(प्रारंभिक परीक्षा : समसामयिक घटनाक्रम, भारतीय अर्थव्यवस्था) (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3; भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगति, विकास तथा रोज़गार से संबंधित विषय।) |
संदर्भ
13 फरवरी, 2025 को आयकर विधेयक, 2025 लोकसभा में पेश किया गया था। वर्तमान में यह संसदीय समिति के पास विचाराधीन है।
आयकर विधेयक, 2025 के बारे में
- परिचय : आयकर अधिनियम, 1961 को प्रतिस्थापित करने के लिए आयकर विधेयक, 2025 प्रस्तुत किया गया है।
- हालांकि 1961 के अधिनियम के अधिकांश प्रावधानों को इस विधेयक में बरकरार रखा गया है।
- विधेयक का उद्देश्य : वर्तमान अधिनियम के प्रावधानों को सुव्यवस्थित कर, अप्रचलित संदर्भों को हटाकर एक स्पष्ट एवं सरल कानूनी ढाँचे के निर्माण द्वारा भारत की छह दशक पुरानी प्रत्यक्ष कराधान संरचना को सरल बनाना।
- लागू होने की संभावित तिथि : 1 अप्रैल, 2026
- प्रमुख विशेषताएं
- लगभग 1,200 प्रावधान और लगभग 900 स्पष्टीकरण हटा दिए गए हैं।
- व्यक्तियों और निगमों के लिए कर की दरें और व्यवस्थाएं अपरिवर्तित रहेंगी।
- अधिकांश परिभाषाएं भी बरकरार रखी गई हैं।
- अपराधों और दंडों में कोई बदलाव नहीं हुआ है।
विधेयक में प्रस्तावित मुख्य प्रावधान
कर वर्ष में बदलाव और कोई वार्षिक कर नहीं
- वर्तमान अधिनियम में, आयकर में ‘मूल्यांकन वर्ष’ (Assessment Year : AY) की अवधारणा है, जो ‘पिछले (वित्तीय) वर्ष’ में अर्जित आय पर कर का आकलन करती है।
- उदाहरण के लिए, वित्तीय वर्ष (FY) 2024-25 (1 अप्रैल, 2024 से 31 मार्च, 2025) में अर्जित आय का मूल्यांकन AY 2025-26 (1 अप्रैल, 2025 से शुरू) में किया जाता है।
- प्रस्तावित विधेयक कर वर्ष की अवधारणा को प्रस्तुत करता है, जिसे 1 अप्रैल से शुरू होने वाली 12 महीने की अवधि के रूप में परिभाषित किया गया है।
- किसी व्यवसाय या नए-नए स्थापित पेशे के मामले में, कर वर्ष उस तारीख से शुरू होगा जिस दिन इसे स्थापित किया गया था, और उक्त वित्तीय वर्ष के साथ समाप्त होगा।
- आयकर आर्थिक गतिविधि और कर वर्ष में अर्जित आय के आधार पर लगाया जाएगा।
योजना बनाने की शक्ति
- वर्तमान अधिनियम में सूचना के अप्रत्यक्ष (Faceless) संग्रहण और कर मामलों के निर्धारण के प्रावधान प्रचलित हैं।
- प्रस्तावित विधेयक में इन प्रावधानों को बरकरार रखा गया है।
- साथ ही, विधेयक केंद्र सरकार को यह अधिकार भी देता है कि वह अधिक दक्षता, पारदर्शिता और जवाबदेही के लिए नई योजना बना सकती है।
- हालांकि, केंद्र सरकार द्वारा बनाई गई योजना को संसद के समक्ष रखा जाना चाहिए।
अघोषित आय
- वर्तमान अधिनियम में, तलाशी के मामलों का निर्धारण करने के लिए अघोषित आय की परिभाषा में धन, सर्राफा, आभूषण या अन्य मूल्यवान वस्तुएं शामिल हैं।
- प्रस्तावित विधेयक इस परिभाषा में वर्चुअल डिजिटल एसेट्स को शामिल करता है।
- इनमें ऐसा कोई भी कोड, संख्या या टोकन शामिल है जो क्रिप्टोग्राफ़िक तरीके से जनरेटेड है और एक्सचेंज की गई वैल्यू का डिजिटल रिप्रेजेंटेशन करता है।
- क्रिप्टोकरेंसी जैसी आभासी डिजिटल परिसंपत्तियों को संपत्ति की परिभाषा में शामिल किया गया है।
