(प्रारंभिक परीक्षा: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी) (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में भारतीयों की उपलब्धियाँ; देशज रूप से प्रौद्योगिकी का विकास और नई प्रौद्योगिकी का विकास) |
संदर्भ
वर्ष 1930 के बाद से भारत में कार्यरत किसी भी भारतीय को विज्ञान के क्षेत्र में अर्थात भौतिकी, रसायन या चिकित्सा विज्ञान में नोबेल पुरस्कार नहीं प्राप्त हुआ है। भारत में नोबेल पुरस्कारों की कमी को प्राय: भारतीय विज्ञान की स्थिति का प्रतिबिंब माना जाता है, हालांकि अन्य कारक भी इसमें भूमिका निभाते हैं।
भारत एवं विज्ञान का नोबेल पुरस्कार
- भारत का एकमात्र विज्ञान का नोबेल पुरस्कार वर्ष 1930 में भौतिकी के क्षेत्र में डॉ. सी.वी. रमन को प्राप्त हुआ था।
- तीन अन्य भारतीय मूल के वैज्ञानिकों को यह सम्मान प्राप्त हुआ है किंतु उन्होंने अपना कार्य भारत से बाहर किया है और जब उन्हें सम्मानित किया गया उस समय वे भारतीय नागरिक नहीं थे-
- हरगोविंद खुराना को वर्ष 1968 में चिकित्सा के क्षेत्र में।
- सुब्रह्मण्यम चंद्रशेखर को वर्ष 1983 में भौतिकी के क्षेत्र में।
- वेंकटरमण रामकृष्णन को वर्ष 2009 में रसायन विज्ञान के क्षेत्र में।
भारत की वैज्ञानिक क्षमता को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारण
- बुनियादी वैज्ञानिक शोध पर अपर्याप्त ध्यान देना
- सार्वजनिक वित्तपोषण का निम्न स्तर
- अत्यधिक नौकरशाही की स्थिति
- निजी शोध के लिए प्रोत्साहन एवं अवसरों की कमी
- विश्वविद्यालयों में शोध क्षमताओं का ह्रास होना
- केवल कुछ ही संस्थानों का अत्याधुनिक शोध में संलग्न होना
- जनसंख्या के अनुपात में शोधकर्ताओं की संख्या वैश्विक औसत से पाँच गुना कम होना
इसे भी जानिए!
- वर्ष 1901 में नोबेल पुरस्कारों की शुरुआत के बाद से नोबेल पुरस्कार पाने वाले भारतीय मूल के व्यक्ति निम्नलिखित हैं-
भारतीय नागरिक:
- वर्ष 1913 में रवीन्द्रनाथ टैगोर को साहित्य के क्षेत्र में।
- वर्ष 1930 में सर सी.वी. रमन को भौतिक विज्ञान के क्षेत्र में।
- वर्ष 1979 में मदर टेरेसा को शांति के क्षेत्र में।
- वर्ष 1998 में अमर्त्य सेन को आर्थिक विज्ञान के क्षेत्र में।
- वर्ष 2014 में कैलाश सत्यार्थी को शांति के क्षेत्र में।
भारतीय मूल के विदेशी नागरिक
- वर्ष 1968 में हर गोबिंद खुराना को चिकित्सा क्षेत्र में; अमेरिका (जन्म : रायपुर, पंजाब, ब्रिटिश भारत, वर्तमान पाकिस्तान)
- वर्ष 1983 में सुब्रह्मण्यन चंद्रशेखर को भौतिक विज्ञान के क्षेत्र में; अमेरिका (जन्म: लाहौर, पंजाब, ब्रिटिश भारत, वर्तमान पाकिस्तान)
- वर्ष 2009 में वेंकटरमन रामकृष्णन को रसायन विज्ञान के क्षेत्र में; यूनाइटेड किंगडम/अमेरिका (जन्म : चिदंबरम, तमिलनाडु)
- वर्ष 2019 में अभिजीत बनर्जी को अर्थशास्त्र के क्षेत्र में; अमेरिका (जन्म : मुंबई, भारत)
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विज्ञान के नोबेल पुरस्कार के लिए नामांकन प्रक्रिया
