(प्रारंभिक परीक्षा : समसामयिक अंतर्राष्ट्रीय घटनाक्रम) (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 1 व 2: महिलाओं की भूमिका और महिला संगठन, भारतीय समाज पर भूमंडलीकरण का प्रभाव, सामाजिक सशक्तीकरण, भारत के हितों पर विकसित तथा विकासशील देशों की नीतियों तथा राजनीति का प्रभाव) |
संदर्भ
20 जनवरी, 2025 को अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने अमेरिकी सरकार की दो से अधिक जेंडर की पुरानी नीति को समाप्त करते हुए दो जेंडर नीति की घोषणा की है।
अमेरिका की दो जेंडर नीति के बारे में
- क्या है : दो जेंडर नीति लागू होने के बाद अमेरिका में आधिकारिक रूप से पुरुष एवं महिला केवल दो जेंडर रह गए हैं।
- इन दोनों के अलावा थर्ड जेंडर सहित अन्य सभी जेंडर आइडेंटिटी जैसे LGBTQIA+ को सरकार द्वारा आधिकारिक रूप से समाप्त कर दिया गया है।
- नीति का उद्देश्य : जेंडर विचारधारा के कथित अतिक्रमण से महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करना।
- जेंडर शब्द अनिवार्य : अमेरिकी सरकार ने पासपोर्ट एवं वीजा जैसे आधिकारिक दस्तावेजों सहित सभी सरकारी संचार कार्यों में जेंडर शब्द का उपयोग अनिवार्य कर दिया है।
- जेंडर पहचान पहल पर रोक : अमेरिकी सरकार ने जेंडर पहचान या यौन अभिविन्यास के आधार पर भेदभाव को रोकने वाली विभिन्न पहलों एवं उनके वित्तपोषण को वापस ले लिया है।
- प्रभाव : इससे LGBTQ+ समुदाय के अधिकारों पर प्रभाव पड़ सकता है और विशेषकर ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के कानूनी एवं सामाजिक अधिकारों में कमी आ सकती है।
सेक्स एवं जेंडर में अंतर
- सेक्स (लिंग) : यह जन्म के समय प्रदान किए गए लेबल को संदर्भित करता है जो प्राय: जननांग आधारित होता है।
- जेंडर (लैंगिक) : जेंडर सामाजिक रूप से निर्मित भूमिकाओं, व्यवहारों, अभिव्यक्तियों एवं पहचानों को संदर्भित करता है जो जन्म के समय के सेक्स से जुड़े हो सकते हैं या नहीं भी हो सकते हैं।
- प्रमुख अंतर : सेक्स को एक बाइनरी के रूप में देखा जाता है अर्थात पुरुष या महिला, जबकि जेंडर पहचान को एक स्पेक्ट्रम के रूप में देखा जाता है।
- उदाहरण के लिए, एलन मस्क का पुत्र स्वयं ही हॉर्मोन थेरेपी के प्रयोग से किशोरावस्था में ही ट्रांसजेंडर में परिवर्तित हो गया और अपना नाम जेवियर अलेक्जेंडर मस्क से विवियन जेना विल्सन रख लिया।
क्या है ‘LGBTQIA+’ समुदाय
- L- ‘लेस्बियन’ : उन महिलाओं को कहते हैं, जो शारीरिक और भावनात्मक रूप से महिलाओं को पसंद करती हैं।
- G- ‘गे’ : उन पुरुषों को कहते हैं, जो शारीरिक एवं भावनात्मक रूप से पुरुषों को पसंद करते हैं।
- B- ‘बाइसेक्सुअल’ (उभयलिंगी) : उन व्यक्तियों को कहते है, जिन्हें महिला एवं पुरुष दोनों पसंद होते हैं।
- T- ‘ट्रांसजेंडर’ (लिंग-परिवर्तन वाले) : उन व्यक्तियों को कहते हैं, जो अपने जन्म के समय के मूल लिंग में परिवर्तन कर लेते हैं, अर्थात पुरुष से महिला या महिला से पुरुष बनने वाले लोग।
- Q- ‘क्वीर’ (Queer) : उन व्यक्तियों को कहते हैं, जो अपनी पसंद को लेकर अनिर्णय की स्थिति में होते हैं।
- I- ‘इंटरसेक्स’ : उन व्यक्तियों को कहते हैं, जिनके शरीर दोनों लिंगों (स्त्री या पुरुष) की तय परिभाषा के अनुसार नहीं होते हैं। कभी-कभी ऐसे व्यक्तियों में दोनों के गुण भी दिखाई पड़ते हैं।
- A- ‘एसेक्सुअल’ (अलैंगिक) : उन व्यक्तियों को कहते हैं, जिन्हें किसी से भी शारीरिक लगाव नहीं होता है।
- पहले इनके एकीकृत वर्ग को LGBTQ के नाम से जाना जाता था, किंतु वर्तमान में इसमें कुछ नई श्रेणियों को शामिल करके इसे LGBTQIA+ के रूप में विस्तारित कर दिया गया है।
- इसमें ‘+’ अन्य जेंडर आइडेंटिटी का प्रतिनिधित्व करता है जो विशेष रूप से इन अक्षरों में शामिल नहीं हैं।
- LGBTQ ध्वज में 6 रंग- लाल, नारंगी, पीला, हरा, नीला एवं बैंगनी हैं।