वर्चुअल डिजिटल स्पेस
- परिभाषा : विधेयक में वर्चुअल डिजिटल स्पेस को एक ऐसे वातावरण, क्षेत्र या परिमंडल के रूप में परिभाषित किया गया है जो कंप्यूटर टेक्नोलॉजी के माध्यम से निर्मित और अनुभव किया जाता है।
- इ`समें ईमेल सर्वर, सोशल मीडिया एकाउंट, ऑनलाइन निवेश, ट्रेडिंग खाते और संपत्ति के स्वामित्व का विवरण स्टोर करने के लिए वेबसाइट्स शामिल हैं।
- वर्तमान अधिनियम आयकर अधिकारियों को इमारतों में प्रवेश करने और तलाशी लेने एवं ताले तोड़ने की अनुमति देता है।
- ऐसा तब किया जा सकता है, जब किसी व्यक्ति ने अधिनियम के तहत समन जारी करने के बावजूद कुछ दस्तावेज या बही खाते प्रस्तुत नहीं किए हों।
- अधिनियम अधिकारियों को इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेज़ों का निरीक्षण करने का भी अधिकार देता है।
- प्रस्तावित विधेयक इन प्रावधानों को बरकरार रखता है और अधिकारियों को तलाशी और जब्ती की कार्यवाही के दौरान वर्चुअल डिजिटल स्पेस तक पहुंच प्राप्त करने की भी अनुमति देता है।
- अधिकारियों के पास किसी भी आवश्यक एक्सेस कोड को ओवरराइड करके पहुंच प्राप्त करने की शक्ति होगी।
विवाद समाधान पैनल
- वर्तमान अधिनियम पात्र करदाताओं को इस बात की अनुमति देता है कि वे मूल्यांकन अधिकारियों के प्रारूप आदेशों के विवाद समाधान पैनल को भेज सकते हैं।
- ऐसे करदाताओं में ट्रांसफर प्राइजिंग मामलों में शामिल लोग, गैर-निवासी या विदेशी कंपनियां शामिल हैं।
- ट्रांसफर प्राइसिंग से तात्पर्य किसी बहुराष्ट्रीय उद्योग की संबंधित संस्थाओं के बीच लेनदेन में ली जाने वाली कीमत से है।
- पैनल मूल्यांकन पूरा करने के लिए दिशानिर्देश जारी कर सकता है।
- प्रस्तावित विधेयक इन प्रावधानों को बरकरार रखता है और इसमें यह जोड़ता है कि पैनल को निर्धारण के बिंदुओं और निर्णय पर पहुंचने के कारणों के साथ निर्देश जारी करना चाहिए।
कर संधियों की व्याख्या
- वर्तमान अधिनियम केंद्र सरकार को दोहरे कराधान के मामलों में राहत प्रदान करने के लिए अन्य देशों के साथ समझौते करने की अनुमति देता है।
- प्रस्तावित विधेयक यह निर्दिष्ट करता है कि अगर ऐसे समझौतों में प्रयोग किया गया कोई शब्द न तो समझौते में और न ही अधिनियम में परिभाषित किया गया है, तो इसका अर्थ केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित किया जाएगा।
पूंजीगत लाभ छूट
- वर्तमान अधिनियम की धारा 54 (ई), जो अप्रैल 1992 से पहले पूंजीगत परिसंपत्तियों के हस्तांतरण पर पूंजीगत लाभ के लिए छूट का विवरण देती है।
- प्रस्तावित विधेयक में कटौतियों को सुव्यवस्थित किया गया है, और पुरानी छूटों को हटा दिया गया है।
आय एवं वेतन
- वेतन से मानक कटौती, ग्रेच्युटी और अवकाश नकदीकरण जैसी कटौतियों का विवरण सारणीबद्ध रूप में दिया गया है।
- आय के दायरे और परिभाषा का विस्तार किया गया है, ताकि इसमें आय के उभरते स्रोतों को भी शामिल किया जा सके।
- छूट प्राप्त आय, छूट का दावा करने की शर्तें, कटौती, टी.डी.एस. (स्रोत पर कर कटौती) और टी.सी.एस. (स्रोत पर एकत्रित कर) को बेहतर समझ के लिए अलग-अलग अनुसूचियों में सारणीबद्ध रूप में प्रदान किया गया है।