New
GS Foundation (P+M) - Delhi : 19th Jan. 2026, 11:30 AM New Year offer UPTO 75% + 10% Off | Valid till 03 Jan 26 GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 09th Jan. 2026, 11:00 AM New Year offer UPTO 75% + 10% Off | Valid till 03 Jan 26 GS Foundation (P+M) - Delhi : 19th Jan. 2026, 11:30 AM GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 09th Jan. 2026, 11:00 AM

भारत तथा पड़ोसी देश: सम्बंधों का बदलता समीकरण

(प्रारम्भिक परीक्षा: राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-2: भारत एवं इस के पड़ोसी- सम्बंध)

चर्चा में क्यों?

हाल ही में हुए कुछ घटनाक्रमों के कारण भारत का अपने पड़ोसी देशों के साथ सम्बंधों में तनाव देखा जा रहा है। भारत को अपने निकटतम पड़ोसियों (नेपाल, भूटान और बांग्लादेश) के साथ भी आर्थिक और सामरिक सुरक्षा संकटों का सामना करना पड़ रहा है।

भारत के पड़ोसी देशों के साथ वर्तमान सम्बंध

  • कुछ समय पहले तक भारत को दक्षिण एशिया और हिन्द महासागर क्षेत्र में एक उभरती हुई शक्ति के रूप में देखा जा रहा था| लेकिन हालिया परिस्थितियों में परिवर्तन के कारण भारत को अपनी क्षेत्रीय शक्ति के रूप में स्थापित करने में कई अड़चने आ रही हैं|
  • भारत दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) का वास्तविक नेता है। लेकिन सदस्य देशों में आपसी मतभेद के चलते यह संगठन अपने लक्ष्यों को पूरा करने में सफल न हो सका तथा वर्तमान में यह संगठन अपने अस्तित्त्व के संकट से जूझ रहा है।
  • भारत का नेपाल के साथ ऐतिहासिक और सांस्कृतिक सम्बंध हैं। किंतु नेपाल द्वारा नए मानचित्र को अपनाए जाने तथा पुनः सीमा निर्धारण के चलते दोनों देशों के बीच कुछ गलत फहमियाँ पैदा हुई हैं।
  • भारत के श्रीलंका और बांग्लादेश के साथ पारम्परिक सद्भावना और भाईचारे के सम्बंध रहे हैं। लेकिन कुछ हालिया घटनाक्रम जैसे, श्रीलंका के चीन की तरफ़ झुकाव के कारण तथा बांग्लादेश द्वारा भारत के नागरिकता संशोधन कानून के विरोध को लेकर सम्बंधों में कुछ खटास देखने को मिली है।
  • भारत ने अफ़गानिस्तान में अरबों डॉलर के निवेश केज़रिये तथा काबुल में तालिबान के हितधारकों के साथ अपने सम्बंधों में संतुलन स्थापित किया। वर्तमान में अफ़गानिस्तान एक बड़े संक्रमण के दौर से गुज़र रहा है तथा वहाँ हाल ही में होने वाली एक बहुदलीय वार्ता से भी भारत को बाहर रखा गया है।
  • भारत द्वारा मध्य एशिया में कनेक्टिविटी परियोजनाओं के माध्यम से ईरान को प्रवेश द्वार के रूप में शामिल किया गया था| लेकिन वर्तमान में इन परियोजनाओंको समय पर वित्त न उपलब्ध कराए जाने के कारण ईरान ने स्वयं ही कुछ परियोजनाओं को पूरा करने का फ़ैसला लिया है, जिससे भारत-ईरान सम्बंधों में तनाव देखा जा रहा है
  • भारत एक ही समय में चीन के साथ सहयोग और प्रतिस्पर्धा की नीति का अनुसरण कर रहा हैतथा चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा पर एक गम्भीर राष्ट्रीय सुरक्षा संकट का सामना कर रहा है।

