(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2: भारत एवं इसके पड़ोसी देश) |
संदर्भ
हाल ही में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ब्रुनेई की आधिकारिक यात्रा की। यह किसी भी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली द्वि-पक्षीय यात्रा है। इस वर्ष भारत-ब्रुनेई अपने राजनयिक संबंधों की 40वीं वर्षगांठ मना रहे हैं।
प्रधानमंत्री की ब्रुनेई यात्रा के संबंध में प्रमुख बिंदु
- भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ब्रुनेई के सुल्तान हसनल बोल्किया के निमंत्रण पर ब्रुनेई का दो-द्विसीय दौरा किया और बंदर सेरी बेगवान में सुल्तान से मुलाकात की।
- दोनों नेताओं ने रक्षा, कनेक्टिविटी, व्यापार एवं निवेश, नवीकरणीय ऊर्जा, अंतरिक्ष, आई.सी.टी., स्वास्थ्य व फार्मास्यूटिकल्स, शिक्षा तथा क्षमता निर्माण, संस्कृति, पर्यटन, युवा व व्यक्ति-से-व्यक्ति के बीच आदान-प्रदान और आपसी हित के क्षेत्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों सहित कई मुद्दों पर सहयोग बढ़ाने के लिए चर्चा की।
- इस यात्रा के दौरान भारतीय प्रधानमंत्री ने ‘विस्तारवाद’ के स्थान पर ‘विकास’ का समर्थन किया और भारत-ब्रुनेई संयुक्त वक्तव्य जारी किया गया।
संयुक्त वक्तव्य के प्रमुख बिंदु
अंतर्राष्ट्रीय कानून की प्रतिबद्धता
- दोनों नेताओं ने शांति, स्थिरता, समुद्री सुरक्षा को बनाए रखने और इसे बढ़ावा देने के साथ-साथ संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून अभिसमय (UNCLOS), 1982 सहित अन्य अंतर्राष्ट्रीय कानूनों के अनुरूप नौवहन तथा उड़ान की स्वतंत्रता और अवरोध मुक्त वैध वाणिज्य का सम्मान करने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।
- सभी पक्षों से अंतर्राष्ट्रीय कानून के अनुसार शांतिपूर्ण तरीकों से विवादों का समाधान करने का भी आग्रह किया गया।
- दोनों नेताओं ने क्षेत्र की शांति, स्थिरता, सुरक्षा, समृद्धि व लचीलेपन को बनाए रखने के लिए अपनी दृढ़ प्रतिबद्धता की पुष्टि की तथा संयुक्त राष्ट्र चार्टर और अंतर्राष्ट्रीय कानून में उल्लिखित सिद्धांतों का पालन करने के महत्व को रेखांकित किया।
रक्षा सहयोग
- रक्षा के मुद्दे पर दोनों नेताओं ने रक्षा एवं समुद्री सहयोग बढ़ाने के महत्व को स्वीकार किया। इसमें दोनों देशों के बीच नियमित यात्राओं, प्रशिक्षण कार्यक्रमों, संयुक्त अभ्यासों एवं नौसेना तथा तटरक्षक जहाजों के दौरों के माध्यम से सहयोग बढ़ाना शामिल है।
- दोनों नेताओं ने दोनों देशों के जहाजों द्वारा नियमित रूप से बंदरगाहों पर आने-जाने पर सहमति व्यक्त की।
व्यापार एवं निवेश
- दोनों देश पारस्परिक हितों के क्षेत्रों में द्विपक्षीय व्यापार व आर्थिक संबंधों को और बढ़ाने पर भी सहमत हुए।
- दोनों नेताओं ने नियमित आदान-प्रदान और संवाद के महत्व को रेखांकित किया जिसे संयुक्त व्यापार समिति (Joint Trade Committee: JTC) जैसे प्रमुख मंचों के साथ-साथ अन्य प्रासंगिक द्विपक्षीय, क्षेत्रीय व बहुपक्षीय मंचों के माध्यम से आयोजित किया जाना चाहिए।
