New
Open Seminar - IAS Foundation Course (Pre. + Mains): Delhi, 9 Dec. 11:30 AM | Call: 9555124124

भारत और AI निगरानी

(प्रारम्भिक परीक्षा, सामान्य अध्ययन 3: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी- विकास एवं अनुप्रयोग और रोज़मर्रा के जीवन पर इसका प्रभाव।संचार नेटवर्क के माध्यम से आंतरिक सुरक्षा को चुनौती, आंतरिक सुरक्षा चुनौतियों में मीडिया और सामाजिक नेटवर्किंग साइटों की भूमिका, साइबर सुरक्षा की बुनियादी बातें, धन-शोधन और इसे रोकना।)

संदर्भ 

  • भारत सरकार ने वर्ष 2019 में, पुलिसिंग के लिए दुनिया की सबसे बड़ी चेहरे की पहचान प्रणाली बनाने घोषणा की थी। 
    • इसके परिणामस्वरूप रेलवे स्टेशनों पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI)-संचालित निगरानी प्रणालियों की तैनाती और दिल्ली पुलिस द्वारा अपराध गश्त के लिए एआई का उपयोग करने की योजना बनाई गई। 
  • नवीनतम योजनाओं में 50 AI संचालित उपग्रहों को लॉन्च करना शामिल है, जो भारत के निगरानी बुनियादी ढाँचे को और अधिक उन्नत करेगा।

AI-surveillance

क्या है AI निगरानी

  • AI निगरानी का तात्पर्य AI तकनीकों का उपयोग व्यक्तियों, समूहों या वातावरण की निगरानी, ​​विश्लेषण और ट्रैक करने के लिए किया जाना है। ऐसा सामान्यत: सुरक्षा या कानून प्रवर्तन उद्देश्यों के लिए किया जाता है। 
  • AI विभिन्न स्रोतों, जैसे- कैमरे, सेंसर, सोशल मीडिया और डाटा बेस से विशाल मात्रा में डाटा  के संग्रह एवं  विश्लेषण को स्वचालित करके पारंपरिक निगरानी प्रणालियों को मज़बूत करता है।

AI निगरानी के प्रमुख घटक एवं अनुप्रयोग 

  • चेहरे की पहचान तकनीक (Facial recognition technology) : AI संचालित चेहरे की पहचान करने वाली प्रणालियाँ चेहरे की विशेषताओं के आधार पर व्यक्तियों की पहचान और सत्यापन करती हैं।  
    • इन प्रणालियों का उपयोग प्राय: सार्वजनिक स्थानों जैसे हवाई अड्डों, रेलवे स्टेशनों और सड़कों पर संदिग्धों की पहचान करने, अपराधियों पर नज़र रखने या भीड़ को प्रबंधित करने के लिए किया जाता है।
  • भविष्यसूचक विश्लेषण (Predictive Analytics) : AI संभावित आपराधिक गतिविधि या सुरक्षा खतरों की भविष्यवाणी करने के लिए पूर्ववर्ती/ऐतिहासिक डाटा का विश्लेषण कर सकता है।  
    • इससे कानून प्रवर्तन एजेंसियों को संसाधनों को अधिक कुशलता से आवंटित करने, अपराध के हॉटस्पॉट का अनुमान लगाने और अपराध दर को कम करने में मदद मिलती है।
  • वीडियो एनालिटिक्स (Video Analytics) : AI सीसीटीवी कैमरों से वास्तविक समय की फुटेज का विश्लेषण करके असामान्य व्यवहार, जैसे कि झगड़े, चोरी या अतिक्रमण का पता लगा सकता है।  
    • यह अलग-अलग कैमरों में व्यक्तियों को ट्रैक कर सकता है, जिससे अधिकारियों को संदिग्ध गतिविधियों के बारे में सचेत किया जा सकता है।
  • प्राकृतिक भाषा प्रसंस्करण (Natural language processing) : AI वार्तालापों, सोशल मीडिया पोस्टों या अन्य पाठ-आधारित डाटा को संसाधित और विश्लेषित कर सकता है, ताकि उन खतरों या पैटर्नों का पता लगाया जा सके जो आपराधिक व्यवहार, उग्रवाद अथवा आतंकवाद का संकेत दे सकते हैं।
  • व्यवहार विश्लेषण (Behavioral Analysis) : AI  प्रणालियों द्वारा व्यक्तियों की गतिविधियों और अंतःक्रियाओं का विश्लेषण करके सामान्य व संदिग्ध व्यवहार का विवरण तैयार करने से खतरों की शीघ्र पहचान में मदद मिलती है।

AI  निगरानी संबंधी डाटा गोपनीयता और नैतिक चिंताएँ

  • निजता का हनन : चेहरे की पहचान जैसी निगरानी तकनीकें बिना व्यक्ति की सहमति के उसे ट्रैक कर सकती हैं। 
    • भारत में नागरिकों के निजता के अधिकार की रक्षा के लिए कोई मजबूत कानूनी ढाँचा उपलब्ध नहीं है। 
    • हालाँकि सर्वोच्च न्यायालय ने फैसला दिया है कि निजता का अधिकार भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के अंतर्गत एक मौलिक अधिकार है।
  • हाशिए पर पड़े समूहों की निगरानी : ऐसी चिंताएँ हैं कि AI  निगरानी कुछ समुदायों को असंगत रूप से लक्षित कर सकती है, जिसमें राजनीतिक कार्यकर्ता, जातीय अल्पसंख्यक और हाशिए पर पड़े अन्य समूह शामिल हैं। 
    • यह असहमति और सक्रियता को दबाने के लिए AI निगरानी के संभावित दुरुपयोग के बारे में चिंताएँ उत्पन्न करता है।
  • जवाबदेही का अभाव : AI प्रणाली मानवीय हस्तक्षेप के बिना निर्णय ले सकते हैं और ये निर्णय हमेशा पारदर्शी या समझने योग्य नहीं हो सकते हैं। 
    • गलत निगरानी, ​​गलतियों या गलत पहचान को संबोधित करने के लिए जवाबदेही तंत्र की कमी चिंता का एक और मुद्दा है।

डाटा गोपनीयता के लिए विधिक प्रावधान 

  • संवैधानिक उपबंध : निजता का अधिकार भारतीय संविधान का अनुच्छेद 21 निजता के अधिकार की गारंटी देता है, जिसे सूचनात्मक गोपनीयता को शामिल करने के लिए विस्तारित किया गया है । 
    • वर्ष 2017 में सर्वोच्च न्यायालय के.एस. पुट्टस्वामी वाद में "डाटा  निगरानी" की चुनौतियों का समाधान करने के लिए मजबूत कानूनी ढाँचे की आवश्यकता को मान्यता दी।
  • डिजिटल पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन एक्ट (DPDPA) 2023 : DPDPA का उद्देश्य भारत में डाटा गोपनीयता को विनियमित करना है। हालाँकि, इसके तहत व्यक्तिगत डाटा को संसाधित करने के लिए सरकार को प्रदान की गयी अनियंत्रित शक्ति चिंता का विषय है। उदाहरण के लिए- 
    • धारा 7(G) महामारी के दौरान बिना सहमति के डाटा प्रोसेसिंग की अनुमति देती है।
    • धारा 7(I) रोजगार के लिए सरकारी डाटा प्रोसेसिंग से छूट देती है, जो चिंताजनक है क्योंकि सरकार भारत की सबसे बड़ी नियोक्ता है।
    • धारा 15(C) नागरिकों को डाटा प्रस्तुत करते समय जानकारी को न दबाने का आदेश देती है, जिससे छोटी-मोटी त्रुटियों के लिए दंडात्मक कार्रवाई हो सकती है।

AI को बढ़ावा देने के लिए सरकारी पहल 

  • स्मार्ट सिटीज मिशन : स्मार्ट सिटीज मिशन के तहत, कई भारतीय शहरों ने निगरानी सहित शहरी बुनियादी ढाँचे  के प्रबंधन के लिए AI तकनीकों को एकीकृत किया है। 
    • इसमें स्मार्ट ट्रैफ़िक प्रबंधन, सार्वजनिक सुरक्षा और बुनियादी ढाँचे का रखरखाव शामिल है।
  • आधार और बायोमेट्रिक प्रणाली : भारत  के राष्ट्रीय पहचान कार्यक्रम के रूप में ‘आधार परियोजना’ नागरिकों की पहचान के लिए बायोमेट्रिक डाटा  (फिंगरप्रिंट, आईरिस स्कैन, आदि) का उपयोग करता है। 
    • हालाँकि आधार को सीधे तौर पर AI -संचालित निगरानी से नहीं जोड़ा गया है, लेकिन बड़े पैमाने पर बायोमेट्रिक डाटा बेस व्यक्तियों की निगरानी और ट्रैकिंग में AI  तकनीकों को एकीकृत करने की क्षमता सृजित करता है।

