(प्रारम्भिक परीक्षा, एवं मुख्य परीक्षा ; सामान्य अध्ययन पेपर 3 : विषय – पर्यावरण संरक्षण)
पिछले 6 वर्षों से राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड की एक भी बैठक नहीं हुई है और पिछली बार बैठक 2014 में हुई थी। वर्तमान समय में अधिकतर नीतिगत निर्णय कुछ विशेषज्ञों की स्थाई समिति के द्वारा ही लिये जा रहे हैं। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सम्बंधित बोर्ड के होते हुए भी निर्णय किसी विशेष समिति द्वारा लिये जा रहे हैं।
राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड (National Board For Wildlife) :
- राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड का गठन वर्ष 2003 में केंद्र सरकार द्वारा वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 (WLPA) की धारा 5-ए के तहत किया गया है।
- यह वन्यजीवों सम्बन्धी मामलों की समीक्षा करने के साथ ही राष्ट्रीय उद्यानों एवं अभयारण्यों व इसके आसपास की परियोजनाओं को मंजूरी देने के लिए एक शीर्ष निकाय के रूप में कार्य करता है।
- यह बोर्ड केंद्र सरकार को देश में वन्यजीवों के संरक्षण के लिये नीतियों और उपायों को तैयार करने की सलाह देता है।
- राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड का प्राथमिक कार्य वन्यजीवों और वनों के संरक्षण और विकास को बढ़ावा देना है।
- बोर्ड की मंजूरी के बिना राष्ट्रीय उद्यानों और वन्यजीव अभयारण्यों की सीमाओं में परिवर्तन नहीं किया जा सकता है।
संरचना :
- इसकी अध्यक्षता भारत के प्रधानमंत्री करते हैं तथाकेन्द्रीय पर्यावरण मंत्री इसके उपाध्यक्ष होते हैं।
- राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड में अध्यक्ष सहित 47 सदस्य होते हैं।
- इनमें से 19 पदेन सदस्य होते हैं तथा 15 ग़ैर सरकारी सदस्य होते हैं।
- वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम के प्रावधानों के आधार पर नई सरकार हर बार एक नए बोर्ड का गठन करती हैऔर नए प्रधानमंत्री उसके पदेन अध्यक्ष होते हैं।
स्थायी समिति के माध्यम से कार्य करना :
- राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड अपने विवेक के आधार पर एक स्थाई समिति का गठन कर सकता है।
- समिति में उपाध्यक्ष (पर्यावरण मंत्री), सचिव और उपाध्यक्ष द्वारा मनोनीत किये जाने वाले दस से अधिक सदस्य नहीं होंगे। ध्यातव्य है कि ये सदस्य राष्ट्रीय बोर्ड के सदस्यों में से चुने जाएंगे।
- वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम यह कहता है कि राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड की मंज़ूरी या सिफारिश के बिनाटूरिस्ट लॉज का निर्माण, संरक्षित क्षेत्रों की सीमाओं में परिवर्तन, वन्यजीवों के निवास स्थान को नष्ट करने या बदलने एवं नया टाइगर रिज़र्व बनाए जाने के बारे में निर्णय नहीं लिया जा सकता।
नए प्रस्तावों को मंज़ूरी कैसे मिलती है?
- नई परियोजनाओं के लिये कई प्रस्ताव स्थायी समिति के सामने अक्सर आते हैं।
- राज्य सरकारों को प्रत्येक प्रस्ताव एक निर्धारित प्रारूप में पूर्ण विवरण (नक्शे, क्षेत्र का आकलन, तलाशे गए विकल्प) के साथ बोर्ड के समक्ष प्रस्तुत करना होता है।
- इसमें संरक्षित क्षेत्र के मुख्य अधिकारी, वहां के वार्डन और राज्य सरकार के प्रभारी अधिकारियों की स्पष्ट राय भी शामिल होनी चाहिए। इसके साथ ही राज्य वन्यजीव बोर्ड का परामर्श भी ज़रूरी होता है।
- इसके बाद स्थाई समिति वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार इस तरह के प्रस्तावों पर विचार करती है।