- दोनों नेताओं ने प्रौद्योगिकी, वित्त, विनिर्माण एवं प्रसंस्करण सहित संबंधित पहलुओं का लाभ उठाने और पारस्परिक रूप से लाभकारी तरीके से पूरक की खोज करने का आह्वान किया।
- दोनों देशों ने खाद्य सुरक्षा के महत्व को पहचाना और ज्ञान, सर्वोत्तम प्रथाओं तथा अनुभव के आदान-प्रदान के माध्यम से कृषि एवं खाद्य आपूर्ति श्रृंखला में सहयोग बढ़ाने पर सहमति व्यक्त की।
सांस्कृतिक एवं मानवीय सहयोग
- प्रधानमंत्री मोदी ने बंदर सेरी बेगवान के चांसरी में भारतीय उच्चायोग के नए कार्यालय परिसर का उद्घाटन किया।
- उन्होंने वर्तमान सुल्तान के पिता द्वारा निर्मित प्रतिष्ठित उमर अली सैफुद्दीन मस्जिद का भी दौरा किया।
- यह मस्जिद आधुनिक इस्लामी वास्तुकला का उदाहरण है जो मुगल काल एवं इतालवी पुनर्जागरण काल की वास्तुकला का मिश्रण है।
वैज्ञानिक सहयोग
- प्रधानमंत्री मोदी ने इसरो के टेलीमेट्री ट्रैकिंग एवं टेलीकमांड स्टेशन की मेजबानी जारी रखने के लिए ब्रुनेई की सराहना की।
- इस स्टेशन ने अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत के चल रहे प्रयासों में योगदान दिया है।
भारत-ब्रुनेई द्विपक्षीय संबंध
राजनयिक संबंध
- भारत एवं ब्रुनेई दारुस्सलाम के बीच राजनयिक संबंध 10 मई, 1984 को स्थापित हुए थे।
- ब्रुनेई दारुस्सलाम में भारतीय मिशन वर्ष 1993 में स्थापित किया गया था। इससे पूर्व कुआलालंपुर में भारतीय मिशन को ब्रुनेई दारुस्सलाम के लिए मान्यता प्राप्त थी।
- ब्रुनेई दारुस्सलाम का उच्चायोग भारत में वर्ष 1992 में स्थापित किया गया था।
- ब्रुनेई दारुस्सलाम व भारत अपने मजबूत पारंपरिक एवं सांस्कृतिक संबंधों तथा संयुक्त राष्ट्र, गुटनिरपेक्ष आंदोलन, राष्ट्रमंडल, आसियान आदि की सदस्यता के आधार पर घनिष्ठ संबंध साझा करते हैं।
- ब्रुनेई के सुल्तान हाजी हसनल बोल्किया भारत के साथ घनिष्ठ संबंधों के सबसे प्रबल समर्थकों में से रहे हैं।
- ब्रुनेई दारुस्सलाम सरकार आसियान के साथ सहयोग के विस्तार व गहनता के लिए भारत की ‘लुक ईस्ट पॉलिसी’ एवं ‘एक्ट ईस्ट पॉलिसी’ का समर्थन करती रही है।
- जुलाई 2012 से जून 2015 तक आसियान में भारत को समन्वयक देश के रूप में मान्यता दिलाने के लिए ब्रुनेई दारुस्सलाम ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- ब्रुनेई दारुस्सलाम विभिन्न अंतरराष्ट्रीय संगठनों में भारत की उम्मीदवारी का समर्थन करता रहा है।
रक्षा संबंध
- वर्तमान में दोनों देशों के बीच रक्षा संबंधों का विस्तार हो रहा है। यह नियमित आधिकारिक स्तर पर रक्षा विनिमय, नौसेना एवं तट रक्षक जहाजों के आवागमन, प्रशिक्षण व संयुक्त अभ्यास और एक-दूसरे की रक्षा प्रदर्शनियों आदि में भागीदारी के माध्यम से होता है।
- दोनों देशों के रक्षा मंत्रालयों के अधिकारियों ने जनवरी 2021 में एक वर्चुअल बैठक की थी।
- दोनों देशों के मध्य रक्षा सहयोग पर समझौता ज्ञापन को वर्ष 2021 में पांच वर्ष की अवधि के लिए नवीनीकृत किया गया था।
वाणिज्यिक संबंध
- भारत से ब्रुनेई को मुख्य निर्यात : ऑटोमोबाइल, परिवहन उपकरण, चावल एवं मसाले।
- ब्रुनेई से भारत द्वारा मुख्य आयात : कच्चा तेल