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वर्तमान नीति के नीतिगत निहितार्थ
सकारात्मक
- इससे अमेरिका में ऐसी संस्थाओं के संघीय वित्त पोषण में कमी आएगी जो बचपन में हो रहे शारीरिक एवं मानसिक अस्थायी परिवर्तनों का लाभ उठाकर उन्हें सर्जरी या हार्मोन थेरेपी के लिए प्रेरित या भ्रमित करते हैं।
- ट्रांसजेंडर पुरुषों द्वारा महिलाओं के घरेलू एवं कार्यस्थल पर होने वाले उत्पीड़न की घटनाओं में कमी आएगी।
- ट्रांसजेंडर एथलीटों को उनकी पसंदीदा जेंडर पहचान के तहत खेलों में भाग लेने से रोकने में मदद मिलेगी।
- सार्वजनिक स्थलों पर शौचालय व स्नानघरों आदि के प्रयोग में महिलाओं के अधिकारों की सुरक्षा हो सकेगी।
- परिवार में उत्तराधिकार संबंधी मुद्दों का सरलीकरण किया जा सकेगा।
नकारात्मक
- हालाँकि, इस नीति से विविधता, समानता व समावेशन कार्यक्रमों को समाप्त कर दिया गया है। इससे समाज के संवेदनशील वर्ग के मुख्य धारा में लाने के प्रयास में रुकावट आएगी।
- ट्रांसजेंडर अधिकारों के लिए जारी नागरिक सुरक्षा आंदोलन को झटका लगेगा।
- वित्तीय फंडिंग में कमी से संघीय चिकित्सा बीमा कवरेज पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ने की संभावना है।
- इस नीति ने जेंडर विविधता एवं नागरिक अधिकार सुरक्षा के बीच संतुलन पर चर्चा को पुन: शुरू कर दिया है।
- इस नीति से न केवल अमेरिका में बल्कि वैश्विक स्तर पर सर्वाधिक प्रताड़ित एवं संवेदनशील ट्रांसजेंडर समुदाय के प्रति सामाजिक अलगाव में वृद्धि होगी।
इसे भी जानिए!
अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा जारी कार्यकारी आदेश की शक्तियां
- क्या होता है कार्यकारी आदेश (Executive Order) : यह संघीय सरकार के कामकाज के प्रबंधन के लिए अमेरिका के राष्ट्रपति की तरफ से जारी किया गया आदेश होता है।
- यह एक लिखित आदेश होता है जिसके लिए कांग्रेस की मंजूरी की जरूरत नहीं होती है।
- यह आदेश अमेरिकी राष्ट्रपति को संप्रभु रूप से कार्य करने का अधिकार देता है।
- अमेरिकी सरकार के प्रमुख और देश के सशस्त्र बलों के कमांडर-इन-चीफ के रूप में केवल अमेरिका के राष्ट्रपति ही कार्यकारी आदेश जारी कर सकते हैं।
- संवैधानिक अधिकार : अमेरिकी संविधान का ‘अनुच्छेद 2’ वहां के राष्ट्रपति को ये अधिकार देता है।
- समय सीमा : एक बार अगर राष्ट्रपति कार्यकारी आदेश जारी कर दे, तो वह तब तक लागू रहता है, जब तक कि इसे रद्द नहीं कर दिया जाता है, निरस्त नहीं कर दिया जाता है, गैरकानूनी घोषित नहीं कर दिया जाता है या उनकी अवधि समाप्त नहीं हो जाती है।
- संशोधन या रद्द करना : राष्ट्रपति किसी भी समय किसी भी कार्यकारी आदेश को रद्द कर सकते हैं। उसमें संशोधन कर सकते हैं। चाहे वह आदेश मौजूदा राष्ट्रपति की तरफ से जारी किया गया हो या किसी पूर्व राष्ट्रपति द्वारा।
- कानूनी समीक्षा : अमेरिकी संसद में कार्यकारी आदेश की वैधता और इसके प्रारूप की कानूनी समीक्षा की जा सकती है।
- अगर आदेशों को कानून या संविधान द्वारा समर्थन नहीं मिलता है तो उन्हें संसद द्वारा कानून बनाकर रद्द किया जा सकता है।
- वीटो शक्ति : हालाँकि, राष्ट्रपति के पास कार्यकारी आदेश को रद्द करने हेतु कांग्रेस द्वारा बनाए गए कानून पर वीटो शक्ति प्राप्त होती है।
- दो-तिहाई बहुमत : कांग्रेस कार्यकारी आदेश खत्म करने के लिए दो-तिहाई बहुमत के साथ राष्ट्रपति के वीटो को भी रद्द कर सकती है।
भारत के राष्ट्रपति से तुलना
- सीमित शक्तियां : भारत में राष्ट्रपति के पास सीमित कार्यकारी शक्तियाँ होती हैं, वह राष्ट्र प्रमुख के रूप में औपचारिक भूमिका का निर्वहन करता है, जबकि वास्तविक शक्ति प्रधानमंत्री के पास होती है।
- मंत्रिमंडल की सलाह अनिवार्य : भारत में राष्ट्रपति द्वारा सभी कार्यकारी आदेश प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाले मंत्रिमंडल की सलाह से ही जारी किए जाते हैं।
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