- प्रत्येक वर्ष हज़ारों लोगों के एक चुनिंदा समूह (विश्वविद्यालय के प्रोफेसर, वैज्ञानिक, पिछले नोबेल पुरस्कार विजेता और अन्य) को संभावित उम्मीदवारों को नामांकित करने के लिए आमंत्रित किया जाता है।
- इसलिए, पुरस्कार के लिए नामांकन का मतलब है कि नामांकित वैज्ञानिक ने कम-से-कम कुछ सम्मानित साथियों की नज़र में नोबेल-योग्य कार्य किया है।
- नामांकित उम्मीदवारों के नाम कम-से-कम 50 वर्ष बाद तक सार्वजनिक नहीं किए जाते हैं और यह डाटा समय-समय पर अद्यतन किया जाता है।
- भौतिकी एवं रसायन विज्ञान पुरस्कारों के लिए नामांकन 1970 तक उपलब्ध हैं, जबकि चिकित्सा के लिए नामांकन केवल 1953 तक ही प्रकट किए गए हैं।
भारतीय नामांकित वैज्ञानिक
- अभी तक सार्वजनिक की गई नामांकन सूचियों में शामिल 35 से ज़्यादा भारतीयों में से कुल 6 वैज्ञानिक हैं।
- भौतिकी पुरस्कार के लिए मेघनाद साहा (7 बार), होमी भाभा (5 बार) और सत्येंद्र नाथ बोस (7 बार) को नामांकित किया गया था।
- रसायन विज्ञान के लिए जी.एन. रामचंद्रन (1 बार) और टी. आर. शेषाद्री (2 बार) को नामांकित किया गया था।
- चिकित्सा के लिए एकमात्र भारतीय नामांकन उपेंद्रनाथ ब्रह्मचारी (6 बार) का था।
- सभी 6 को अलग-अलग नामांकनकर्ताओं द्वारा कई बार नामांकित किया गया था।
- उस अवधि में भारत में रहने और काम करने वाले कुछ ब्रिटिश वैज्ञानिक भी नामांकन सूची में शामिल हैं। हालांकि, वर्ष 1970 के बाद के नामांकनों का खुलासा अभी तक नहीं किया गया है।
विज्ञान के नोबेल पुरस्कारों में वैश्विक स्थिति
- विज्ञान के क्षेत्र में सर्वाधिक नोबेल पुरस्कार अमेरिका (400 से अधिक) ने जीते हैं। इसके बाद यूनाइटेड किंगडम द्वितीय स्थान (138) पर है।
- भौतिकी, रसायन विज्ञान या चिकित्सा के लिए नोबेल पुरस्कार जीतने वाले 653 लोगों में से 150 से अधिक यहूदी समुदाय से हैं।
- हालाँकि, इजरायल (यहूदियों की मातृभूमि) को विज्ञान में केवल चार नोबेल पुरस्कार मिले हैं, जो सभी रसायन विज्ञान के लिए थे।
- चीन में अब तक विज्ञान से केवल 3 नोबेल पुरस्कार विजेता हुए हैं जबकि चीन में प्रति 10 लाख की आबादी पर भारत की तुलना में 4 गुना अधिक शोधकर्ता हैं, उसका सकल घरेलू उत्पाद के हिस्से के रूप में अनुसंधान एवं विकास पर व्यय भारत की तुलना में कम-से-कम 3 गुना अधिक है और उसके कई विश्वविद्यालय वैश्विक स्तर पर शीर्ष 50 में शामिल हैं।
- एक अन्य वैज्ञानिक महाशक्ति के रूप में दक्षिण कोरिया को इस क्षेत्र में अभी तक कोई भी सफलता नहीं मिली है जबकि वह अनुसंधान संकेतकों पर बहुत अच्छा प्रदर्शन करता है।
- अमेरिका एवं यूरोप से बाहर विज्ञान में सर्वाधिक नोबेल पुरस्कार जापान ने कुल 21 बार प्राप्त किए हैं।
आगे की राह
वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए एक मजबूत पारिस्थितिकी तंत्र और समर्थन की अनुपस्थिति में भारत अन्य देशों से पीछे रह गया है। इसलिए वैज्ञानिकों के लिए बेहतर शोध सुविधाएं एवं बचपन से ही बच्चों में विज्ञान एवं आविष्कार के प्रति नवाचारी दृष्टिकोण विकसित करने की आवश्यकता है। साथ ही, भारतीय वैज्ञानिक प्रतिभा का विदेशों में होने वाले पलायन को रोकने के लिए एक बेहतर रणनीति एवं नीति निर्माण की आवश्यकता है।