(प्रारंभिक परीक्षा: राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाओं से संबंधित मुद्दे)
(मुख्य परीक्षा: सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 2- भारत के हितों पर विकसित तथा विकासशील देशों की नीतियों तथा राजनीति का प्रभाव, द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह और भारत से संबंधित और/अथवा भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार, भारत एवं इसके पड़ोसी- देशों से संबंधित मुद्दे)
संदर्भ
हाल ही में आसियान देशों के मंत्रियों की ‘प्रथम डिजिटल बैठक’ संपन्न हुई। इसमें डिजिटल सहयोग बढ़ाने, मानव संसाधन को विकसित करने तथा उभरती तकनीकों के संवर्द्धन के लिये वर्ष 2025 तक के एक ‘आसियान मास्टर प्लान’ के कार्यान्वयन को स्वीकृति प्रदान की गई।
आसियान (Association of South East Asian Nations – ASEAN)
- स्थापना– वर्ष 1967 आसियान घोषणा पत्र (बैंकॉक घोषणा)
- मुख्यालय– जकार्ता, इंडोनेशिया
- आसियान दिवस– 8 अगस्त
- संस्थापक देश– इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपींस, सिंगापुर और थाईलैंड
- सदस्य देश– इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड, ब्रुनेई, वियतनाम, लाओस, म्यांमार तथा कंबोडिया
- प्रेक्षक देश– पापुआ न्यू गिनी, तिमोर लेस्ते
- आदर्श वाक्य– 'वन विजन, वन आइडेंटिटी, वन कम्युनिटी'
- ‘ब्रुनेई’ वर्ष 1984 में, ‘वियतनाम’ वर्ष 1995 में, ‘लाओस’ और ‘म्यांमार’ वर्ष 1997 में तथा ‘कंबोडिया’ वर्ष 1999 में आसियान के सदस्य बने।
- वर्ष 1997 में ‘आसियान विजन 2020’ अपनाया गया।
- वर्ष 2015 में ‘आसियान समुदाय’ का शुभारंभ किया गया। इसके तीन स्तंभ हैं–
i. आसियान राजनीतिक-सुरक्षा समुदाय ii. आसियान आर्थिक समुदाय iii.आसियान सामाजिक-सांस्कृतिक समुदाय
|
भारत-आसियान व्यापार
- ‘भारत’ आसियान के साथ अपने व्यापारिक संबंधों को बेहतर बनाना चाहता है। वर्ष 2019 एवं 2020 में संपन्न हुए ‘भारत-आसियान शिखर सम्मेलन’ में भारतीय प्रधानमंत्री ने भारत की 'एक्ट- ईस्ट नीति' में आसियान के केंद्रीय महत्त्व को रेखांकित किया था।
- वर्ष 2020 में भारतीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री ने कहा था कि, यदि भारत और आसियान देश अपने मतभेदों को सुलझा लें तथा अपनी व्यापार क्षमता का इष्टतम दोहन करें, तो दोनों पक्षों के मध्य द्विपक्षीय व्यापार 300 अरब डॉलर तक पहुँच सकता है।
- वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के नवीनतम आँकड़ों से ज्ञात होता है कि अप्रैल 2020 से जनवरी 2021 के दौरान भारत-आसियान व्यापार में लगभग 17% (2 बिलियन डॉलर से 61.1 बिलियन डॉलर) की गिरावट दर्ज़ की गई। पिछले वर्ष इसी अवधि के दौरान निर्यात तथा आयात में गिरावट क्रमशः 7% और 22% रही।
- हालाँकि व्यापार में यह गिरावट किसी एक कारण के चलते नहीं रही, अपितु इसके लिये कई कारणों को ज़िम्मेदार ठहराया जा सकता है। फिर भी, व्यापार में हुई इस गिरावट के लिये कोविड-19 महामारी को सबसे महत्त्वपूर्ण कारक माना जा सकता है।
- उल्लेखनीय है कि भारत-आसियान व्यापारिक संबंध उस गति से आगे नहीं बढ़ रहे हैं, जिसकी अपेक्षा भारत रखता है। आसियान देशों के साथ अपने मज़बूत संबंध बनाने के लिये भारत द्वारा दोनों पक्षों के मध्य बेहतर कनेक्टिविटी को बढ़ावा दिया जाना चाहिये।
