(प्रारम्भिक परीक्षा: नेपाल से लगे भारतीय राज्य) (मुख्य परीक्षा: सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र:2- भारत एवं इसके पड़ोसी- संबंध, द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह और भारत से संबंधित और/अथवा भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार, भारत के हितों पर विकसित तथा विकासशील देशों की नीतियों तथा राजनीति का प्रभाव) |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में पुष्प दहल कमल ‘प्रचंड’ ने नेपाल में राजनैतिक उलटफेर करते हुए अपने तीसरे कार्यकाल हेतु प्रधानमंत्री पद की शपथ ग्रहण की।
प्रमुख बिन्दु
- ज्ञातव्य है कि, नवंबर 2022 में नेपाल में आम चुनाव संपन्न हुए हैं।
- वर्ष 2020 में माओवादी नेता पुष्प कमल दहल 'प्रचंड', संयुक्त मार्क्सवादी-लेनिनवादी (UML) से अलग होकर नेपाल कांग्रेस (NC) के नेतृत्व वाले गठबंधन में शामिल हुए थे, लेकिन 2022 में एक बार फिर UML में शामिल हो गए।
- 275 सदस्यीय सदन में 89 सीटों के साथ नेपाल काँग्रेस(NC) सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी। प्रचंड के नेतृत्व वाली माओवादी पार्टी (CPM) को केवल 32 सीटें मिलीं।
- बावजूद इसके, CPM ने केपी ओली के नेतृत्व वाली UML तथा अन्य 4 क्षेत्रीय दलों के सहयोग से 178 सीट प्राप्त कर सरकार बनाने का दावा पेश किया।
भारत-नेपाल संबंध
पृष्ठभूमि
- नेपाल भौगोलिक, ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और आर्थिक रूप से भारत की विदेश नीति में एक विशेष महत्त्व रखता है।
सांस्कृतिक महत्व
- नेपाल स्थित लुम्बनी, भारत में उत्पन्न बौद्ध धर्म से संबंधित पवित्र स्थानों में से एक है यहीं भगवान बुद्ध का जन्म हुआ था।
- दोनों देश न केवल एक खुली सीमा और लोगों की निर्बाध आवाजाही साझा करते हैं, बल्कि विवाह और पारिवारिक संबंधों के माध्यम से भी उनके बीच घनिष्ठ संबंध हैं, जिन्हें रोटी-बेटी का रिश्ता के नाम से जाना जाता है।
- कई हिंदू धार्मिक स्थल नेपाल में हैं, जो इसे बड़ी संख्या में भारतीयों के लिये एक महत्त्वपूर्ण तीर्थ स्थल बनाते हैं;जैसे- काठमांडू स्थित पशुपति नाथ मंदिर
ऐतिहासिक महत्व
- वर्ष 1950 में हुई भारत-नेपाल संधि दोनों देशों के बीच शांति और मित्रता के मौजूद विशेष संबंधों का आधार है।
- यह संधि दोनों देशों में निवास और लोगों के मुक्त आवाजाही पर सहमति प्रदान करती है।
- यह भारतीय और नेपाली दोनों व्यवसायों के लिये राष्ट्रीय व्यवहार भी स्थापित करता है (अर्थात, एक बार आयात किये जाने के बाद, विदेशी वस्तुओं को घरेलू सामानों से अलग नहीं माना जाएगा)।
आर्थिक महत्व
- नेपाल 5 भारतीय राज्यों- उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, सिक्किम और बिहार के साथ सीमा साझा करता है। इसलिये सांस्कृतिक और आर्थिक आदान-प्रदान का एक महत्त्वपूर्ण बिंदु है।
सामरिक महत्व
- भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये इसका सामरिक महत्त्व है,
- चीन से किसी भी संभावित आक्रमण के खिलाफ यह बफर राज्यों के रूप में कार्य करता है।
दोनों देशों के बीच सहयोग के क्षेत्र
व्यापार और अर्थव्यवस्था:
- भारत नेपाल का सबसे बड़ा व्यापार भागीदार और विदेशी निवेश का सबसे बड़ा स्रोत है।
- भारतीय फर्में विनिर्माण, सेवाओं (बैंकिंग, बीमा, शुष्क बंदरगाह), बिजली क्षेत्र और पर्यटन उद्योग आदि क्षेत्रों में कार्य कर रही हैं।
कनेक्टिविटी
- भारत-नेपाल ने लोगों के बीच संपर्क बढ़ाने और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिये विभिन्न संपर्क कार्यक्रम शुरू किये हैं।
- भारत में काठमांडू को रक्सौल से जोड़ने वाला इलेक्ट्रिक रेल ट्रैक बिछाने के लिये दोनों सरकारों के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये गए हैं।
विकास सहायता
- भारत सरकार ने जमीनी स्तर पर बुनियादी ढाँचे के निर्माण पर ध्यान केंद्रित करते हुए, नेपाल को विकास सहायता प्रदान किया है।
