भारत का पहला ग्रीन हाइड्रोजन और 2जी इथेनॉल संयंत्र
चर्चा में क्यों ?
भारत का पहला एपीआई, ग्रीन हाइड्रोजन और 2जी इथेनॉल संयंत्र सोलन में स्थापित होगा
प्रमुख बिंदु :-
हिमाचल प्रदेश के सोलन जिले के बद्दी-बरोटीवाला-नालागढ़ क्षेत्र में भारत की पहली एकीकृत विनिर्माण सुविधा स्थापित की जाएगी
इसमें एक्टिव फार्मास्युटिकल इंग्रीडिएंट्स (एपीआई), ग्रीन हाइड्रोजन और 2जी इथेनॉल का उत्पादन होगा।
परियोजना का समझौता
हिमाचल सरकार और मेसर्स स्प्रे इंजीनियरिंग डिवाइसेज लिमिटेड के बीच 5 मार्च 2025 को शिमला में समझौता (MoU) हुआ।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुखू ने बताया कि राज्य सरकार का लक्ष्य मार्च 2026 तक देश का पहला हरित ऊर्जा राज्य बनना है।
परियोजना में ₹1400 करोड़ का निवेश होगा और इससे 1000 नई नौकरियां उत्पन्न होंगी।
एपीआई संयंत्र और ग्रीन हाइड्रोजन की भूमिका
संयंत्र में सक्रिय फार्मास्युटिकल घटक (एपीआई) का उत्पादन होगा, जो दवाओं में सक्रिय तत्व होता है।
उदाहरण: पेप्टाइड एपीआई का उपयोग मधुमेह, कैंसर और हृदय रोगों के इलाज में किया जाता है।
संयंत्र को ग्रीन हाइड्रोजन से ऊर्जा मिलेगी, जिसके लिए शुरुआत में 30 मेगावाट का प्लांट लगेगा, जिसे 50 मेगावाट तक बढ़ाया जाएगा।
ग्रीन हाइड्रोजन जल के इलेक्ट्रोलिसिस से उत्पन्न होता है और इसके लिए सौर, पवन और जल ऊर्जा का उपयोग किया जाता है।
दूसरी पीढ़ी (2जी) इथेनॉल उत्पादन
भारत सरकार ने 2025-26 तक 20% इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा है।
शुरुआत में इथेनॉल गन्ने के गुड़ से बनता था (1G इथेनॉल), लेकिन अब चावल, गेहूं का भूसा, गन्ने का कचरा, मकई के भुट्टे, कपास के डंठल आदि से 2जी इथेनॉल का उत्पादन हो रहा है।
सरकार 2जी इथेनॉल संयंत्रों को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री जी-वन (PM JI-VAN) योजना चला रही है।
प्रश्न - भारत का पहला एपीआई, ग्रीन हाइड्रोजन और 2जी इथेनॉल संयंत्र कहाँ में स्थापित होगा ?