(प्रारंभिक परीक्षा : समसामयिक घटनाक्रम, भारतीय राजनीतिक व्यवस्था) (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2: संसद व राज्य विधायिका- संरचना, कार्य, कार्य-संचालन, शक्तियाँ एवं विशेषाधिकार तथा इनसे उत्पन्न होने वाले विषय) |
संदर्भ
11 मार्च, 2025 को लोकसभा में आव्रजन एवं विदेशी विषयक विधेयक, 2025 (The Immigration and Foreigners Bill, 2025) प्रस्तुत किया गया।
आव्रजन एवं विदेशी विषयक विधेयक, 2025
- परिचय : इस विधेयक में छह अध्याय हैं, जिसमें 35 खंड एवं मौजूदा कानूनों को सामूहिक रूप से एक ही दस्तावेज़ में समाहित किया गया है।
- उद्देश्य : भारत में विदेशियों के आव्रजन, प्रवेश एवं प्रवास को विनियमित करना।
- यह विधेयक निम्नलिखित अधिनियमों को निरस्त करता है :
- पासपोर्ट (भारत में प्रवेश) अधिनियम, 1920
- विदेशियों का पंजीकरण अधिनियम, 1939
- विदेशी नागरिक अधिनियम, 1946
- अप्रवास (वाहक दायित्व) अधिनियम, 2000
- इनमें से तीन कानून ‘संविधान-पूर्व काल’ के हैं जिन्हें प्रथम एवं द्वितीय विश्व युद्ध के ‘असाधारण समय’ के दौरान लाया गया था।
आव्रजन एवं विदेशी विषयक विधेयक की मुख्य विशेषताएँ
आव्रजन (Immigration)
- पासपोर्ट (भारत में प्रवेश) अधिनियम, 1920 केंद्र सरकार को भारत में प्रवेश करने वाले व्यक्तियों के लिए पासपोर्ट रखने के लिए नियम बनाने का अधिकार देता है।
- प्रस्तुत विधेयक में प्रावधान है कि भारत में प्रवेश करने या यहाँ से जाने वाले व्यक्तियों के पास वैध पासपोर्ट या अन्य वैध यात्रा दस्तावेजों के साथ वैध वीजा (विदेशियों के लिए) भी होना चाहिए।
- इन दस्तावेजों की जाँच आव्रजन अधिकारी द्वारा की जा सकती है।
- यह विधेयक केंद्र सरकार को भारत में प्रवेश करने और भारत से बाहर निकलने के लिए नामित आव्रजन चौकियों को अधिसूचित करने का अधिकार देता है।
- इन चौकियों पर आव्रजन अधिकारी या अन्य निर्दिष्ट अधिकारी तैनात होंगे।
- यह विधेयक आव्रजन कार्यों एवं अन्य निर्धारित कार्यों को करने के लिए आव्रजन ब्यूरो की स्थापना का प्रावधान करता है।
- आव्रजन कार्यों में निम्नलिखित शामिल हैं :
- वीजा जारी करना और भारत में प्रवेश का विनियमन, या
- भारत में पारगमन, प्रवास और भारत से बाहर निकलना
- केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त ब्यूरो का आयुक्त, आव्रजन एवं अन्य निर्धारित कार्यों की निगरानी करेगा।
प्रवेश से वंचन
- विधेयक के अनुसार, किसी भी विदेशी को भारत में प्रवेश करने या रहने की अनुमति नहीं दी जाएगी यदि वह भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा, संप्रभुता एवं अखंडता के लिए खतरा, किसी विदेशी देश के साथ संबंधों या सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए खतरा या ऐसे अन्य आधारों पर अयोग्य पाया जाता है, जैसा केंद्र सरकार निर्दिष्ट करती है।
- पहले किसी भी कानून या नियमों में इन कारणों का स्पष्ट उल्लेख नहीं किया गया था।
- इस मामले में आव्रजन अधिकारी का निर्णय अंतिम एवं बाध्यकारी होगा।
विदेशियों का पंजीकरण
- विदेशियों का पंजीकरण अधिनियम, 1939 केंद्र सरकार को विदेशियों के लिए नियम बनाने का अधिकार प्रदान करता है ताकि वे अपनी उपस्थिति की सूचना निर्धारित प्राधिकारी को दे सकें।
- इस विधेयक में प्रावधान है कि भारत आने पर विदेशियों को पंजीकरण अधिकारी के समक्ष पंजीकरण कराना होगा।
निर्धारित जानकारी प्रदान करने के लिए व्यक्तियों/संस्थाओं का दायित्व
- विदेशी नागरिक अधिनियम, 1946 में यात्रियों/चालक दल को ले जाने वाले जहाज के स्वामियों/विमानों के पायलटों पर जहाज पर सवार विदेशियों के बारे में निर्धारित जानकारी प्रदान करने का दायित्व डाला गया है।
- विदेशियों को आवास प्रदान करने वाले होटल संचालकों को भी ऐसी जानकारी प्रदान करनी होगी।
- विधेयक में भारत में उतरने या विमान से उतरने वाले वाहकों (Carriers) को जहाज पर सवार चालक दल/यात्रियों की जानकारी नागरिक प्राधिकरण या आव्रजन अधिकारी को प्रदान करने की आवश्यकता है।
- विधेयक में यह भी कहा गया है कि शैक्षणिक संस्थानों को विदेशियों को प्रवेश देने के बारे में पंजीकरण अधिकारी को निर्धारित जानकारी प्रदान करनी चाहिए।
- चिकित्सा संस्थानों को इनडोर उपचार का लाभ उठाने वाले विदेशी रोगियों या आवास सुविधाओं का लाभ उठाने वाले उनके परिचारकों के बारे में पंजीकरण अधिकारी को जानकारी प्रदान करनी चाहिए।