- द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ावा देने के लिए दोनों देशों के बीच नियमित वर्चुअल बैठकें आयोजित की जाती हैं।
- द्विपक्षीय संयुक्त व्यापार समिति की पहली बैठक सितंबर 2018 में ब्रुनेई में आयोजित की गई थी। दूसरी बैठक मार्च 2022 में हुई थी।
भारत-ब्रुनेई द्विपक्षीय व्यापार (US $ मिलियन)
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वर्ष 2021
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वर्ष 2022
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वर्ष 2023
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ब्रुनेई दारुस्सलाम का भारत के साथ व्यापार
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निर्यात
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आयात
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कुल
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निर्यात
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आयात
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कुल
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निर्यात
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आयात
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कुल
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474
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48.7
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522.7
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314.2
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68.6
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382.8
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128.2
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67
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195.2
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सांस्कृतिक एवं मानवीय संबंध
- भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (ICCR) द्वारा प्रायोजित सांस्कृतिक मंडलियां ब्रुनेई दारुस्सलाम का निरंतर दौरा करती रही हैं।
- भारत सरकार की ‘भारतीय प्रवासियों के साथ सांस्कृतिक संबंधों को बढ़ावा देने’ की पहल के तहत उच्चायोग ने 23 जनवरी, 2021 को राजधानी शहर में एक सांस्कृतिक कार्यक्रम ‘उत्सव’ का आयोजन किया।
- ‘आज़ादी का अमृत महोत्सव’ इंडिया@75 समारोह के हिस्से के रूप में भारतीय उच्चायोग कई तरह के कार्यक्रम आयोजित कर रहा है।
- भारतीय मिशन ने ब्रुनेई में भारतीय समुदाय के उन सदस्यों को भी कुछ राहत प्रदान की है, जिनके आय के स्रोत कोविड-19 महामारी के दौरान गंभीर रूप से बाधित हो गए थे।
- ब्रुनेई दारुस्सलाम में दशकों से भारतीय प्रवासी रह रहे हैं। वर्तमान में ब्रुनेई दारुस्सलाम में से लगभग 14,500 भारतीय रहते हैं। विभिन्न क्षेत्रों के भारतीय पेशेवरों ने इस द्वीपीय राष्ट्र में भारतीय उपस्थिति को मजबूत किया है।
- ब्रुनेई दारुस्सलाम में भारतीय डॉक्टरों की एक बड़ी संख्या है। ब्रुनेई में भारतीय पेशेवरों, विशेष रूप से शिक्षकों एवं डॉक्टरों के लिए सद्भावना व सम्मान है।
