(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र-2 : द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह और भारत से संबंधित अथवा भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार)
संदर्भ
हाल ही में, भारत एवं ऑस्ट्रेलिया के मध्य पहली टू प्लस टू (2+2) मंत्रिस्तरीय वार्ता नई दिल्ली में संपन्न हुई। इस वार्ता में भारतीय रक्षा मंत्री एवं विदेश मंत्री ने अपने ऑस्ट्रेलियाई समकक्षों के साथ भाग लिया। दोनों ही देश शांतिपूर्ण और समृद्ध हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिये प्रतिबद्ध हैं और इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिये महत्त्वपूर्ण कदम उठा रहे हैं।
वार्ता के प्रमुख बिंदु
- बैठक में अफगानिस्तान की स्थिति पर चर्चा करते हुए दोनों देशों ने वहां पर मानव अधिकारों के उल्लंघन पर चिंता व्यक्त की। दोनों देशों ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव 2953 को लागू करने की वकालत की। इसके अनुसार, अफगानिस्तान की धरती का प्रयोग किसी अन्य देश में अशांति फ़ैलाने के लिये नहीं किया जाएगा।
- दोनों देशों ने आतंकवाद के किसी भी स्वरूप की निंदा की तथा इसका सामना करने के लिये सहयोग बढ़ाने के लिये अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।
- साथ ही, दोनों पक्षों ने साइबर सुरक्षा, नवाचार, डिजिटल अर्थव्यवस्था तथा महत्त्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों में सहयोग पर बल दिया तथा 5G सहित सुरक्षित दूरसंचार के लिये मिलकर काम करने का निर्णय लिया।
- वार्ता में दोनों देशों ने ‘टिकाऊ आर्थिक विकास’ के लिये मुक्त व्यापार सुनिश्चित करने तथा सुरक्षित वैश्विक आपूर्ति शृंखला बनाने पर बल दिया।
- दोनों देशों ने वार्ता में द्विपक्षीय रक्षा सहयोग तथा सैन्य सहभागिता के विस्तार, रक्षा प्रौद्योगिकी में सहयोग, रसद समर्थन तथा रक्षा सूचना साझाकरण को बढ़ाने पर बल दिया।
- इसके अतिरिक्त, ऑस्ट्रेलिया ने परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (NSG) एवं संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् में भारत की स्थायी सदस्यता के लिये भारत का समर्थन किया।
भारत-ऑस्ट्रेलिया : एक मजबूत साझेदारी
- भारत और ऑस्ट्रेलिया ने अपनी व्यापक रणनीतिक साझेदारी का एक वर्ष पूर्ण कर लिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने जून 2020 में अपनी द्विपक्षीय रणनीतिक साझेदारी को एक व्यापक रणनीतिक साझेदारी तक बढ़ा दिया है।
- इसके अंतर्गत ‘लॉजिस्टिक सहयोग समझौते’ के माध्यम से दोनों देशों ने एक दूसरे के सैन्य ठिकानों तक पहुँच प्राप्त कर ली।
- दोनों देशों के मध्य पिछले कुछ वर्षों में अभूतपूर्व जुड़ाव और तालमेल में बढ़ोतरी के साथ लोगों के संपर्क में वृद्धि हुई है तथा दोनों देशों के मध्य संबंधों में और भी प्रगाढ़ता आई है। दोनों देशों ने द्विपक्षीय, त्रिपक्षीय और बहुपक्षीय स्वरूपों स्वरूपों कई मुद्दों पर संस्थाओं एवं संगठनों के माध्यम से आपसी सहयोग को बढ़ावा दिया है।
