(प्रारंभिक परीक्षा- राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2 : भारत एवं इसके पड़ोसी- संबंध)
संदर्भ
हाल ही में, भारत और चीनी सैनिकों के मध्य सिक्किम सीमा पर झड़प हुई है। यह टकराव उस बिगड़ती स्थिति को प्रदर्शित करता है, जिसका सामना भारत लंबे समय से चीन सीमा पर कर रहा है।
चीन की आक्रामकता में वृद्धि
- क्षेत्रीय विवादों में वृद्धि- पीपुल्स लिबरेशन आर्मी भारतीय इलाकों में घुसने के लिये साहसिक रणनीति के साथ सीमा पर कई बिंदुओं को सक्रिय कर रही है। वास्तव में चीन की आक्रामकता केवल उच्च हिमालय तक ही सीमित नहीं है। चीन ने एशिया में अपने अधिकांश पड़ोसियों के साथ क्षेत्रीय विवादों में समान रणनीति अपनाई है।
- शक्ति संतुलन- चीन ने शांतिपूर्ण समझौतों से इनके समाधान का वादा किया परंतु उसके द्वारा इन विवादों में एकतरफ़ा बदलाव किया गया क्योंकि चीन को यह विश्वास है कि उसके पड़ोसियों के बीच शक्ति का सैन्य संतुलन उसके पक्ष में स्थानांतरित हो गया है।
- आर्थिक असंतुलन- हालाँकि, यदि चीन और उसके पड़ोसियों की आर्थिक शक्ति के बीच बढ़ती खाई को देखा जाए तो असंतुलन कहीं अधिक गंभीर है। चीन की जी.डी.पी. भारत की तुलना में पाँच गुना अधिक है।
कारण
- वर्ष 2013, 2014 और 2017 में उत्तरी सीमाओं पर हुए सैन्य विवादों के विपरीत पिछले वर्ष अप्रैल में शुरू हुआ मौजूदा सैन्य टकराव बहुत अधिक समय तक चला।
- सैन्य और आर्थिक असंतुलन के संयोजन के साथ-साथ चीन की महत्त्वाकांक्षी राजनीति ने भी भारत के लिये प्रतिकूल परिस्थितियाँ पैदा की हैं। इसका प्रभाव न केवल भारत के उत्तरी सीमाओं पर बल्कि इस उपमहाद्वीप और इसके जलीय क्षेत्रों के साथ-साथ क्षेत्रीय व अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्रों में भी स्पष्ट है।
उपाय
- रणनीतिक उपाय- चीनी आक्रामकता से भारत की क्षेत्रीय अखंडता और सामरिक स्वायत्तता को सुरक्षित करने के लिये अल्पकालिक और दीर्घकालिक रणनीतियों की आवश्यकता है। लगभग छह दशक पूर्व हिमालय में चीनी आक्रामकता ने भारत को रक्षा प्रबंधन में मौलिक बदलाव के लिये मजबूर कर दिया था। साथ ही, रणनीतिक रूपरेखा बनाते समय यह ध्यान रखने की आवश्यकता है कि माओ के चीन और जिनपिंग के चीन में काफी अंतर है।
- सैन्य सामंजस्य- चीन परिचालन स्तर पर भारतीय सेना पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहा है अत: विवादित सीमा का बचाव करने के लिये भारत को सतर्क और सजग रहने की आवश्यकता है। स्थलीय सीमाओं की रक्षा पर ध्यान केंद्रित करने से नौ-सेना के अति-आवश्यक विस्तार को भी धक्का लगा है।
- शक्ति अंतराल- भारत को केवल चीन के संसाधनों, सैन्य या वित्तीय स्थिति की बराबरी की रणनीति विकसित करने की आवश्यकता नहीं है, बल्कि चीन के साथ बढ़ते शक्ति अंतराल को दूर करने वाली रणनीति विकसित करने की आवश्यकता है।