प्रारंभिक परीक्षा
(समसामयिक घटनाक्रम)
मुख्य परीक्षा
(सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3: पशु पालन संबंधी अर्थशास्त्र; कृषि उत्पाद का भंडारण, परिवहन तथा विपणन, संबंधित विषय और बाधाएँ)
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संदर्भ
21 नवंबर को भारत सहित दुनियाभर में विश्व मात्स्यिकी दिवस (WFD) का आयोजन किया गया। इस दौरान भारत ने कुछ पहलों की शुरुआत की है।
विश्व मात्स्यिकी दिवस के बारे में
- विश्व मात्स्यिकी दिवस की शुरुआत वर्ष 1997 में नई दिल्ली में ‘विश्व मत्स्यपालन मंच’ की बैठक के परिणामस्वरूप हुई थी।
- इसका उद्देश्य मत्स्य पालन, मछुआरों, मत्स्य किसानों तथा पशुपालन हितधारकों के साथ एकजुटता प्रदर्शित करना है।
- यह उत्सव स्थायी स्टॉक एवं स्वस्थ पारिस्थितिकी तंत्र सुनिश्चित करने के लिए वैश्विक मत्स्य पालन के प्रबंधन के तरीके को बदलने पर ध्यान केंद्रित करता है।
- यह दिवस अत्यधिक मत्स्ययन, आवास की क्षति और समुद्री एवं मीठे पानी के संसाधनों की स्थिरता के लिए अन्य गंभीर खतरों की ओर ध्यान आकर्षित करता है।
भारत एवं विश्व मात्स्यिकी दिवस, 2024
- भारत में मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय के अंतर्गत मत्स्य पालन विभाग द्वारा 21 नवंबर, 2024 को विश्व मात्स्यिकी दिवस का आयोजन किया गया।
- उद्देश्य : मत्स्य पालन क्षेत्र की उपलब्धियों एवं अप्रयुक्त क्षमताओं के बारे में जागरूकता बढ़ाना और इस क्षेत्र में साझेदारी व सर्वोत्तम प्रथाओं को बढ़ावा देना।
- भारत द्वारा निर्धारित इस वर्ष की थीम : ‘भारत का नीला परिवर्तनः लघु-स्तरीय एवं टिकाऊ मत्स्य पालन को मजबूत करना’ (India's Blue Transformation: Strengthening Small-Scale and Sustainable Fisheries)
- इस थीम का उद्देश्य सतत मत्स्य पालन एवं जलीय कृषि को बढ़ावा देने के लिए कई नई पहल शुरू करना है।
- भारतीय शास्त्रों में विष्णु के अवतारों में मत्स्य अवतार का वर्णन भी मिलता है।
- महत्त्व : विश्व मत्स्य पालन दिवस पर भारत टिकाऊ मत्स्य पालन प्रथाओं को बढ़ावा देने, समुद्री पर्यावरण की रक्षा करने और मछली पकड़ने वाले समुदायों को सशक्त बनाने के लिए वैश्विक कार्रवाई आह्वान में शामिल होता है, जिससे इस क्षेत्र में उसका नेतृत्व एवं वैश्विक समुद्री खाद्य उत्पादन के भविष्य की सुरक्षा के प्रति उसकी प्रतिबद्धता मजबूत होती है।
विश्व मात्स्यिकी दिवस 2024 पर शुरू प्रमुख पहल
- डाटा-संचालित नीति निर्माण के लिए 5वीं समुद्री मत्स्य जनगणना
- शार्क संरक्षण के लिए शार्क पर राष्ट्रीय कार्य योजना
- अवैध, अप्रतिबंधित एवं अनियमित मत्स्ययन से निपटने के लिए बंगाल की खाड़ी-क्षेत्रीय कार्य योजना
- समुद्री प्लास्टिक प्रदूषण से निपटने के लिए नया प्रोजेक्ट
- तटीय जलकृषि फार्मों के ऑनलाइन पंजीकरण के लिए नवीन एकल खिड़की प्रणाली
- मत्स्य पालन क्षेत्र में स्वैच्छिक कार्बन बाजार ढांचा स्थापित करने के लिए एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर
- प्रगतिशील राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों, व्यक्तियों एवं उद्यमियों को भारतीय मत्स्य पालन और जलीय कृषि के विकास में उनके योगदान के लिए सम्मानित करना
वैश्विक मत्स्य पालन में भारत की भूमिका
भारत में मत्स्य पालन की स्थिति
- भारत की वैश्विक मत्स्य पालन में महत्वपूर्ण भूमिका है क्योंकि-
- भारत विश्व में तीसरा सबसे बड़ा मछली उत्पादक देश है।
- चीन के बाद भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा जलीय कृषि राष्ट्र है।
- भारत झींगा का विश्व में सबसे बड़ा उत्पादक राष्ट्र है।
- भारतीय मत्स्य पालन क्षेत्र न केवल लगभग 30 मिलियन लोगों की आजीविका का समर्थन करता है, बल्कि इसमें विकास, रोजगार सृजन एवं ग्रामीण विकास की अपार संभावनाएं भी हैं।
- हाल के वर्षों में, भारतीय मत्स्य पालन समुद्री-प्रधान क्षेत्र से अंतर्देशीय मत्स्य पालन पर अधिक ध्यान केंद्रित करने की ओर बढ़ रहा है।
- खारे पानी की जलीय कृषि में भी उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है, विशेष रूप से झींगा पालन में, जो भारत के समुद्री खाद्य निर्यात आय में एक प्रमुख योगदानकर्ता है।