वाहक (Carriers)
- अप्रवास (वाहक दायित्व) अधिनियम, 2000 के अनुसार वाहक वह व्यक्ति या व्यक्तियों का समूह है जो जल या वायु मार्ग से यात्रियों के परिवहन के व्यवसाय में संलग्न है।
- विधेयक में परिभाषा का विस्तार करते हुए इसमें विमान, जहाज या परिवहन के किसी अन्य साधन के माध्यम से वायु, जल या भूमि द्वारा यात्रियों तथा माल के परिवहन को शामिल किया गया है।
- विधेयक में विमान/जहाज/परिवहन के किसी अन्य साधन को भी भारत से प्रस्थान करने से प्रतिबंधित किया गया है जब तक कि आव्रजन अधिकारी से मंजूरी नहीं मिल जाती है।
- यह मंजूरी एक निर्धारित सामान्य घोषणा प्रस्तुत करने पर दी जाएगी।
अपराध एवं दंड
- चारों अधिनियम विभिन्न प्रावधानों के उल्लंघन पर दंड लगाने का प्रावधान करते हैं।
- यह विधेयक कुछ अपराधों के लिए दंड में बदलाव करने का प्रयास करता है।
- उदाहरण के लिए, पासपोर्ट (भारत में प्रवेश) अधिनियम 1920 के तहत वैध पासपोर्ट के बिना प्रवेश करने पर पाँच वर्ष तक की कैद, 50,000 रुपए तक का जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।
- इस विधेयक में वैध पासपोर्ट या अन्य यात्रा दस्तावेजों के बिना प्रवेश करने वाले विदेशियों को पाँच वर्ष तक की कैद, पाँच लाख रुपए तक का जुर्माना या दोनों से दंडित करने का प्रावधान है।
- वीज़ा अवधि से अधिक समय तक रुकने पर तीन वर्ष की सजा और 3 लाख रुपए तक का जुर्माना हो सकता है।
गिरफ़्तारी की शक्ति
- पासपोर्ट (भारत में प्रवेश) अधिनियम, 1920 किसी भी पुलिस अधिकारी (सब-इंस्पेक्टर से नीचे का पद नहीं) और सीमा शुल्क विभाग के किसी भी अधिकारी को बिना पासपोर्ट के भारत में प्रवेश करने वाले व्यक्तियों को बिना वारंट के गिरफ़्तार करने का अधिकार देता है।
- यह विधेयक हेड कांस्टेबल से नीचे के पद के पुलिस अधिकारियों को बिना वारंट के गिरफ़्तार करने का अधिकार देता है।
स्पष्ट परिभाषाएँ
- यह आव्रजन अधिकारी के कार्यों, पासपोर्ट एवं वीज़ा की आवश्यकताओं व विदेशियों और उनके पंजीकरण से संबंधित मामलों को स्पष्ट रूप से परिभाषित करता है।
- हालाँकि, आव्रजन ब्यूरो (BoI) पहले से ही मौजूद है किंतु यह विधेयक आव्रजन कार्यों, आव्रजन अधिकारी एवं BoI के लिए कानूनी बैकअप प्रदान करने का प्रयास करता है।
- यह विश्वविद्यालयों एवं शैक्षणिक संस्थानों, अस्पतालों, नर्सिंग होम व चिकित्सा संस्थानों में किसी भी विदेशी को प्रवेश देने के दायित्वों से संबंधित प्रावधानों को परिभाषित करता है।
राज्यों के अधिकार
- गृह मंत्रालय ने वर्ष 2024 में झारखंड उच्च न्यायालय को सूचित किया था कि केंद्र सरकार के पास अवैध रूप से निवास कर रहे विदेशियों का पता लगाने और उन्हें निर्वासित करने के लिए विशेष रूप से समर्पित कोई अलग संघीय पुलिस बल नहीं है, इसलिए इस संबंध में कार्रवाई राज्य पुलिस को सौंपी गई है।
- 24 अप्रैल, 2014 और 1 जुलाई, 2019 को जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार, यदि किसी विदेशी के पास वैध यात्रा दस्तावेज/पासपोर्ट है और उसके खिलाफ कोई अन्य अदालती मामला लंबित नहीं है तो उसे राज्य सरकार द्वारा सजा/अदालती कार्यवाही पूरी होने के बाद निर्वासित किया जा सकता है।
हिरासत केंद्र
- इस विधेयक में ‘हिरासत केंद्र’ शब्द का इस्तेमाल नहीं किया गया है। विधेयक की धारा 13 में कहा गया है कि विदेशियों को निवास के लिए अलग से निर्धारित स्थान पर निगरानी में रहना आवश्यक है।
- ऐसे स्थान रखरखाव, अनुशासन एवं अपराधों व अनुशासन के उल्लंघन की सजा की शर्तों के अधीन होंगे, जैसा केंद्र सरकार समय-समय पर निर्धारित कर सकती है।
- वर्ष 2019 में सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश के बाद गृह मंत्रालय ने वैध यात्रा दस्तावेजों के अभाव में निर्वासन की प्रतीक्षा कर रहे विदेशी नागरिकों की आवाजाही को प्रतिबंधित करने और यह सुनिश्चित करने के लिए हिरासत केंद्र मैनुअल को अंतिम रूप दिया कि वे शीघ्र प्रत्यावर्तन एवं निर्वासन के लिए हर समय शारीरिक रूप से उपलब्ध रहें।
- मैनुअल में कहा गया है कि राज्यों को हिरासत केंद्र/होल्डिंग सेंटर/कैंप स्थापित करने के लिए गृह मंत्रालय से ‘किसी विशेष अनुमोदन’ की आवश्यकता नहीं है।