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‘टी.बी.-मुक्त भारत’ पर कोविड-19 महामारी का दुष्प्रभाव

(प्रारंभिक परीक्षा-  राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-2 : स्वास्थ्य और मानव संसाधनों से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित विषय) 

संदर्भ 

  • कोविड-19 महामारी के कारण टी.बी. उन्मूलन कार्यक्रम में भारी व्यवधान उत्पन्न हुआ है। इसने विश्व स्तर पर सरकारों को अपने नागरिकों के प्रति सार्वजनिक स्वास्थ्य के बारे में अधिक जागरूक होने के लिये मजबूर किया है।
  • विदित है कि वित्त मंत्री ने वर्ष 2021-2022 के अपने पूर्व-बजट भाषण में समग्र स्वास्थ्य और कल्याण को सुदृढ़ करने के लिये सरकार की नीतियों की घोषणा की थी। हालाँकि, इसमें तपेदिक जैसी अन्य संक्रामक बीमारियों के समाधान से जुड़ी उचित रूपरेखा को शामिल नहीं किया गया था।

वैश्विक तपेदिक रिपोर्ट, 2021 

इसे विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यू.एच.ओ.) द्वारा प्रत्येक वर्ष जारी किया जाता है। रिपोर्ट के निष्कर्ष इस प्रकार हैं-

  • रिपोर्ट के अनुसार, टी.बी. से जुड़े मामलों की सूचनाओं में पूर्व वर्ष की तुलना में 18% की गिरावट आई है, जो संभवतः वैश्विक तपेदिक उन्मूलन कार्यक्रमों पर कोविड-19 महामारी के प्रभाव का सबसे बड़ा संकेतक है। 
  • इस बीमारी के वैश्विक बोझ का एक-चौथाई हिस्सा भारत में है। भारत उन शीर्ष देशों में शामिल है, जिसमें वर्ष 2019-20 के बीच टी.बी. से जुड़े मामलों को कम अधिसूचित किया गया। डब्ल्यू.एच.ओ. का अनुमान है कि वर्तमान में लगभग 40 लाख लोग टी.बी. से पीड़ित हैं। ये मामले या तो आधिकारिक तौर पर सूचित नहीं किये गये हैं या इनकी पहचान नहीं की गई है।
  • वर्ष 2020 में टी.बी. से होने वाली मौतों में वृद्धि हुई है। डब्ल्यू.एच.ओ. का अनुमान है कि वर्ष 2021-22 में लोगों में टी.बी. के विकास और इससे मरने वालों की संख्या अत्यधिक हो सकती है।

भारत की रणनीति

  • वर्ष 2016 से भारत टी.बी. उन्मूलन के वैश्विक लक्ष्य (वर्ष 2030 तक) से पाँच वर्ष पूर्व ही वर्ष 2025 तक देश को टी.बी. मुक्त करने के लिये मिशन मोड पर कार्य कर रहा है।
  • इस बीमारी से निपटने के लिये बजट में चार गुना वृद्धि और टी.बी. उन्मूलन के लिये रोगी-केंद्रित राष्ट्रीय रणनीति के साथ भारत ने अपने लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में अच्छी प्रगति भी की है। 
  • हालाँकि, कोविड-19 महामारी के कारण बड़े पैमाने पर व्यवधान भी उत्पन्न हुए हैं क्योंकि मानव और तकनीकी संसाधनों को कोरोना वायरस को नियंत्रित करने में लगा दिया गया है।

आगे की राह 

  • कोविड-19 से स्वास्थ्य क्षेत्र में उत्पन्न हुए अंतर को पूरा करने  के लिये राष्ट्रीय स्तर पर अधिक वित्त और सहायक नीतियों को आगे बढ़ाने आवश्यकता है। 
  • ‘टी.बी. मुक्त भारत’ के लक्ष्य को प्राप्त करने में नागरिकों के साथ-साथ सामुदायिक नेताओं की भागीदारी भी महत्त्वपूर्ण है। 
  • टी.बी. के विरुद्ध जनांदोलन को तब तक जीवंत बनाए रखना होगा जब तक कि सबसे कमज़ोर व्यक्ति इससे स्वयं को सुरक्षित नहीं कर लेता।

 

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