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भारत-मध्य एशिया संबंध 

(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-2 : भारत एवं इसके पड़ोसी संबंध)

संदर्भ 

हाल ही में, भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल ने नई दिल्ली में पहली बार मध्य एशियाई देशों के साथ एक विशेष बैठक की मेजबानी की है। इस बैठक में कज़ाख़स्तान, किर्गिस्तान, तजाकिस्तान, उज्बेकिस्तान के एन.एस.ए. जबकि तुर्कमेनिस्तान की ओर से राजदूत शामिल हुए है।

बैठक के प्रमुख निष्कर्ष

  • इस विशेष बैठक में अजीत डोभाल ने मध्य एशिया को भारत का विस्तारित पड़ोस बताते हुए एक शांतिपूर्ण, सुरक्षित, समृद्ध मध्य एशिया को देश के साझा हित में अपरिहार्य बताया है।
  • मध्य एशियाई देशों के साथ संपर्क बनाना भारत की सर्वोच्च प्राथमिकता है। भारत इस क्षेत्र में सहयोग एवं निवेश के लिये तैयार है और कनेक्टिविटी का विस्तार करने  के लिये प्रतिबद्ध है। 
    • कनेक्टिविटी का विस्तार करते समय यह सुनिश्चित करना महत्त्वपूर्ण है कि सभी देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के संबंध में कनेक्टिविटी पहल पारदर्शी और भागीदारीपूर्ण हो। विदित है कि मध्य एशियाई देश चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव का एक हिस्सा है।
    • संयुक्त विज्ञप्ति में चाबहार बंदरगाह द्वारा मध्य एशियाई देशों के लॉजिस्टिक बुनियादी ढांचे के विकास के साथ-साथ अफगानिस्तान को मानवीय सहायता की आपूर्ति करने पर जोर दिया गया। विदित है कि अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे से पूर्व, भारत ने चाबहार बंदरगाह के शाहिद बेहेश्ती टर्मिनल तक समुद्री मार्ग से अफगानिस्तान को 1,00,000 टन गेहूं और दवाएं पहुँचाई थीं।
    • बैठक में अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन कॉरिडोर (INSTC) के ढाँचे के भीतर चाबहार बंदरगाह को शामिल करने के भारत के प्रस्ताव का समर्थन किया गया। यह भारत, ईरान, अफगानिस्तान, आर्मेनिया, अजरबैजान, रूस, मध्य एशिया और यूरोप के बीच माल ढुलाई के लिये 7,200 किलोमीटर लंबी बहु-मोड परिवहन परियोजना है।
  • बैठक में अफगानिस्तान सहित मध्य एशियाई क्षेत्र में आतंकवादी नेटवर्क के अस्तित्व पर गहरी चिंता व्यक्त की गई है। आतंकवादी संगठनों के वित्तपोषण का मुकाबला करने के लिये क्षेत्र में एकजुटता का प्रदर्शन करने का आह्वान किया गया है।
    • संयुक्त वक्तव्य में संयुक्त राष्ट्र में अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद पर व्यापक सम्मेलन (UN Comprehensive Convention on International Terrorism : CCIT) को शीघ्र अपनाने का भी आह्वान किया गया है, जिसे भारत ने पहली बार वर्ष 1996 में प्रस्तावित किया था।
  • तुर्कमेनिस्तान ने तुर्कमेनिस्तान-अफगानिस्तान-पाकिस्तान-भारत (TAPI) पाइपलाइन परियोजना को आगे बढ़ाने पर जोर दिया, जिसे वर्ष 2016 में लॉन्च किया गया था, लेकिन यह परियोजना अफगान संघर्ष और भारत-पाकिस्तान संबंधों के कारण क्रियान्वित नहीं हो सकी है।

भारत के लिये मध्य एशिया का महत्त्व 

ऐतिहासिक संबंध 

  • ऐतिहासिक रूप से रेशम मार्ग ने तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व से पंद्रहवीं शताब्दी ईस्वी तक भारत को मध्य एशिया से जोड़ा है।
  • बौद्ध धर्म से लेकर बॉलीवुड फिल्मों के स्थायी प्रभाव ने इस क्षेत्र में भारत एवं मध्य एशिया के मध्य गहरे सांस्कृतिक संबंध स्थापित किये हैं।