सम्बंधों में तनाव के कारण

  • भारत की आधिकारिक नीति बहुपक्षवाद के समर्थन की है जब से भारत ने अमेरिका के साथ साझेदारी को मज़बूत करना शुरू किया है तब से ही भारत अमेरिका के हितों के अनुरूप कार्य कर रहा है,  जिससे अन्य देशों के साथ सम्बंध लगातार तनाव पूर्ण हो रहे हैं, जिसका ईरान सबसे अच्छा उदाहरण है। इन सब के अलावा अमेरिका से गहराते सम्बन्धों के कारण भारत की सामरिक स्वायत्तता में भी लगातार गिरावट आई है।
  • हाल ही के एक मूल्यांकन के अनुसार वर्तमान भारत- चीन सम्बंधों में तनाव का मुख्य कारण भी भारत की अमेरिका के साथ बढ़ती गहरी निकटता ही है| चीन ने यह मान लिया है कि भारत अब अमेरिका का वास्तविक सहयोगी बन चुका है। इसलिये वह सांकेतिक रूप में सीमा विवाद के माध्यम से अपना विरोध जता रहा है।
  • भारत द्वारा नागरिकता संशोधन कानून के पारित किये जाने से भारत के पड़ोसी देशों को आंतरिक अशांति जैसे हालातों का सामना करना पड़ रहा है। बांग्लादेश द्वारा नागरिकता संशोधन कानून तथा नेशनल रजिस्टर ऑफ़ सिटिज़न्स का खुले तौर पर विरोध किया गया साथ ही अफ़गानिस्तान में भी भारत विरोधी प्रदर्शन देखे गए।
  • नागरिकता संशोधन कानून ने भारत के मुस्लिम बहुमत वाले पड़ोसी देशों के साथ एक नए विवाद को जन्म दे दिया है, जिनके रिश्ते भारत के साथ अच्छे थे।
  • जम्मू एवं कश्मीर की विशेष स्थितिका दर्जा वापस लिये जाने से भी भारत की एक ज़िम्मेदार लोकतान्त्रिक प्रतिष्ठा को क्षति पहुंची है तथा भारत के इस निर्णय ने पाकिस्तान को दुष्प्रचार के हथियार थमा दिये हैं।
  • जम्मू और कश्मीर की यथा स्थिति में बदलाव एक अन्य महत्त्वपूर्ण कारक हो सकता है, जिसने चीन को लद्दाख की सीमा में आक्रामक तरीके से बढ़ने के लिये प्रेरित किया।

भारत के प्रयास

  • भारत ने न सिर्फ द्विपक्षीय तौर पर बल्कि सार्क तंत्र के ज़रिये भी मैत्री के विभिन्न क्षेत्रों को मजबूत बनाने और अपने पड़ोसी देशों की सुरक्षा और हित कल्याण को बढ़ावा देने के लिये आगे बढ़कर कार्य किया है। हालाँकि सार्क ने आशा के अनुरूप उपलब्धि हासिल नहीं की।लेकिन कोविड-19 संकट के दौर में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा इसे पुनर्जीवित करने का प्रयास किया गया।
  • भारत अपने पड़ोसी देशों के साथ महत्त्वपूर्ण विकास सहयोगी रहा है। हमारा विकास सहयोग जिसमें भैतिक अवसंरचना, जलसंसाधन, मानवसंसाधन, स्वास्थ्य, विद्युत, पर्यटन तथा कृषि जैसे बड़े क्षेत्र शामिल हैं।

आगे की राह

  • महान शक्तियाँ घोषणा करने से पूर्व अपने आप को स्थापित करने पर ध्यान केंद्रित करती हैं। भारत को एक महाशक्ति के रूप में स्थापित होने के लिये आवश्यक है कि वह अपने पड़ोसी सम्बंधों को प्राथमिकता देते हुए उनके साथ विश्वास निर्माण (Confidence Building) की दिशा में नए सिरे से तात्कालिक प्रभावी कदम उठाए।
  • पड़ोसी देशों के साथ सम्बंध भारत की विदेश नीति का केंद्रीय तत्त्व रहा है। भारत का मानना है कि शांति पूर्ण परिवेश से हमें विकास के अनिवार्य कार्यों पर ध्यान केंद्रित करने में सहायता मिलेगी।यह भी स्पष्ट है कि एक स्थिर एवं समृद्ध दक्षिण एशिया से भारत की समृद्धि में भी योगदान मिलेगा।
  • पड़ोसी देशों के साथ भारत के सम्बंधों की रूप रेखा का आधार स्पष्ट होना चाहिये, जिससे अच्छे सम्बंध कायम होने के साथ ही समग्र उद्देश्यों की प्राप्ति की जा सकती है।
  • भारत को किसी भी महा शक्ति के प्रभाव में आकर अपने पड़ोसी देशों के साथ आर्थिक और सामाजिक सम्बंधों को ख़राब नहीं करना चाहिये।

निष्कर्ष

  • भारत अपने पड़ोसी देशों में सबसे ख़ास है इसलिये भारत की यह ज़िम्मेदारी बनती है कि पड़ोसियों के साथ हमारे सम्बंध गतिशील हों न कि ठहरे हुए।
  • सामान्य संदर्भ में भारत अपने पड़ोसी देशों को सर्वोच्च प्राथमिकता प्रदान करता है। फ्रौस्ट ने कहा था कि “अच्छी दूरी अच्छे पड़ोसी बनाती है” (Good Fences Make Good Neighbors)  यह बात कुछ हद तक सही है परन्तु आज हम इस बात को जानते हैं अच्छे पड़ोसियों के साथ सम्बंध स्थापित करने के लिये लोगों के बीच सम्पर्क (‘People to people’ contact), व्यापार और राजनैतिक समझ की ज़रुरत होती है।
« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR