चर्चा में क्यों?
हाल ही में, ऑस्ट्रेलिया और जापान ने एक रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर किया है।
प्रमुख बिंदु
- इस समझौते का नाम ‘रेसिप्रोकल असिस्टेंस एग्रीमेंट’ (पारस्परिक सहायता समझौता) है। इससे हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती अक्रामकता को नियंत्रित करने का प्रयास माना जा रहा है।
- इसके तहत कानूनी बाधाओं को कम करते हुए एक देश के सैनिकों को प्रशिक्षण और अन्य उद्देश्यों के लिये दूसरे देश में अस्थायी तौर पर तैनात करने की अनुमति होगी।
- इस विशेष सामरिक समझौते से साझे मूल्यों, लोकतंत्र एवं मानवाधिकारों के लिये प्रतिबद्धता से दोनों देशों के बीच संबंध अधिक मज़बूत होंगे।
- यह अमेरिका के अलावा किसी भी अन्य देश के साथ जापान का पहला द्विपक्षीय रक्षा व सामरिक समझौता है। वर्ष 1960 में जापान ने अमेरिका के साथ ‘स्टेटस ऑफ़ फोर्सेज एग्रीमेंट’ समझौता किया था। इसके तहत जापान ने अमेरिका को स्थायी तौर पर अपने यहाँ सैनिक तैनात करने की अनुमति दी है।
अन्य समझौते
- ऑस्ट्रेलिया ने परमाणु ऊर्जा संचालित पनडुब्बियों को प्राप्त करने के लिये अमेरिका और ब्रिटेन के साथ ‘औकुस’ त्रिपक्षीय समझौता किया है।
- उल्लेखनीय है कि जापान और ऑस्ट्रेलिया 'क्वाड' के भी सदस्य हैं। भारत एवं अमेरिका इसके अन्य सदस्य हैं।