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भारत ऊर्जा सप्ताह, 2025

(प्रारंभिक परीक्षा : समसामयिक घटनाक्रम)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3: बुनियादी ढाँचाः ऊर्जा, बंदरगाह, सड़क, विमानपत्तन, रेलवे आदि)

संदर्भ

11 से 14 फरवरी, 2025 तक यशोभूमि कन्वेंशन सेंटर, नई दिल्ली में भारत ऊर्जा सप्ताह (IEW) 2025 का आयोजन किया गया।

भारत ऊर्जा सप्ताह, 2025 के बारे में

  • परिचय : यह कार्यक्रम वैश्विक ऊर्जा हितधारकों के लिए विचारों का आदान-प्रदान करने, साझेदारी को बढ़ावा देने और ऊर्जा संक्रमण (Energy Transition) में भारत के नेतृत्व को देखने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच के रूप में कार्य करता है। 
  • आयोजक : पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय के संरक्षण में और भारतीय पेट्रोलियम उद्योग महासंघ (FIPI) द्वारा
  • प्रमुख भागीदार देश : ब्रिटेन, नीदरलैंड, बेल्जियम, दक्षिण कोरिया, जापान, नॉर्वे, कनाडा, अमेरिका, ब्राज़ील, फ्रांस, इटली एवं जर्मनी

प्रमुख फोकस क्षेत्र

  • ऊर्जा परिवर्तन एवं हरित भविष्य : जैव ईंधन, फ्लेक्स-फ्यूल वाहन, इथेनॉल मिश्रण और हरित हाइड्रोजन पर मुख्य फोकस 
    • भारत वर्ष 2030 तक प्रतिवर्ष 5 मिलियन मीट्रिक टन (MMT) हरित हाइड्रोजन उत्पादन के लक्ष्य की ओर लगातार आगे बढ़ रहा है।
  • अन्वेषण एवं उत्पादन सुधार : ओपन एकरेज लाइसेंसिंग प्रोग्राम के अगले चरण का शुभारंभ कर 200,000 वर्ग किमी. को कवर करना और तेल एवं गैस अन्वेषण में निवेश को बढ़ावा देने के लिए नियामक परिवर्तन करना 
  • भारत-अमेरिका ऊर्जा सहयोग : एल.एन.जी. आपूर्ति साझेदारी को मजबूत करना और भारत के ऊर्जा मिश्रण में प्राकृतिक गैस की खपत को 6% से बढ़ाकर 15% करना
  • वैश्विक ऊर्जा निवेश : उभरते तेल स्रोतों से लाभ उठाते हुए ब्राजील, वेनेजुएला, रूस एवं मोजाम्बिक में तेल व गैस परिसंपत्तियों में निवेश का विस्तार करना
  • स्टार्टअप एवं इनोवेशन मान्यता 

    कार्यक्रम के नौ विषयगत क्षेत्र

    • हाइड्रोजन क्षेत्र
    • जैव ईंधन क्षेत्र
    • नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र
    • एल.एन.जी. इकोसिस्टम
    • मेक इन इंडिया क्षेत्र
    • सिटी गैस वितरण क्षेत्र
    • पेट्रोलियाम रसायन क्षेत्र
    • नवप्रवर्तन क्षेत्र
    • डिजिटलीकरण क्षेत्र 

    भारत: उभरता हुआ ऊर्जा महाशक्ति

    • भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऊर्जा उपभोक्ता है और आगामी वर्षों में भारत की घरेलू ऊर्जा की मांग में अप्रत्याशित वृद्धि का अनुमान है।
    • भारत सुरक्षित, टिकाऊ एवं किफायती ऊर्जा में महत्वपूर्ण निवेश के साथ हरित भविष्य की ओर बढ़ रहा है। 
    • तेजी से आगे बढ़ रही आर्थिक महाशक्ति के रूप में भारत को बढ़ती ऊर्जा मांग और अपने कार्बन उत्सर्जन को कम करने की दोहरी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। इसका सामना करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने ग्लासगो (स्कॉटलैंड) में जलवायु परिवर्तन पर आयोजित COP-26 में पंचामृत की अवधारणा दी।

    पंचामृत : जलवायु परिवर्तन के प्रति भारत की पांच सूत्री प्रतिज्ञा

    • वर्ष 2030 तक गैर-जीवाश्म ऊर्जा क्षमता को 500 गीगावाट तक पहुँचाना
    • वर्ष 2030 तक अर्थव्यवस्था की कार्बन तीव्रता को 45% से भी कम कर देना
    • वर्ष 2030 तक ऊर्जा आवश्यकताओं का 50% नवीकरणीय ऊर्जा से पूरा करना
    • वर्ष 2070 तक नेट-जीरो का लक्ष्य प्राप्त करना
    • वर्ष 2030 तक कुल अनुमानित कार्बन उत्सर्जन में एक अरब टन की कमी लाना

    भारत का गतिशील ऊर्जा परिदृश्य

    • वर्ष 2050 तक वैश्विक उपभोग में भारत की भागीदारी 7% से बढ़कर 13-14% हो जाएगी।
    • भारत की तेल मांग 236.9 मिलियन बैरल प्रति दिन (2022) से बढ़कर 451.9 मिलियन बैरल प्रति दिन (2050) हो जाएगी।
    • भारत तरलीकृत प्राकृतिक गैस (एल.एन.जी.) का चौथा सबसे बड़ा आयातक है। 
    • भारत द्वारा प्रतिवर्ष 35-40 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता में वृद्धि की जाएगी।
    • भारत वर्ष 2030 तक विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा।
    • वर्ष 2024 तक प्राकृतिक गैस की खपत 9% वार्षिक वृद्धि दर के साथ बढ़ेगी।
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