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- भारत में लगभग 1.42 मिलियन हेक्टेयर खारे/लवणीय क्षेत्र हैं। हालाँकि, वर्तमान में केवल 13% का ही उपयोग किया जाता है।
मत्स्य पालन क्षेत्र में बढ़ता निवेश
- मत्स्य पालन विभाग को वित्त वर्ष 2024-25 के लिए ऐतिहासिक 2,584.50 करोड़ रुपये का आवंटन प्राप्त हुआ, जो वार्षिक बजट में 15% की वृद्धि दर्शाता है।
- यह धनराशि विकासात्मक योजनाओं के कार्यान्वयन का समर्थन करेगी, जिनका उद्देश्य टिकाऊ एवं जिम्मेदार मत्स्य पालन प्रथाओं को बढ़ावा देना है।
- वर्ष 2014-15 से 2023-24 तक विभिन्न मत्स्य पालन विकास गतिविधियों के लिए कुल 6,378 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं।
सतत मत्स्य पालन के लिए सरकारी पहल
- नीली क्रांति योजना : नीली क्रांति एकीकृत विकास एवं प्रबंधन मत्स्य पालन योजना या नीली क्रांति योजना वित्त वर्ष 2015-16 में शुरू की गई थी।
- इस योजना का मुख्य उद्देश्य मत्स्य उत्पादन एवं उत्पादकता बढ़ाना है।
- प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY)
- मई 2020 में शुरू की गई PMMSY भारत के मत्स्य पालन क्षेत्र में बदलाव लाने के उद्देश्य से एक प्रमुख पहल है।
- यह योजना जलीय कृषि उत्पादकता बढ़ाने, मत्स्य प्रबंधन में सुधार लाने और इस क्षेत्र में 55 लाख नए रोजगार सृजित करने के साथ-साथ पाँच एकीकृत जल पार्कों की स्थापना के बड़े बुनियादी ढाँचे में बदलाव लाने पर केंद्रित है।
- इससे मत्स्य निर्यात दोगुना होकर 1 लाख करोड़ रूपए होने की परिकल्पना है।
- PMMSY का एक मुख्य लक्ष्य जलीय कृषि उत्पादकता को वर्तमान में 3 टन प्रति हेक्टेयर (Ha) से बढ़ाकर 5 टन प्रति हेक्टेयर करना है।
- इसका उद्देश्य मत्स्य पालन के बुनियादी ढाँचे में सुधार करना और समुद्री खाद्य उत्पादन अपशिष्ट को कम करना भी है।
- मत्स्य पालन एवं जलकृषि अवसंरचना विकास निधि (FIDF)
- इसको वर्ष 2018-19 में समुद्री एवं अंतर्देशीय मत्स्य पालन दोनों में बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए धन उपलब्ध कराने के लिए प्रस्तुत किया गया था।
- FIDF ऋण परियोजना लागत का 80% तक कवर कर सकता है जिसमें 3% तक की ब्याज छूट शामिल है।
- यह वित्तीय सहायता मछली पालन वाले किसानों, उद्यमियों एवं सहकारी समितियों के लिए आवश्यक है जो उत्पादन बढ़ाने के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचे में सुधार चाहते हैं।
- आई.सी.ए.आर.-केंद्रीय मत्स्य शिक्षा संस्थान
- वर्ष 1961 में मुंबई में स्थापित केंद्रीय मत्स्य शिक्षा संस्थान (CIFE) मत्स्य पालन में उच्च शिक्षा एवं अनुसंधान के लिए भारत का अग्रणी संस्थान है।
- CIFE ने 4,000 से अधिक मत्स्य पालन विस्तार कार्यकर्ताओं व पेशेवरों को प्रशिक्षित किया है।
भारत में सतत मत्स्य पालन
- सतत मत्स्य प्रबंधन के प्रति भारत की प्रतिबद्धता समुद्री संसाधनों, विशेष रूप से इसके प्रादेशिक जल एवं अनन्य आर्थिक क्षेत्र (EEZ) के भीतर विनियमन एवं संरक्षण के लिए इसके व्यापक दृष्टिकोण में परिलक्षित होती है।
- तट से 12 समुद्री मील के भीतर मत्स्य पालन का विषय संविधान की ‘राज्य सूची’ के अंतर्गत आता है, जिसमें तटीय राज्य व केंद्र शासित प्रदेश मछली पकड़ने की गतिविधियों के प्रबंधन एवं विनियमन के लिए समुद्री मत्स्य पालन विनियमन अधिनियम (MFRA) को अधिनियमित करते हैं।
सतत मत्स्य पालन हेतु प्रयास
- राष्ट्रीय समुद्री मत्स्य पालन नीति (NPMF 2017) : भारत सरकार ने NPMF की शुरुआत की है जो सभी समुद्री मत्स्य पालन कार्यों के लिए मुख्य सिद्धांत के रूप में स्थिरता पर जोर देती है।
- विनियमन एवं संरक्षण उपाय : समुद्री मछली भंडार की दीर्घकालिक स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने कई संरक्षण उपायों को लागू किया है, जैसे :
- एकसमान मत्स्ययन पर प्रतिबंध
- विनाशकारी मत्स्ययन के तरीकों पर प्रतिबंध
- टिकाऊ प्रथाओं को बढ़ावा देना
- राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा मत्स्य पालन का विनियमन