ई-कॉनॉमी 2020 रिपोर्ट (e-Conomy report, 2020)
- वर्ष 2016 से यह रिपोर्ट प्रतिवर्ष गूगल, टेमासेक तथा बैन एंड कंपनी के द्वारा संयुक्त रूप से जारी की जाती है।
- वर्ष 2020 की रिपोर्ट के अनुसार, दक्षिण-पूर्व एशिया में वर्ष 2020 में लगभग 40 मिलियन नए इंटरनेट उपयोगकर्ता जुड़े तथा इस क्षेत्र में कुल इंटरनेट उपयोगकर्ताओं की कुल संख्या लगभग 400 मिलियन हो गई।
- वर्ष 2020 में दक्षिण-पूर्व एशिया में इंटरनेट अर्थव्यवस्था लगभग 100 बिलियन डॉलर की थी। डिजिटल सेवाओं की बढ़ती गति को देखते हुए यह अनुमान लगाया जाता है की यह वर्ष 2025 तक लगभग 300 बिलियन डॉलर हो जाएगी।
भारत के लिये डिजिटल अवसर
- डिजिटल क्षेत्र के बेहतर विकास के लिये भारत को आसियान क्षेत्र में अवसरों की तलाश को प्राथमिकता देनी चाहिये।
- डिजिटल भुगतान के मोर्चे पर ‘भारत’ आसियान देशों के साथ एकीकृत भुगतान इंटरफेस (Unified Payment Interface – UPI) के समरूप ‘एकीकृत भुगतान प्रणाली’ विकसित करने के अपने अनुभवों को साझा कर सकता है।
- डिजिटल मोर्चे पर आसियान देशों के साथ भारत का जुड़ाव बेहद फायदेमंद साबित हो सकता है क्योंकि इससे सीमा-पार निर्बाध निधि हस्तांतरण, भुगतान प्रणालियों में नवाचार और फिनटेक कंपनियों को अपना कार्य-विस्तार करने के लिये प्रोत्साहन मिल सकता है।
- व्यापार क्षेत्र में भारत ‘डिजिटल इकोनॉमी पार्टनरशिप एग्रीमेंट’ (DEPA) के माध्यम से आसियान देशों के साथ डिजिटल सहयोग को बढ़ावा देकर लाभ उठा सकता है। इसके अलावा, भारत और आसियान देशों के स्टार्ट-अप और बड़ी कंपनियाँ एक-दूसरे के बाज़ारों का उपयोग कर व्यापार गतिविधियों को बढ़ा सकते हैं।
- इसका उद्देश्य डिजिटल व्यापार को सुविधाजनक बनाना, डेटा प्रवाह को विश्वसनीय व सुरक्षित बनाना तथा डिजिटल तंत्र में विश्वास-निर्माण करना है।
- मार्च 2020 में डाटालैब्स (Datalabs) की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि 35 से अधिक बड़े टिकटों में भारतीय स्टार्ट-अप का विस्तार हुआ है अथवा उनकी दक्षिण-पूर्व एशिया में विस्तार करने की योजना है। यह सिंगापुर, इंडोनेशिया, मलेशिया और फिलीपींस के बाद सबसे पसंदीदा स्थान है।
'एक्ट-ईस्ट और एक्ट-फास्ट'
- कोविड-19 महामारी ने सरकारों और व्यवसायों के साथ आसियान के डिजिटल परिदृश्य को बदल दिया है। सरकारें व व्यावसायिक क्षेत्र डिजिटल प्रौद्योगिकियों का उपयोग कर अपनी अर्थव्यवस्थाओं को बदलने के लिये विवश हैं।
- आसियान के पास यह क्षमता है कि वह दुनिया की शीर्ष पाँच डिजिटल अर्थव्यवस्थाओं में से एक बन सकती है। आसियान देशों का यह डिजिटल परिदृश्य निवेशकों को अपनी ओर आकर्षित करता है।
- भारत के डिजिटल बुनियादी ढाँचे की स्थिति और इसकी बढ़ती डिजिटल अर्थव्यवस्था के आधार पर यह कहा जा सकता है कि भारत डिजिटल क्षेत्र में 'एक्ट ईस्ट नीति' को बढ़ावा देकर बेहतर लाभ उठा सकता है।
निष्कर्ष
डिजिटल माध्यम से भारत-आसियान व्यापारिक संबंधों को अत्यंत प्रभावी स्वरूप प्रदान किया जा सकता है, इसलिये आसियान के साथ भारत के डिजिटल जुड़ाव को प्रेरित करना चाहिये और दोनों पक्षों के बीच डिजिटल कनेक्टिविटी को भी विस्तृत करना चाहिये।