संगठन और रणनीतिक सहयोग

  • भारत ने शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की सदस्यता ग्रहण करके मध्य एशियाई देशों से संपर्क मजबूत किया है। एस.सी.ओ. मध्य एशियाई देशों का प्रमुख संगठन जिसमे वर्तमान में भारत सहित आठ सदस्य देश शामिल हैं।
  • भारत ने मध्य एशियाई देशों पर ध्यान केंद्रित करते हुए वर्ष 2012 में ‘कनेक्ट सेंट्रल एशिया पॉलिसी’ को शुरू किया।

रणनीतिक एवं सामरिक महत्त्व 

  • मध्य एशिया एक एकीकृत और स्थिर विस्तारित पड़ोस के रूप में भारत की विदेश नीति का मुख्य केंद्र है।
  • मध्य एशिया के पाँच देशों में से तीन देश ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उजबेकिस्तान, अफगानिस्तान के साथ सीमा साझा करते हैं, जहाँ वर्तमान में तालिबान का शासन है।
  • इसके अतिरिक्त, इन पाँच देशों में से तीन देश- कजाकिस्तान, किर्गिस्तान और ताजिकिस्तान, चीन के साथ अपनी सीमा साझा करते हैं।

प्राकृतिक संपन्नता

  • मध्य एशिया खनिज और प्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध क्षेत्र है। यहाँ कोयला, सीसा, जस्ता, सोना और लौह अयस्क के अलावा कजाकिस्तान में यूरेनियम का सबसे बड़ा भंडार पाया जाता है।
  • किर्गिस्तान सोने और पनबिजली में समृद्ध है जबकि तुर्कमेनिस्तान में प्राकृतिक गैस के विश्व के सबसे बड़ा भंडार हैं।
  • ताजिकिस्तान में भारी जलविद्युत क्षमता है जबकि उज्बेकिस्तान में सोना, यूरेनियम और प्राकृतिक गैस का भंडार पाया जाता है।

चीनी प्रतिद्वंदिता का सामना

  • वर्तमान में चीन मध्य एशिया के साथ 50 बिलियन डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार कर रहा है जबकि मध्य एशियाई देशों के साथ भारत का व्यापार मात्र 2 बिलियन डॉलर ही है। 
  • सभी मध्य एशियाई देशों का पाकिस्तान एवं चीन के साथ घनिष्ठ संबंध हैं। यहीं कारण है कि ये देश आपस में बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के साथ-साथ चतुर्भुज यातायात और पारगमन समझौता (QTTA) में भी साझेदार है।

अन्य हित कारक

  • भारत के लिये मध्य एशियाई देशों के साथ जुड़ाव कई कारणों से महत्त्वपूर्ण है- 
    • अफगानिस्तान में तालिबान के अधिग्रहण के बाद सुरक्षा सहयोग के लिये
    • आई.एन.एस.टी.सी. सहित यूरोप के साथ कनेक्टिविटी के लिये
    • ऊर्जा आवश्यकताओं की पूर्ति के लिये, जैसे- तापी गैस पाइपलाइन परियोजना

दिल्ली घोषणा-पत्र

जनवरी 2022 में भारत एवं मध्य एशियाई देशों के मध्य राष्ट्रप्रमुखों का एक आभासी शिखर सम्मेलन आयोजित किया गया। इस शिखर सम्मेलन में जारी दिल्ली घोषणा-पत्र के कुछ प्रमुख बिंदु-  

  • प्रत्येक दो वर्ष में शिखर सम्मेलन का आयोजन 
  • अफगानिस्तान पर एक संयुक्त कार्यदल का गठन 
  • भारत और इच्छुक मध्य एशियाई देशों के मध्य संयुक्त आतंकवाद विरोधी अभ्यास का आयोजन 
  • सभी पाँचों देशों द्वारा चाबहार बंदरगाह के उपयोग को चालू करने के लिये एक समूह का गठन 
  • नई दिल्ली में एक भारत-मध्य एशिया सचिवालय की स्थापना
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