(प्रारम्भिक परीक्षा: राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3: सीमावर्ती क्षेत्रों में सुरक्षा चुनौतियाँ एवं उनका प्रबंधन, विभिन्न सुरक्षा बल और संस्थाएँ तथा उनके अधिदेश)
चर्चा में क्यों?
सरकार ने डी. बी. शेकटकर (D. B. Shekatkar) की अध्यक्षता में गठित विशेषज्ञों की समिति (CoE) की तीन महत्त्वपूर्ण सिफारिशों को स्वीकार करते हुए लागू कर दिया है। यह सिफारिशें उत्तरी सीमावर्ती क्षेत्रों में अवसंरचना से सम्बंधित है। मई 2016 में केंद्र सरकार द्वारा भारत के सैन्य बलों की क्षमताओं को बेहतर ढंग से उपयोग में लाने हेतु इस समिति का गठन किया गया था। इसकी कुछ सिफारिशें सरकार पहले ही लागू कर चुकी है।
स्वीकृत सिफारिशें
- सीमावर्ती क्षेत्रों में सड़क निर्माण में तेजी लाने तथा इसके लिये अन्य सुधार करने सम्बंधी अनुशंसा स्वीकार कर ली गई है। सीमा पर ढाँचागत अवसंरचना निर्माण से सम्बंधित मामलें पर, सरकार ने सीमा सड़क संगठन (बी.आर.ओ.) की अधिकतम क्षमता से अतिरिक्त सड़क निर्माण कार्य को आउटसोर्स करने की मंज़ूरी दे दी है।
- इसका उद्देश्य निजी क्षेत्र की सड़क निर्माण एजेंसियों को आगे लाना तथा बी.आर.ओ. पर भारी दबाव को कम करना है। बी.आर.ओ. सड़क और राजमार्गों के मौजूदा नेटवर्क को बनाए रखने के लिये संघर्षरत है और उन इलाकों में नई सड़कों का निर्माण करता है जो आजादी के बाद से सड़क नेटवर्क से कटे हुए थे।
- इसके अलावा, 100 करोड़ रुपये से अधिक लागत वाले सभी कार्यों के कार्यान्वयन के लिये इंजीनियरिंग प्रोक्योरमेंट कॉन्ट्रैक्ट (अभियांत्रिकी खरीद अनुबंध- ई.पी.सी.) मोड को अपनाना अनिवार्य बना दिया गया है।
- आधुनिक निर्माण संयंत्रों की स्थापना करने और उपकरणों व मशीनरी की खरीद करने सम्बंधी सुझाव भी लागू कर दिये गए हैं। इसे लागू करते हुए बी.आर.ओ. की खरीद क्षमता को 7.5 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 100 करोड़ रुपये कर दिया गया है। बी.आर.ओ. घरेलू और विदेशी दोनों प्रकार की खरीद कर सकती है।
- सीमा सड़क संगठन ने हाल ही में सड़कों के तेजी से निर्माण के लिये हॉट-मिक्स प्लांट 20/30 टी.पी.एच., हार्ड रॉक कटिंग के लिये रिमोट संचालित हाइड्रोलिक रॉक ड्रिल डी.सी.-400 आर. और तेजी से बर्फ की निकासी के लिये एफ-90 श्रृंखला के स्व-चालित स्नो-कटर/ब्लोअर को शामिल किया है।
- आधुनिकीकरण बी.आर.ओ. के लिये आवश्यक हो जाता है क्योंकी यह विभिन्न प्रकार के कठिनतम कार्यों में संलग्न है। बी.आर.ओ. द्वारा रोहतांग दर्रे को अंडरपास करने के लिये मनाली के निकट अटल बिहारी वाजपेयी सुरंग और धारचूला (उत्तराखंड) से लिपुलेख (चीन सीमा) तक 80 किमी. लम्बे कैलाश मानसरोवर मार्ग का निर्माण इसका उदहारण है।
- नई तकनीक निर्माण कार्य में तेज़ी लाएगी। इसके लिये कई तकनीकों का प्रयोग किया जा रहा है, जैसे- सटीक विस्फोट (Precision Blasting) तकनीक, मिट्टी स्थिरीकरण के लिये जियो-टेक्सटाइल्स का उपयोग, फुटपाथों के लिये सीमेंट बेस का प्रयोग और सतह निर्माण के लिये प्लास्टिक कोटेड सामग्री का प्रयोग आदि।
- तीसरी अनुशंसा को लागू करते हुए भूमि अधिग्रहण तथा वन व पर्यावरण जैसी सभी वैधानिक स्वीकृत को भी विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डी.पी.आर.) की मंज़ूरी का हिस्सा बनाया गया है।
- इसके अलावा, कार्य निष्पादन के लिये ई.पी.सी. मोड को अपनाने के साथ कार्य प्रारम्भ करने से पूर्व वैधानिक स्वीकृति को आवश्यक कर दिया गया है। इसके तहत किसी कार्य को शुरू करने का आदेश तभी दिया जाएगा, जब वैधानिक मंज़ूरी के 90 % हिस्से की स्वीकृति प्राप्त की कर ली गयी गई हो।
डी. बी. शेकटकर समिति (D. B. Shekatkar Committee)