- इसमें बुनियादी ढांचा, स्वास्थ्य, जल संसाधन और शिक्षा और ग्रामीण और सामुदायिक विकास शामिल हैं। जैसे- पंचेश्वर बहुउद्देशीय परियोजना, अरुण नदी बांध परियोजना
रक्षा सहयोग:
- भारतीय सेना की गोरखा रेजीमेंटों का गठन आंशिक रूप से नेपाल के पहाड़ी ज़िलों से भर्ती करके किया जाता है।
- भारत-नेपाल एक साथ संयुक्त सैन्य अभ्यास करते हैं जिसे 'सूर्य किरण' के नाम से जाना जाता है।
सांस्कृतिक:
- भारत ने काठमांडू-वाराणसी, लुंबिनी-बोधगया और जनकपुर-अयोध्या को जोड़ने के लिये तीन सिस्टर-सिटी समझौतों पर हस्ताक्षर किये हैं।
भारतीय समुदाय:
- नेपाल में बड़ी संख्या में भारतीय रहते हैं, इनमें व्यवसायी, व्यापारी, डॉक्टर, इंजीनियर और मजदूर (निर्माण क्षेत्र में मौसमी/प्रवासी सहित) शामिल हैं।
बहुपक्षीय साझेदारी:
- भारत और नेपाल BBIN (बांग्लादेश, भूटान, भारत और नेपाल), बिम्सटेक (बहु क्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग के लिये बंगाल की खाड़ी पहल), गुटनिरपेक्ष आंदोलन, और सार्क (क्षेत्रीय सहयोग के लिये दक्षिण एशियाई संघ) जैसे कई बहुपक्षीय मंचों को साझा करते हैं।
सैटेलाइट कैंपस की स्थापना:
- भारत ने रूपन्देही में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) का एक उपग्रह परिसर स्थापित करने की पेशकश की है
सीमा पार रेल लिंक
- जयनगर (बिहार) से कुर्था (नेपाल) तक 35 किलोमीटर के क्रॉस-बॉर्डर रेल लिंक के संचालन को आगे बिजलपुरा और बर्दीबास तक बढ़ाया जाएगा।
चुनौतियाँ क्या हैं?
प्रादेशिक विवाद:
- कालापानी सीमा मुद्दा: इन सीमाओं को वर्ष 1816 में अंग्रेजों द्वारा तय किया गया था;
- 1947 के आसपास भारत-नेपाल सीमा का 98% सीमांकन किया गया था, परंतु दो क्षेत्र, सुस्ता और कालापानी का निर्णय नहीं हो पाया।
- वर्ष 2019 में नेपाल ने उत्तराखंड के कालापानी, लिंपियाधुरा और लिपुलेख और सुस्ता (पश्चिम चंपारण जिला, बिहार) के क्षेत्र को नेपाल के हिस्से के रूप में दावा करते हुए एक नया राजनीतिक मानचित्र भी जारी किया।
- चीन का हस्तक्षेप: माओवादी सरकार के सत्ता में आने के बाद नेपाल सरकार प्रो-चीन हो सकती है, ऐसा होने से भारत के हित प्रभावित होंगे।
- चीन नेपाल को अपने बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) में एक प्रमुख भागीदार मानता है
- नेपाल और चीन का बढ़ता सहयोग भारत और चीन के बीच एक बफर राज्य के नेपाल के भेद को कमज़ोर कर सकता है।
- दूसरी ओर चीन नेपाल में रह रहे तिब्बतियों द्वारा किसी भी चीन विरोधी रुख से बचना चाहता है।
- आंतरिक सुरक्षा: यह भारत के लिये एक प्रमुख चिंता का विषय है क्योंकि भारत-नेपाल सीमा वस्तुतः खुली है जिसका उपयोग भारत के उत्तर पूर्वी हिस्से के आतंकवादी संगठनों द्वारा प्रशिक्षित कैडरों की आपूर्ति तथा नकली भारतीय मुद्रा आपूर्ति के लिये किया जा सकता है।
- विश्वास और नैतिक मतभेद: विभिन्न परियोजनाओं के कार्यान्वयन में देरी के कारण भारत-नेपाल के बीच विश्वास घाटा बढ़ रहा है।
- नेपाल में कुछ जातीय समूहों के बीच भारत विरोधी भावना है जो इस धारणा से उत्पन्न होती है कि भारत नेपाल में बहुत अधिक लिप्त है और उनकी राजनीतिक संप्रभुता के साथ छेड़छाड़ करता है।
आगे की राह
- क्षेत्रीय विवादों के लिये संवाद: भारत को 'नेबरहुड फर्स्ट' के सिद्धांत को पूरा करने के लिये एक संवेदनशील और उदार भागीदार बनने की जरूरत है।
- सीमा पार जल विवादों पर अंतर्राष्ट्रीय कानून के तत्वावधान में विवाद पर कूटनीतिक रूप से बातचीत जानी चाहिए।
- भारत और बांग्लादेश के बीच सीमा विवाद समाधान को मॉडल के रूप में अपनाना चाहिये।
- भारत को नेपाल के आंतरिक मामलों से दूर रहने की नीति बनाए रखनी चाहिये।
- भारत से निवेश: भारत और नेपाल के बीच हस्ताक्षरित द्विपक्षीय निवेश संवर्धन और संरक्षण समझौते (BIPPA) पर नेपाल की ओर से अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है।