ने वर्ष 2022-23 में 4.79 बिलियन डॉलर मूल्य के 45.61 लाख टन बासमती चावल का निर्यात किया था।
- अप्रैल-जनवरी 2022-23 में 36.56 लाख टन (3.82 बिलियन डॉलर) और अप्रैल-जनवरी 2023-24 में 41.05 लाख टन (4.59 बिलियन डॉलर) का निर्यात किया गया।
- वित्त वर्ष 2024-25 में लगभग 50 लाख टन (5.5 बिलियन डॉलर) के निर्यात के साथ भारत नए स्तर को छू सकता है।
पाकिस्तान द्वारा बासमती चावल का निर्यात:
- पाकिस्तान ने वर्ष 2021-22 में 7.58 लाख टन (694.55 मिलियन डॉलर) और वर्ष 2022-23 (जुलाई-जून) में 5.95 लाख टन (650.42 मिलियन डॉलर) बासमती चावल का निर्यात किया।
- जुलाई-जनवरी 2022-23 की अपेक्षा वर्ष 2023-24 के पहले सात महीनों में इसके निर्यात की मात्रा (3.99 लाख, 24.3% ऊपर) और मूल्य (456.95 मिलियन डॉलर, 35.6%) दोनों में वृद्धि देखा गया है।
भारत को नुकसान:
- पाकिस्तानी रुपये के मूल्य में गिरावट के कारण उसने यूरोपीय संघ और ब्रिटेन को 825-875 डॉलर प्रति टन के भाव पर सुपर कर्नेल बासमती ब्राउन चावल का निर्यात किया।
- भारत द्वारा PB-1 ब्राउन चावल का निर्यात 1,000-1,075 डॉलर प्रति टन के भाव पर किया जा रहा है।
- PB-1 किस्म के गुणवत्ता की तुलना पाकिस्तान के सुपर कर्नेल बासमती ब्राउन चावल से की जा सकती है।
- 2% टूटे हुए अनाज के साथ सफेद बासमती चावल के लिए पाकिस्तान का निर्यात मूल्य 1,005 डॉलर भारत के निर्यात मूल्य 1,180 डॉलर से कम है।
IARI द्वारा विकसित किस्मों की भारत में बुआई:
- वर्ष 2023 खरीफ सीजन में बासमती चावल को लगभग 21.35 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में बोया गया, जिसमें से लगभग 89% क्षेत्र में IARI द्वारा विकसित किस्मों को बोया गया था;
- PB-1121, PB-1718 और PB -1885 को लगभग 9.91 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में बोया गया।
- PB-1509, PB-1692 और PB-1847 को लगभग 6.57 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में बोया गया।
- PB-1, PB-6 और PB-1886 को लगभग 2.51 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में बोया गया।
IARI द्वारा विकसित किस्मों का भारत में पंजीकरण:
- IARI ने जिन किस्मों का विकास किया है, उन्हें बीज अधिनियम, 1966 के तहत अधिसूचित किया गया है।
- यह अधिनियम भारत में बासमती चावल के आधिकारिक तौर पर सीमांकित भौगोलिक क्षेत्र में कृषि के लिए 7 उत्तरी राज्यों को कवर करता है।
- इन किस्मों को ‘किस्मों और किसानों के अधिकार अधिनियम, 2001’ के तहत भी पंजीकृत किया गया है।
- यह अधिनियम केवल भारतीय किसानों को किसी भी संरक्षित/पंजीकृत किस्मों के बीजों को बोने, रखने, पुनः बुआई और विनिमय करने की अनुमति देता है।
- किसान ब्रांडेड पैकेज्ड और लेबल वाले रूप में बीज बेचकर ब्रीडर के अधिकारों का उल्लंघन नहीं कर सकते।
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (Indian Agricultural Research Institute-IARI):
- इसे पूसा संस्थान के नाम से भी जाना जाता है।
- इसकी स्थापना वर्ष 1905 में पूसा (बिहार) में एक अमेरिकी श्री हेनरी फिप्स के 30,000 पाउंड के अनुदान द्वारा की गई।
- उस समय इसे ‘कृषि अनुसंधान संस्थान’ के रूप में जाना जाता था।
- उस समय इसके पांच विभाग थे;
- कृषि, मवेशी प्रजनन, रसायन विज्ञान, आर्थिक वनस्पति विज्ञान और माइकोलॉजी।
- जीवाणु विज्ञान विभाग को वर्ष 1907 में बनाया गया।
- कृषि अनुसंधान संस्थान का नाम बदलकर वर्ष 1911 में ‘इंपीरियल इंस्टीट्यूट ऑफ एग्रीकल्चरल रिसर्च’ कर दिया गया
- वर्ष 1919 में पुनः इसका नाम बदलकर ‘इंपीरियल एग्रीकल्चरल रिसर्च इंस्टीट्यूट’ कर दिया गया।
- बिहार में 15 जनवरी 1934 को आए विनाशकारी भूकंप के बाद इस संस्थान को 29 जुलाई 1936 को दिल्ली में स्थानांतरित कर दिया गया।
- स्वतंत्रता के बाद संस्थान का नाम बदलकर ‘भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान’ कर दिया गया।
- IARI का कार्य;
- लचीले कृषि के लिए प्रौद्योगिकी विकास।
- ऐसी प्रौद्योगिकी जो उत्पादक, पर्यावरण के अनुकूल, टिकाऊ, आर्थिक रूप से लाभदायक और सामाजिक रूप से न्यायसंगत हो।
- नीति निर्माण में योगदान देने के लिए मानव संसाधन विकसित करना।
प्रारंभिक परीक्षा के लिए प्रश्न:
प्रश्न: पूसा बासमती-1121 के बारे में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
- यह किस्म चावल के दाने की लंबाई (औसतन 8 मिमी और पकाने पर लगभग 21.5 मिमी तक) के लिए जानी जाती है।
- यह देहरादून में उगाया जाने वाले बासमती चावल का प्राकृतिक किस्म है।
- पाकिस्तान द्वारा इसका विपणन '1121 कायनात' के नाम से किया जा रहा है।
नीचे दिए गये कूट की सहायता से सही उत्तर का चयन कीजिए।
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर- (c)
मुख्य परीक्षा के लिए प्रश्न:
प्रश्न: हाल ही में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) के वैज्ञानिकों ने अपने द्वारा विकसित एवं भारत के लिए संरक्षित उच्च उपज वाली बासमती के पाकिस्तान द्वारा अवैध कृषि करने पर कानूनी कारवाई की मांग की है। IARI द्वारा विकसित ऐसी किस्मों का परिचय दें।
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