चर्चा में क्यों
हाल ही में बढ़ते समुद्री जलस्तर की चिंताओं के कारण पनामा के गुना याला प्रांत के गार्डी सुगदुब द्वीप से लगभग 300 परिवारों को स्थानांतरित किया गया है। मुख्य रूप से ग्लोबल वार्मिंग के कारण समुद्री जलस्तर में तेजी से वृद्धि हो रही है जिससे संवेदनशील तटीय क्षेत्र और ग्लोबल साउथ के देश सबसे अधिक प्रभावित हैं।
वैश्विक समुद्र जलस्तर वृद्धि
- 1880 के बाद से, वैश्विक समुद्र का स्तर लगभग 21-24 सेंटीमीटर बढ़ गया है और हाल के दशकों में वृद्धि की दर काफी तेज हुई है ।
- ग्लोबल वार्मिंग इसका एक मुख्य कारण है, 1880 के बाद से वैश्विक औसत तापमान में लगभग 1.1 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि हुई है।
गुना याला (Guna Yala) की स्थिति
- पनामा के उत्तरी तट गुना याला क्षेत्र में भूमि की एक पट्टी और 350 से अधिक आस-पास के द्वीप शामिल हैं।
- गार्डी सुगदुब द्वीप के लोगों को गुना याला की मुख्य भूमि पर नुएवो कार्टी नामक एक नवनिर्मित आवास विकास में बसाया जा रहा है
- वर्तमान में समुद्र का स्तर औसतन 3-4 मिलीमीटर प्रतिवर्ष बढ़ रहा है।
- वैश्विक तापमान में वृद्धि के साथ, 2100 के अंत तक यह 1 सेंटीमीटर प्रतिवर्ष या उससे अधिक तक पहुँचने की उम्मीद है।
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समुद्र स्तर में वृद्धि के कारण
- जलवायु परिवर्तन : जलवायु परिवर्तन के कारण ध्रुवीय बर्फ की चादरों और ग्लेशियरों का लगातार पिघलना जारी है, जिससे समुद्र में जल की मात्रा बढ़ रही है।
- थर्मल विस्तार : जब समुद्र का पानी गर्म होता है तो इसमें विस्तार होता है जिससे समुद्र का स्तर बढ़ता है।
- मानव गतिविधियाँ : वन-विनाश, शहरीकरण और औद्योगिकीकरण जैसे मानवीय क्रियाकलाप भी जलवायु परिवर्तन को बढ़ावा देते हैं जो अंततः समुद्र स्तर में वृद्धि का कारण बनते हैं।
द्वीपीय राष्ट्रों पर प्रभाव
- जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी पैनल (IPCC) की 2022 की रिपोर्ट के अनुसार, छोटे द्वीप अपनी कम ऊंचाई और समुद्री संसाधनों पर उच्च निर्भरता के कारण इन परिवर्तनों के लिए विशेष रूप से असुरक्षित हैं, ये प्रभाव निम्नलिखित हैं :
- भौगोलिक प्रभाव : समुद्र स्तर में वृद्धि के कारण कई द्वीप राष्ट्र जलमग्न हो सकते हैं। यह न केवल उनकी भूमि क्षेत्र को घटाता है, बल्कि उनकी राष्ट्रीय सीमाओं को भी प्रभावित करता है।
- आर्थिक प्रभाव : द्वीपीय राष्ट्रों की अर्थव्यवस्था का एक बड़ा हिस्सा पर्यटन, मत्स्य पालन और कृषि पर निर्भर है। समुद्र स्तर में वृद्धि इन क्षेत्रों को नुकसान पहुँचा सकती है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति कमजोर हो सकती है।
- सामाजिक प्रभाव :
- समुद्र स्तर में वृद्धि के कारण द्वीपों पर रहने वाले लोगों को अपने घरों को छोड़ना पड़ सकता है, जिससे पर्यावरणीय शरणार्थियों की संख्या बढ़ सकती है।
- तुवालु, मार्शल द्वीप और किरिबाती जैसे छोटे विकासशील द्वीप देश (Small island developing states : SIDS) बढ़ते समुद्री स्तर के कुछ सबसे नाटकीय प्रभावों का अनुभव कर रहे हैं। ये द्वीप अपनी भूमि खोने के साथ-साथ अपनी संस्कृति जैसे खतरों का सामना कर रहे हैं।
- गुना याला में रहने वाले लोग अपने जीवंत मोलास के लिए जाने जाते हैं।
- मोलास जटिल रूप से सिले हुए कपड़े हैं जो कलात्मक अभिव्यक्ति और सांस्कृतिक पहचान दोनों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
- स्वास्थ्य पर प्रभाव : जलभराव और खारे पानी के मिश्रण से पीने के पानी की गुणवत्ता प्रभावित होती है, जिससे जलजनित बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।
- जैव विविधता पर प्रभाव :
- समुद्र स्तर में वृद्धि समुद्री और तटीय पारिस्थितिक तंत्रों को प्रभावित कर सकती है, जिससे स्थानीय वनस्पति और जीव-जंतुओं की प्रजातियों पर खतरा मंडरा सकता है।
- समुद्री जल के बढ़ते स्तर, तूफानी लहरों और 'किंग टाइड्स' (तटीय स्थान पर वर्ष का सबसे ऊँचा ज्वार) के साथ मिलकर तटीय कटाव, मीठे पानी के संसाधनों का खारापन और चरम मौसम की घटनाओं के प्रति बढ़ती भेद्यता का कारण बन रहे हैं।
सुझाव
- अनुकूलन रणनीतियाँ : तटीय संरचनाओं को मजबूत करना, जल प्रबंधन प्रणालियों को सुधारना और समुद्र स्तर में वृद्धि के प्रभावों को कम करने के लिए तकनीकी उपाय अपनाना।
- ग्लोबल वार्मिंग को रोकना : ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करने के लिए वैश्विक स्तर पर प्रयास करना, नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का उपयोग बढ़ाना और वनों की कटाई को रोकना।
- अंतर्राष्ट्रीय सहयोग : द्वीपीय राष्ट्रों को वित्तीय और तकनीकी सहायता प्रदान करना ताकि वे समुद्र स्तर में वृद्धि के प्रभावों का सामना कर सकें।
निष्कर्ष
समुद्र स्तर में वृद्धि एक गंभीर समस्या है, जिसका द्वीप राष्ट्रों पर व्यापक और दीर्घकालिक प्रभाव पड़ सकता है। यह आवश्यक है कि वैश्विक समुदाय मिलकर इस समस्या का समाधान खोजे और द्वीपीय राष्ट्रों की सुरक्षा और स्थिरता को सुनिश्चित करे।