- ब्रुनेई में पाँच प्रमुख भारतीय समुदाय हैं जो भारतीय त्यौहारों व राष्ट्रीय पर्वों का उत्सव मनाते हैं।
देशनामा : ब्रुनेई
- अवस्थिति : दक्षिण-पूर्व एशिया
- राजधानी : बंदर सेरी बेगवान
- यहाँ विश्व का सबसे बड़ा तैरता गाँव कम्पोंग आयर स्थित है।
- ब्रुनेई अपने विशाल तेल एवं गैस भंडार के लिए प्रसिद्ध है।
- जनसंख्या : वर्ष 2023 के आधिकारिक अनुमानों के अनुसार ब्रुनेई की जनसंख्या 450,500 है।
- ये ब्रुनेई के नागरिक जनसंख्या का लगभग 76% हिस्सा हैं जबकि शेष स्थायी या अस्थायी निवासी हैं। 80% से अधिक आबादी जातीय रूप से मलय या चीनी है।
- जलवायु : भूमध्यरेखीय
- आधिकारिक धर्म : इस्लाम
- राज्य में प्रचलित अन्य धर्मों में ईसाई धर्म एवं बौद्ध धर्म शामिल हैं।
- ब्रुनेई में इस्लाम आधिकारिक तौर पर चौदहवीं सदी से ही है।
- इस्लाम अपनाने वाले ब्रुनेई के पहले शासक का नाम अवांग अलक बेटातर था, जिन्होंने जोहोर (पुराने सिंगापुर) की राजकुमारी से विवाह करने के बाद लगभग 1368 ई. में सुल्तान मुहम्मद शाह की उपाधि धारण की थी।
- इससे पूर्व यहाँ बौद्ध धर्म प्रचलित था। वर्ष 2014 में ब्रुनेई सख्त इस्लामी शरिया कानून अपनाने वाला पहला पूर्वी एशियाई देश बन गया।
- दातु इमाम याकूब द्वारा रचित 'सलासिलाह राजा-राजा ब्रुनेई' (ब्रुनेई के राजाओं की वंशावली) में इसका उल्लेख है।
- आधिकारिक भाषा : मलय
- अन्य भाषाओं में अंग्रेजी एवं चीनी (विभिन्न बोलियाँ) शामिल हैं।
- आधिकारिक मुद्रा : ब्रुनेई डॉलर
- ब्रुनेई में आयकर नहीं लिया जाता है।
- ब्रुनेई के वर्तमान सुल्तान हाजी हसनल बोल्किया ने 1 अगस्त, 1968 को 29वें सुल्तान के रूप में गद्दी संभाली है।
- वर्तमान में वे दुनिया में सबसे लंबे समय तक शासन करने वाले सम्राट बन गए।
- सुलतान का आधिकारिक निवास इस्ताना नूरुल इमान है।
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आगे की राह
- ब्रुनेई दक्षिण चीन सागर का हिस्सा होने का दावा करता है, जिसके अधिकांश क्षेत्र पर चीन का प्रभुत्व है। हालाँकि, इस क्षेत्र में दावा करने वाले कुछ अन्य देशों के विपरीत ब्रुनेई ने उत्तरी बोर्नियो के अपेक्षाकृत छोटे क्षेत्र पर अपने दावे पर चुप्पी साध रखी है और चीन के साथ बढ़ते व्यापार संबंधों पर ध्यान केंद्रित किया है।
- वर्तमान में तेल पर निर्भर ब्रुनेई अपनी अर्थव्यवस्था में विविधता ला रहा है। भारत भी चीन+1 रणनीति का लाभ उठाने के लिए ब्रुनेई की क्षमता का लाभ उठाने पर विचार कर रहा है।
- दक्षिण चीन सागर में भारत का भी महत्वपूर्ण हित है क्योंकि इसका लगभग 55% व्यापार विवादित जलक्षेत्र से होकर गुजरता है।
चीन+1 रणनीति
- चीन प्लस वन रणनीति एक आपूर्ति श्रृंखला रणनीति है जो जोखिम को कम करने के लिए कंपनियों को चीन से अलग अपनी आपूर्ति श्रृंखला और विनिर्माण गतिविधियों में विविधता लाने के लिए प्रोत्साहित करती है।
- इसे प्लस वन या सी+1 के नाम से भी जाना जाता है।
- इसका लक्ष्य सोर्सिंग एवं विनिर्माण के लिए किसी एक देश पर अत्यधिक निर्भरता के जोखिम को कम करना है।
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