चुनौतियाँ और विवाद

  • विनियामक ढाँचे का अभाव : भारत में अभी तक AI  निगरानी तकनीकों के उपयोग को नियंत्रित करने वाले व्यापक नियम नहीं हैं। 
    • यद्यपि इसके लिए कानूनी ढाँचा बनाने की मांग की गई है, जो राष्ट्रीय एवं सार्वजनिक सुरक्षा के बारे में सरकार की प्राथमिकताओं से टकराती हैं।
  • पूर्वाग्रह और सटीकता : AI  -संचालित चेहरे की पहचान करने वाली प्रणालियों की नस्लीय और लैंगिक पूर्वाग्रहों के संदर्भ में सटीकता संबंधी मुद्दों के लिए आलोचना की गई है। 
    • AI  एल्गोरिदम में इस तरह के पूर्वाग्रह गलत पहचान और भेदभाव उत्पन्न कर सकते हैं, जिससे सामाजिक असमानताएँ बढ़ सकती हैं। 
  • डाटा  सुरक्षा और संरक्षण : AI  निगरानी पर बढ़ती निर्भरता के साथ, व्यक्तिगत डाटा की सुरक्षा को लेकर चिंताएँ हैं। 
    • ऐसी आशंकाएँ हैं कि AI प्रणाली और निगरानी डाटाबेस साइबर हमलों की चपेट में आ सकते हैं, जिससे लाखों लोगों की संवेदनशील जानकारी से समझौता हो सकता है।

यूरोपीय संघ से तुलना

  • AI  निगरानी के लिए भारत का दृष्टिकोण यूरोपीय संघ के कृत्रिम बुद्धिमत्ता अधिनियम के विपरीत है, जो AI गतिविधियों को जोखिम के आधार पर वर्गीकृत करता है। यूरोपीय संघ गंभीर अपराधों या आसन्न खतरों को छोड़कर सार्वजनिक स्थानों पर वास्तविक समय की दूरस्थ बायोमेट्रिक पहचान को प्रतिबंधित करता है। 
  • भारत ने बिना किसी महत्वपूर्ण विनियमन या संवाद के AI  -संचालित चेहरे की पहचान और सीसीटीवी का उपयोग करना शुरू कर दिया है। भारत में नियामक ढाँचे की अनुपस्थिति नागरिकों को AI  निगरानी से जुड़े जोखिमों के प्रति संवेदनशील बनाती है।

आगे की राह 

  • नागरिकोण की स्वतंत्रता एवं अधिकारों की रक्षा के लिए भारत को AI  निगरानी के लिए एक व्यापक नियामक ढाँचे की आवश्यकता है। इस ढाँचे में निम्नलिखित प्रावधान  शामिल होने चाहिए- 
    • कौन सा डाटा एकत्रित किया जाता है, उसका उद्देश्य क्या है तथा उसे कब तक संग्रहित रखा जाता है, इस संबंध में पारदर्शिता।
    • सीमित छूट और न्यायिक निगरानी के साथ सहमति तंत्र।
    • AI  निगरानी प्रौद्योगिकियों के दुरुपयोग को रोकने की जवाबदेही।

निष्कर्ष

  • भारत में AI  निगरानी अवसर और चुनौतियां दोनों प्रस्तुत करती है।  यह सार्वजनिक सुरक्षा, कानून प्रवर्तन दक्षता और अपराध की रोकथाम को बढ़ाने में मदद कर सकती है तो साथ ही महत्वपूर्ण नैतिक, कानूनी और गोपनीयता मुद्दों को भी सामने लाती है। 
  • वर्तमान में AI  निगरानी तकनीकों  के उपयोग में लगातार वृद्धि  हो रही है ऐसे में नागरिकों की गोपनीयता और नागरिक स्वतंत्रता की रक्षा के लिए एक व्यापक कानूनी ढाँचे की तत्काल आवश्यकता है। 
  • साथ ही यह भी सुनिश्चित करना आवश्यक है कि ऐसी तकनीकों का उपयोग जिम्मेदारीपूर्वक और नैतिक रूप से किया जाए।
« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR
X