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भारत का पहला गैस एक्सचेंज: आवश्यकता और महत्त्व

(प्रारम्भिक परीक्षा: राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3: बुनियादी ढाँचाः ऊर्जा)

चर्चा में क्यों?

विगत दिनों भारत का प्रथम गैस एक्सचेंज ‘इंडियन गैस एक्सचेंज’ (Indian Gas Exchange- IGX) नाम से लॉन्च किया गया।

आई.जी.एक्स.

  • ‘आई.जी.एक्स.’ प्राकृतिक गैस के खरीदारों और विक्रेताओं के लिये एक डिजिटल ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म है। यह पहला देशव्यापी ऑनलाइन डिलीवरी-आधारित गैस ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म है। यह प्लेटफ़ॉर्म गुजरात के दाहेज व हज़ीरा तथा आंध्र प्रदेश के काकीनाडा में आयातित प्राकृतिक गैस को स्पॉट मार्केट और फॉरवर्ड मार्केट में व्यापार करने की अनुमति देगा।
  • इस एक्सचेंज के माध्यम से आयातित लिक्विफाइड नेचुरल गैस (LNG) को रिगैसीफाइड करके खरीदारों को बेची जाएगी। इससे क्रेताओं और विक्रेताओं को एक-दूसरे को खोजने की आवश्यकता नहीं होगी।
  • सरल शब्दों में, इसका मतलब यह होगा कि खरीदारों को उचित मूल्य प्राप्त करने के लिये कई डीलरों से सम्पर्क करने की आवश्यकता नहीं होगी। इसे इंडियन एनर्जी एक्सचेंज (IEX) की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कम्पनी के रूप में शामिल किया गया है। आई.ई.एक्स. भारत की ऊर्जा बाजार के लिये एक प्लेटफ़ॉर्म है।
  • यह एक्सचेंज बहुत कम समय के लिये अनुबंधों की अनुमति देता है। इसमें अनुबंध के अगले दिन से लेकर एक महीने तक डिलीवरी की अनुमति होगी, जबकि सामान्य रूप से प्राकृतिक गैस की आपूर्ति के लिये अनुबंध छह महीने से एक वर्ष तक के लम्बे समय के लिये होता है। विशेषज्ञों के अनुसार, इससे खरीदारों और विक्रेताओं को मूल्यों में अधिक लचीलापन प्राप्त हो सकेगा।

घरेलू रूप से उत्पादित प्राकृतिक गैस और एक्सचेंज

  • इस एक्सचेंज के माध्यम से घरेलू रूप से उत्पादित प्राकृतिक गैस का व्यापार नहीं किया जा सकेगा क्योंकि घरेलू रूप से उत्पादित प्राकृतिक गैस की कीमत सरकार द्वारा तय की जाती है।
  • हालाँकि, घरेलू उत्पादकों ने अपील करते हुए कहा है कि सरकार द्वारा निर्धारित कीमतें भारत में अन्वेषण और उत्पादन की लागत को देखते हुए व्यवहार्य नहीं हैं। इस संदर्भ में, पेट्रोलियम मंत्री ने संकेत दिया है कि नई गैस नीति में घरेलू गैस मूल्य निर्धारण सम्बंधी सुधार शामिल किये जाएंगें। इससे और अधिक बाज़ारोन्मुख मूल्य निर्धारण की ओर बढ़ा जा सकेगा।

भारत की आयात निर्भरता पर प्रभाव

  • प्राकृतिक गैस के वर्तमान स्रोत के कम उत्पादक (फायदेमंद) होने के कारण गैस के घरेलू उत्पादन में पिछले दो वित्त वर्षों से गिरावट देखी जा रही है। घरेलू रूप से उत्पादित प्राकृतिक गैस की हिस्सेदारी वर्तमान में देश की प्राकृतिक गैस की खपत के आधे से भी कम है जबकि अन्य आधे हिस्से के लिये एल.एन.जी. गैस का आयात किया जाता है।
  • आने वाले समय में घरेलू गैस के उपभोग में आयातित एल.एन.जी. गैस की हिस्सेदारी बढ़ने की उम्मीद है, क्योंकि भारत अपनी ऊर्जा बास्केट में प्राकृतिक गैस की हिस्सेदारी वर्ष 2018 में 6.2 % से बढ़ाकर वर्ष 2030 तक 15 % करने की ओर कदम बढ़ा चुका है।
  • साथ ही, पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस नियामक बोर्ड (पी.एन.जी.आर.बी.) देश के प्रत्येक हिस्से में प्राकृतिक गैस को सस्ती बनाने के लिये टैरिफ को युक्तिसंगत बनाने पर कार्य कर रहा है।

नियामक परिवर्तन की आवश्यकता

  • वर्तमान में, प्राकृतिक गैस के परिवहन के लिये आवश्यक पाइपलाइन के बुनियादी ढ़ाँचे को उन कम्पनियों द्वारा नियंत्रित किया जाता है जो उस नेटवर्क के मालिक हैं। सरकार के स्वामित्व वाली गेल (GAIL) भारत की सबसे बड़ी गैस पाइपलाइन नेटवर्क का स्वामित्व और संचालन करती है, जो 12,000 किमी. से अधिक लम्बाई में फैली हुई है।
  • प्राकृतिक गैस पाइपलाइनों के लिये स्वतंत्र नियामक ऑपरेटर पाइपलाइन उपयोग के पारदर्शी आवंटन को सुनिश्चित करने में मदद करेगा। इससे खरीदारों और विक्रेताओं के मन में पाइपलाइन क्षमता के आवंटन में तटस्थता को लेकर विश्वास पैदा होगा।
  • साथ ही, विशेषज्ञों ने प्राकृतिक गैस को भी वस्तु और सेवा कर (जी.एस.टी.) व्यवस्था में शामिल किये जाने का भी आह्वान किया है। इससे एक्सचेंज से प्राकृतिक गैस की खरीद करते समय खरीदारों को विभिन्न प्रकार के करारोपण (Levies) जैसे, राज्यों के वैट (VAT) आदि झंझटों से बचाया जा सकता है।
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