New
IAS Foundation New Batch, Starting from 27th Aug 2024, 06:30 PM | Optional Subject History / Geography | Call: 9555124124

भारत द्वारा एक नई आकाशगंगा की ख़ोज

(प्रारम्भिक परीक्षा : राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3 : विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में भारतीयों की उपलब्धियाँ, अंतरिक्ष)

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारतीय खगोलविदों ने ब्रह्मांड में सबसे दूर स्थित स्टार आकाशगंगाओं में से एक की ख़ोज की है।

आकाशगंगा (Galaxy)

  • आकाशगंगा गैस, धूल, डार्क मैटर तथा अरबों तारोंऔर उनकी सौर प्रणालियों का एक विशाल संग्रह है, जो आपस में गुरुत्त्वाकर्षण द्वारा बंधे रहतेहैं।
  • पृथ्वी सौर मंडल का हिस्सा है और यह सौर मंडल‘मिल्की-वे आकाशगंगा’ का एक छोटा सा हिस्सा है।यह माना जाता है कि लगभग सभी बड़ी आकाश गंगाओं के केंद्र में विशालकाय ब्लैक होल होते हैं।
  • एडविन हबलने आकाश गंगाओं को वर्गीकृत करने की कोशिश की। उन्होंने इसको चार मुख्य प्रकारों में विभाजित किया: सर्पिल आकाशगंगाएँ, लेंटिक्युलर आकाश गंगाएँ, दीर्घवृत्ताकार आकाश गंगाएँ और अनियमित आकाश गंगाएँ।
  • अभी तक प्रेक्षित की गई सभी आकाश गंगाओं में से दो-तिहाई से अधिक आकाश गंगाएँ सर्पिल आकार की हैं।

आकाशगंगा का नाम

  • भारत की पहली बहु-तरंगदैर्घ्य अंतरिक्ष वेधशाला ‘एस्ट्रोसैट’ ने पृथ्वी से 9.3 बिलियन प्रकाश वर्ष दूर स्थित एक आकाशगंगा से अत्यधिक-यू.वी. प्रकाश का पता लगाया।
  • ए.यू.डी.एफ.एस01(AUDFs01) नामक इस आकाशगंगा की ख़ोज अंतर-विश्वविद्यालयी खगोल विज्ञान और खगोल भौतिकी केंद्र (IUCAA), पुणे के नेतृत्व में खगोलविदों के एक अंतर्राष्ट्रीय समूह ने की।

astrosat

  • इस अंतर्राष्ट्रीय समूह में भारत के साथ-साथ स्विट्ज़रलैंड, फ्रांस, अमेरिका, जापान और नीदरलैंड के वैज्ञानिक शामिल थे।
  • उल्लेखनीय है कि खगोलीय शोध को समर्पित भारत की पहली अंतरिक्ष वेधशाला एस्ट्रोसैट को 28 सितम्बर, 2015 को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा प्रक्षेपित किया गया था।
  • पराबैंगनी इमेजिंग टेलीस्कोप (UVIT) एस्ट्रोसैटमें लगे पाँच पेलोड में से एक है। यह विद्युत चुम्बकीय वर्णक्रम के दृश्य, निकट और सुदूर पराबैंगनी क्षेत्रों के आकाश का अवलोकन करने में सक्षम है।

महत्त्व

  • भारतीय अंतरिक्ष अभियानों के लिये यह एक ऐतिहासिक उपलब्धि है।शानदार अंतरिक्षीय रिज़ॉल्यूशन और उच्च संवेदनशीलता दरअसल एक दशक से भी अधिक समय तक की गई वैज्ञानिकों की यू.वी.आई.टी. (UVIT) कोर टीम की कड़ी मेहनत का परिणाम है।
  • इस मौलिक ख़ोज के महत्त्व और विशिष्टता का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि ब्रिटेन से प्रकाशित होने वाली एक शीर्ष अंतरराष्ट्रीय पत्रिका ‘नेचर एस्ट्रोनॉमी’ में इसके बारे में बताया गया है।
  • भारत का एस्ट्रोसैट/यू.वी.आई.टी. इस अनूठी उपलब्धि को हासिल करने में इसलिये सक्षम रहा क्योंकि यू.वी.आई.टी. डिटेक्टर में पृष्ठभूमि का शोर अमेरिका स्थित नासा के हबल स्पेस टेलीस्कोप की तुलना में काफी कम है।
  • ए.यू.डी.एफ.एस01(AUDFs01) पिंडीय या पुंजीय आकृति विज्ञान और 60 नैनोमीटर पर आयनीकृत विकिरण को लीक करने वाले आकाशगंगा का पहला उदाहरण है।
  • यह ख़ोज इस संदर्भ में बहुत महत्त्वपूर्ण सुराग है कि ब्रह्मांड में अंधकार का समापन कैसे हुआ और प्रकाश की शुरुआत कैसे हुई। साथ ही यह जानने की ज़रूरत है कि इसकी शुरूआत कब हुई क्योंकि प्रकाश के सबसे शुरुआती स्रोतों को ख़ोजना बहुत कठिन रहा है।
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR