(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 1 : सामाजिक सशक्तिकरण) |
संदर्भ
हाल के समय में चंडीगढ़ एवं हुबली (कर्नाटक) में युवा महिलाओं की हत्या की घटनाओं ने लिंग आधारित हिंसा की भयावह स्थिति को प्रदर्शित किया है। विश्व स्तर पर भी महिला आधारित हिंसा एवं मौत की घटनाएँ सामने आती रहती हैं। महिलाओं के प्रति विशेष नफरत एवं उनकी हत्या के लिए ‘फेमिसाइड’ (Femicide) पद चर्चा में है।
क्या है फेमिसाइड
- महिला हत्या या फेमिसाइड को सामान्यतः किसी महिला या स्त्री की उसके लैंगिक पहचान के कारण हत्या के रूप में परिभाषित किया जाता है।
- महिलाओं के खिलाफ विभिन्न अपराधों को फेमिसाइड कहा जा सकता है। उदाहरण के लिए, इनमें यौन हत्याएँ, घरेलू या पारिवारिक हिंसा से मृत्यु और सांस्कृतिक या संस्थागत हिंसा के कारण होने वाली मृत्यु को शामिल किया जाता है।
फेमिसाइड की प्रवृति के लिए जिम्मेदार कारक
- धन लालच की भावना (जैसे- दहेज़ प्रथा)
- जाति एवं धर्म से बाहर विवाह (जैसे- ऑनर किलिंग)
- लैंगिक असमानता एवं रुढ़िवादी मानदंड
- पुरुषवादी मानसिकता एवं यौन हिंसा
- ऑनलाइन या डिजिटल लत
- पोर्न (चाइल्ड पोर्न) का मस्तिष्क परसंज्ञानात्मक प्रभाव
- मानसिक समस्या की भड़ास निकलने के लिए महिलाओं को आसान लक्ष्य पाना
- नशे की बढ़ती समस्या और इसके लिए धन की आवश्यकता
- बड़े शहरों में एकल महिलाओं को आसान लक्ष्य पाना
- एकतरफा प्रेम और तेज़ी से बदलती दुनिया में अल्पकालिक संबंधों की समस्या
- धार्मिकता एवं कट्टरता का प्रभाव (जैसे- आतंकवाद)
फेमिसाइड से निपटने में चुनौतियाँ
- डाटा की कमी : फेमिसाइड के संबंध में डाटा अत्यधिक सीमित है क्योंकि अधिकांश देशों में मानव हत्या के लिए उकसाने वाले कारकों को रिकॉर्ड करने के लिए आवश्यक जानकारी नहीं मिलती है या ऐसे अपराध दर्ज नहीं किए जाते हैं।
- हिंसा से निपटने के लिए बुनियादी ढांचे की कमी : कानून के प्रभावी कार्यान्वयन में बुनियादी ढांचे की कमी सबसे बड़ी बाधाओं में से एक बनी हुई है, जो कानून प्रवर्तन निकायों को कानून लागू करने के लिए आवश्यक गतिविधियों को प्रभावी ढंग से लागू करने से रोकती है।
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर फेमिसाइड के लिए विशिष्ट कानून
- वर्ष 2013 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रस्ताव 68/191 को अपनाए जाने के बाद अनेक उच्च आय वाले देशों ने फेमिसाइड संबंधी कानून लागू किए हैं। इस प्रस्ताव में देशों से महिलाओं एवं स्त्रियों की लिंग आधारित हत्या के विरुद्ध कार्रवाई करने का आह्वान किया गया था।
- वर्ष 2022 में साइप्रस एवं माल्टा ने फेमिसाइड (महिला हत्या) को एक अलग अपराध के रूप में आपराधिक संहिता में शामिल किया और सजा सुनाते समय लिंग आधारित हत्याओं को एक गंभीर कारक बनाया।
- हाल ही में क्रोएशिया ने फेमिसाइड के लिए समर्पित कानून अपनाया है। इसके तहत इसे एक अलग या स्वतंत्र अपराध बनाया गया है जिसके लिए दस वर्ष या उससे अधिक की जेल हो सकती है।
- लैटिन अमेरिका एवं कैरिबिया में नफ़रत आधारित महिला हत्या की दर सर्वाधिक है। इस क्षेत्र के 33 देशों में से 18 ने महिला हत्या को एक अलग घृणा अपराध के रूप में वर्गीकृत करते हुए नया कानून बनाया है।
- कोस्टा रिका वर्ष 2007 में महिला हत्या को कानूनी रूप से परिभाषित अपराध बनाते हुए कानून पारित करने वाला पहला देश बन गया।
फेमिसाइड एवं भारत के प्रयास
- यद्यपि भारत में फेमिसाइड को लक्षित करने वाला कोई विशिष्ट कानून नहीं है किंतु महिला विशिष्ट कुछ कानून उपलब्ध है :
- दहेज निषेध अधिनियम, 1961 : विवाह के लिए पूर्व शर्त के रूप में किसी भी रूप में दहेज के अनुरोध एवं भुगतान पर प्रतिबंध।
- गर्भधारण पूर्व एवं प्रसव पूर्व निदान तकनीक (PCPNDT) अधिनियम 1994 : भ्रूण लिंग का निर्धारण करने के लिए प्रसव-पूर्व प्रौद्योगिकियों के उपयोग पर प्रतिबंध । कई राज्यों ने कन्या भ्रूण हत्या की घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए सतर्कता कोशिकाएं शुरू की हैं।
- घरेलू हिंसा से महिला संरक्षण अधिनियम, 2005 : कुटुंब या परिवार के भीतर होने वाली किसी प्रकार की हिंसा से पीड़ित महिलाओं के प्रभावी संरक्षण के लिए
- कार्यस्थल पर महिला यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध एवं निवारण) अधिनियम, 2013 : महिलाओं का कार्य स्थल पर लैंगिक उत्पीडन से संरक्षण
- राष्ट्रीय महिला आयोग : महिलाओं को प्रदान किए गए संवैधानिक एवं वैधानिक सुरक्षा उपायों से संबंधित सभी मामलों का अध्ययन व निगरानी करना।

फेमिसाइड रोकथाम के लिए उपाय
- विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, अंतरंग साथी हिंसा को कम करना फेमिसाइड को रोकने का सबसे प्रभावी तरीका है। इसके लिए व्यक्तिगत एवं सामाजिक स्तर पर लैंगिक असमानता को संबोधित करने की आवश्यकता है।
- ऑनर किलिंग पर कानूनी प्रतिबंध लगाने के साथ-साथ सामाजिक जागरूकता और अपराधियों को शीघ्र सजा देने के लिए कानूनों को ओर अधिक मजबूती से लागू करना फेमिसाइड को समाप्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा।
- फेमिसाड के मूल कारणों को संबोधित करके और लैंगिक समानता को बढ़ावा देकर लिंग आधारित हिंसा से मुक्त भविष्य का निर्माण किया जा सकता हैं।