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तनाव के बावजूद भारत और चीन के मध्य बढ़ता द्विपक्षीय व्यापार

(प्रारंभिक परीक्षा- राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3 : भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना)

संदर्भ

चीन पर आयात निर्भरता कम करने के प्रयासों के बावजूद चीन के साथ भारत का द्विपक्षीय व्यापार वर्ष 2021 में 44 प्रतिशत बढ़ा है।

व्यापार की स्थिति 

  • चीन से भारत का आयात वर्ष 2020 की तुलना में 46.1 प्रतिशत की वृद्धि के साथ वर्ष 2021 में बढ़कर 97.5 बिलियन डॉलर हो गया। इससे चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा वर्ष 2021 में 69.4 बिलियन डॉलर तक बढ़ा गया है।
  • वाणिज्य मंत्रालय के अनुसार, अप्रैल-नवंबर की अवधि में अमेरिका के पश्चात चीन भारत का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार रहा। इसके बाद संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, इराक और हांगकांग है।
  • भारत से चीन को होने वाला निर्यात वर्ष 2020 की तुलना में वर्ष 2021 में 34.9 प्रतिशत बढ़कर 28.1 बिलियन डॉलर हो गया।

भारत और चीन के मध्य व्यापार की प्रमुख वस्तुएँ

  • कच्चे माल का निर्यात भारत-चीन व्यापार का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा है। प्रमुख निर्यात वस्तुओं में लौह अयस्क, कार्बनिक रसायन और कपास शामिल हैं। अन्य प्रमुख निर्यातों में लौह-इस्पात, समुद्री भोजन और इंजीनियरिंग सामान शामिल हैं।
  • चीन से भारत में होने वाले प्रमुख आयातो में स्मार्टफोन, स्मार्टफोन एवं ऑटोमोबाइल के घटक (Components), दूरसंचार उपकरण, प्लास्टिक एवं धातु के सामान, सक्रिय दवा सामग्री (Active Pharmaceutical Ingredients) और अन्य रसायन शामिल हैं। 

चीन से आयात पर अंकुश

  • वर्ष 2020 में गलवान झड़प के बाद बिजली मंत्रालय ने साइबर सुरक्षा चिंताओं का हवाला देते हुए चीन से बिजली उपकरणों के आयात पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया था। 
  • साथ ही, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफ.डी.आई) नियमों में संशोधन के कारण पड़ोसी देशों द्वारा भारतीय फर्मों में किसी भी प्रत्यक्ष निवेश के लिये केंद्र सरकार की मंजूरी लेनी आवश्यक हो गई है। यह संशोधन मुख्यतः महामारी के दौरान चीनी कंपनियों द्वारा घरेलू फर्मों के अधिग्रहण को रोकने के उद्देश्य से किया गया।
  • भारत ने चीन से होने वाली डंपिंग पर भी नजर कड़ी कर दी है। दिसंबर 2021 में भारत ने स्थानीय निर्माताओं की सुरक्षा के लिये कुछ एल्युमीनियम वस्तुओं और रसायनों सहित चीन के पाँच उत्पादों पर पाँच वर्ष के लिये डंपिंग रोधी शुल्क लगा दिया है।
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