- इसके अतिरिक्त दोनों देशों के रक्षा एवं विदेश मत्रियों के मध्य 2+2 संवाद उनके मध्य संबंधों की सुदृढ़ता को दर्शाता है।
व्यापारिक साझेदारी
- भारतीय अर्थव्यवस्था एक महत्त्वपूर्ण आर्थिक परिवर्तन के दौर से गुजर रही है। ऑस्ट्रेलिया भारत का एक महत्त्वपूर्ण व्यापारिक भागीदार है। हाल के वर्षों में दोनों देशों के मध्य व्यापार में उल्लेखनीय प्रगति हुई है। वर्ष 2020 में दोनों देशों के बीच 24.4 डॉलर का व्यापार हुआ।
- दोनों देशों के मध्य कृषि व्यवसाय, बुनियादी ढाँचा, स्वास्थ्य सेवा, खनन, शिक्षा, कृत्रिम बुद्धिमत्ता इत्यादि क्षेत्रों में व्यापार में वृद्धि हुई है। दोनों देशों द्वारा दीर्घकालिक स्थायी आर्थिक संबंध बनाने के लिये प्रयास किये जा रहे हैं।
- दोनों देशों के मध्य व्यापार में वृद्धि के बावजूद अभी भी कई ऐसे मुद्दे मौजूद हैं, जो आर्थिक एकीकरण में बाधा उत्पन्न करते हैं।
- भारत में कृषि और डेयरी उत्पादों के आयात पर उच्च शुल्क लगाया जाता है। इसके कारण ऑस्ट्रलियाई निर्यातकों को भारत में इन वस्तुओं के निर्यात में कठिनाई होती है।
- इसके साथ ही भारत के कुशल पेशेवरों को ऑस्ट्रेलिया में भेदभाव का सामना करना पड़ता है। अतः दोनों देशों को आपसी व्यापारिक सहयोग बढ़ाने के लिये ऐसे मुद्दों को प्राथमिकता के आधार पर हल किया जाना चाहिये।
हिंद-प्रशांत क्षेत्र का महत्त्व
- दोनों देश मुक्त, समावेशी और नियम आधारित हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिये प्रतिबद्ध हैं। इसके अंतर्गत इस क्षेत्र में सभी देशों के लिये स्थिरता और नौवहन की स्वतंत्रता सम्मिलित है। इसमें दोनों देशों के समान हित निहित हैं।
- इस क्षेत्र में शक्तियों के बढ़ते हस्तक्षेप एवं अपनी साझी चुनौतियों के मद्देनजर क्षेत्रीय सुरक्षा संरचना को मजबूत करने के लिये दोनों देशों ने द्विपक्षीय सुरक्षा सहयोग में वृद्धि की है। आपसी समन्वय को स्थायित्त्व प्रदान करने के उद्देश्य से इन देशों ने प्रमुख साझेदार देशों के साथ सुरक्षा वार्ता भी प्रारंभ की है।
- क्वाड (भारत, ऑस्ट्रेलिया, जापान एवं अमेरिका) का गठन इस दिशा में एक महत्त्वपूर्ण प्रयास है। यह सदस्य देशों के बीच सामरिक स्तर पर गहन जुड़ाव एवं सहयोग का संकेत देता है। क्वाड द्वारा मालाबार नौसैनिक अभ्यास (2021), इस दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है। यह नौसेनाओं को उन्नत युद्ध रणनीति विकसित करने में सहयोग करता है।
निष्कर्ष
भारत एवं ऑस्ट्रेलिया के संबंध पिछले कुछ दशकों में सुदृढ़ हुए हैं। दोनों ही देश लोकतांत्रिक मूल्यों के पक्षधर हैं तथा अंतर्राष्ट्रीय कानूनों के सम्मान एवं राष्ट्रों की समानता में विश्वास करते हैं। दोनों देशों के लिये हिंद-प्रशांत क्षेत्र समान महत्त्व का क्षेत्र है तथा दोनों ही देश इस क्षेत्र में शांति एवं कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिये प्रतिबद्ध हैं। दोनों देशों के मध्य होने वाली यह वार्ता इनके संबंधों को और मजबूत बनाएगी।