मई 2016 में सेवानिवृत लेफ्टिनेंट जनरल डी. बी. शेकटकर की अध्यक्षता में केंद्र सरकार द्वारा 11 सदस्यीय समिति का गठन किया गया था। इसका गठन युद्धक क्षमता में वृद्धि और सशस्त्र बलों के रक्षा व्यय को पुनः संतुलित करने सम्बंधी उपाय सुझाने के लिये किया गया था। इस समिति ने दिसम्बर 2016 में अपनी अंतिम रिपोर्ट तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर को सौंपी थी। कई सुझावों सहित इस समिति ने चीफ़ ऑफ़ डिफेंस स्टाफ़ तथा सैन्य मामलों के विभाग के गठन का प्रस्ताव सुझाया था। समिति के अनुसार, यदि अगले पाँच वर्षों में इसकी अधिकांश सिफारिशें लागू हो जाती हैं, तो सरकार अपने मौजूदा खर्च से 25,000 करोड़ रुपये तक बचा सकती है। सैन्य सुझावों से सम्बंधित अन्य प्रमुख समितियाँ कारगिल समीक्षा समिति और नरेश चंद्रा टास्क फ़ोर्स आदि हैं।
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कार्यान्वयन के अंतर्गत समिति द्वारा की गई अन्य सिफारिशें
- इस समिति की कुछ अनुशंसाएँ लागू की जा चुकी हैं। इनमें सिग्नल प्रतिष्ठानों का अनुकूलन, सेना की मरम्मत इकाइयों का पुनर्गठन करना और वाहन नियंत्रण विभाग का आधुनिकीकरण शामिल है।
- इसके अलावा, उन क्षेत्रों में स्थापित सैन्य फॉर्म्स व सैन्य डाक चौकियों को बंद करने की सिफारिश भी की गई थी, जहाँ अब शांति स्थापित हो चुकी है अथवा युद्ध की सम्भावना नहीं है।
- सेना में लिपिक सम्वर्ग के कर्मचारियों और चालकों की भर्ती के लिये मानकों में वृद्धि और राष्ट्रीय कैडेट कोर की दक्षता में सुधार जैसी सिफारिशें भी लागू की जा चुकी है।
सुधारों हेतु अन्य सुझाव
- भारत का रक्षा बजट भविष्य के सम्भावित खतरों को ध्यान में रखते हुए जी.डी.पी. के 2.5 से 3 प्रतिशत के दायरे में होना चाहिये। समिति द्वारा अपनी अंतिम रिपोर्ट सौपें जाने के समय पिछले पाँच वर्षों से रक्षा बजट जी.डी.पी. के दो प्रतिशत से नीचे बना हुआ था।
- मध्यम स्तर के अधिकारियों के प्रशिक्षण हेतु एक संयुक्त सेवा युद्ध कॉलेज (Joint Services War College) की स्थापना का भी सुझाव दिया गया है।
- सैन्य ख़ुफ़िया प्रशिक्षण स्कूल,पुणे को त्रि-स्तरीय सेवा खुफिया प्रशिक्षण संस्थान में परिवर्तित किया जाने की भी अनुशंसा की गई है।
सीमा सड़क संगठन (BRO)
सीमा सड़क संगठन का गठन मई 1960 में किया गया। इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है। यह रक्षा मंत्रालय के अंतर्गत कार्य करता है। भारत की सीमाओं को सुरक्षित करने और देश के उत्तर व उत्तर-पूर्व राज्यों के दूरदराज के क्षेत्रों में बुनियादी ढाँचे को विकसित करने के लिये इसका गठन किया गया था। सीमा सड़क संगठन भारत के सीमावर्ती क्षेत्रों और मैत्रीपूर्ण पड़ोसी देशों में सड़क नेटवर्क का विकास और रखरखाव का कार्य करता है। बी.आर.ओ. शांतिकाल और युद्धकाल दोनों स्थितियों में अपनी भूमिका का निर्वहन करता है। हाल ही में इसने अरुणाचल प्रदेश में सुबनश्री नदी पर रणनीतिक रूप से महत्त्वपूर्ण दापोरिजो पुल का निर्माण किया है।
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महत्त्व
- दूर-दराज़ के इलाकों में सड़क निर्माण कार्यों में तेज़ी लाना, जिससे सेना को इन इलाकों में आसान पहुँच प्राप्त हो सके।
- इससे सामरिक व रणनीतिक तैयारियों में तेज़ी व मज़बूती आने के साथ-साथ पड़ोसी देशों से होने वाली अवैध गतिविधियों पर निगरानी करने और उसमे कमी लाने में सहायता मिलेगी।
- आपात स्थितियों जैसे बाढ़, सूखा, युद्ध आदि में त्वरित सहायता प्राप्त हो सकेगी। साथ ही सीमा विवाद को भी सुलझाने में मदद मिलेगी।
- ये अनुशंसाएँ सड़क निर्माण को गति देने से सम्बंधित है अतः इससे सीमावर्ती क्षेत्रों में सामाजिक व आर्थिक विकास को गति मिलेगी। कृषि, निर्माण और आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलने से शहरी प्रवास में कमी आएगी।
- इस क्षेत्रों का भारत के अन्य हिस्सों के साथ वर्ष भर सड़क सम्पर्क स्थापित हो सकेगा। साथ ही बिखरे हुए व अलगाव महसूस करने वाले क्षेत्रों को एकीकृत करने में भी सहायता मिलेगी।
- यह निर्णय सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की जिंदगी को सुगम बनाने के साथ-साथ आंतरिक सुरक्षा, नक्सलवाद व समुद्री किनारों की सुरक्षा में भी योगदान देगा।