प्रारंभिक परीक्षा- NCPOR, अंटार्कटिका दिवस, ऑपरेशन अंटार्कटिका, दक्षिण गंगोत्री, मैत्री, भारती मुख्य परीक्षा- सामान्य अध्ययन, पेपर- 1 |
संदर्भ-
- भारत द्वारा अंटार्कटिका में अपना पहला वैज्ञानिक बेस स्टेशन दक्षिण गंगोत्री को स्थापित करने के 40 साल बाद मिशन से जुड़े शोधकर्ताओं ने 1 दिसंबर, 2023 को बताया कि कैसे उनके इस पहले अभियान को उनके प्रशिक्षकों सहित परिवार के सभी सदस्यों से भी गुप्त रखा गया था।
मुख्य बिंदु-
- वास्को शहर (गोवा) में स्थित राष्ट्रीय ध्रुवीय एवं महासागर अनुसंधान केंद्र (NCPOR) में 01 दिसंबर, 2023 को 'अंटार्कटिका दिवस' मनाया गया।
- अंटार्कटिका दिवस 1959 में अंटार्कटिक संधि पर हस्ताक्षर की वर्षगांठ को मान्यता देने वाला अंतर्राष्ट्रीय दिवस है।
- NCPOR पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के तहत एक स्वायत्त संस्थान है, जो भारतीय अंटार्कटिक कार्यक्रम का प्रबंधन करता है।
- अंटार्कटिका में भारत के पहले अनुसंधान स्टेशन ‘दक्षिण गंगोत्री’ के चालू होने की 40वीं वर्षगांठ मनाने के लिए आयोजित कार्यक्रम में अंटार्कटिका में तीसरे भारतीय वैज्ञानिक अभियान के सदस्यों को भी सम्मानित किया गया।
- तीसरे भारतीय वैज्ञानिक अभियान अभियान को वर्ष, 1983 में डॉ हर्ष के गुप्ता के नेतृत्व में 83 सदस्यों के साथ शुरू किया गया था।
ऑपरेशन अंटार्कटिका-
- अंटार्कटिका के लिए पहला भारतीय वैज्ञानिक अभियान ऑपरेशन अंटार्कटिका अत्यंत गुप्त था।
- पहले भारतीय वैज्ञानिक अभियान से पहले भारत के शोधकर्ता सोवियत संघ के अंटार्कटिक वैज्ञानिक अभियान का हिस्सा रह चुके थे।
- डॉ. परमजीत सिंह सेहरा वर्ष, 1971 में सोवियत संघ के अंटार्कटिका अभियान के तहत अंटार्कटिका पहुंचने वाले पहले भारतीय थे।
- वर्ष, 1981 में अंटार्कटिका के लिए पहला भारतीय वैज्ञानिक अभियान गोवा के तट से प्रारंभ हुआ।
- समुद्री जीवविज्ञानी डॉ. एस. जेड. कासिम ने 21 सदस्यीय टीम का नेतृत्व किया, जिसने पोलर सर्कल नामक एक चार्टर्ड नॉर्वेजियन जहाज से यात्रा की।
- 9 जनवरी, 1982 को भारतीय समूह ने अंटार्कटिका पर कदम रखा और भारतीय ध्वज फहराया।
- वर्ष, 1983 में अंटार्कटिका में देश का पहला वैज्ञानिक बेस स्टेशन दक्षिण गंगोत्री स्थापित किया गया था।
अंटार्कटिका के लिए भारतीय वैज्ञानिक अभियान-
- वर्ष, 1981 में शुरू हुए भारतीय अंटार्कटिक कार्यक्रम ने 40 वैज्ञानिक अभियान पूरे लिए हैं।
- 15 नवंबर 2021 को भारत ने दक्षिणी श्वेत महाद्वीप से 40वें बैच के आगमन के साथ अंटार्कटिका के लिए 41 वां वैज्ञानिक अभियान सफलतापूर्वक शुरू किया है।
- 41 वें अभियान का नेतृत्व डॉ. शैलेन्द्र सैनी, वैज्ञानिक राष्ट्रीय ध्रुवीय एवं महासागर अनुसंधान (वॉयेज लीडर) द्वारा किया गया।
- 23 वैज्ञानिकों और सहायक कर्मचारियों वाला 40 वां बैच नवंबर, 2021 में भारतीय अंटार्कटिक स्टेशन मैत्री पर पहुंचा।
- चार और बैच जनवरी 2022 के मध्य तक DROMLAN सुविधा और चार्टर्ड आइस-क्लास जहाज एमवी वासिलीगोलोविन का उपयोग करके हवाई मार्ग से अंटार्कटिका पहुंचे।
- 41 वें अभियान में दो प्रमुख कार्यक्रम थे-
भारती स्टेशन पर अमेरी आइस शेल्फ का भूवैज्ञानिक अन्वेषण करना. इससे अतीत में भारत और अंटार्कटिका के बीच संबंध का पता लगाने में मदद मिलेगी।
मैत्री के पास 500 मीटर आइस कोर की ड्रिलिंग के लिए टोही सर्वेक्षण और प्रारंभिक कार्य करना। यह पिछले 10,000 वर्षों के एकल जलवायु संग्रह से अंटार्कटिक जलवायु, पश्चिमी हवाओं, समुद्री बर्फ और ग्रीनहाउस गैसों की समझ को बेहतर बनाने में मदद करेगा।
- आइस कोर ड्रिलिंग ब्रिटिश अंटार्कटिक सर्वे और नॉर्वेजियन पोलर इंस्टीट्यूट के सहयोग से की जाएगी।
- वैज्ञानिक कार्यक्रमों को पूरा करने के अलावा, यह मैत्री और भारती में जीवन समर्थन प्रणालियों के संचालन और रखरखाव के लिए भोजन, ईंधन, प्रावधानों और पुर्जों की वार्षिक आपूर्ति की भरपाई करेगा।
अनुसंधान स्टेशन –
1. दक्षिण गंगोत्री-
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- अंटार्कटिका पर भारत का पहला अनुसंधान केंद्र ‘दक्षिण गंगोत्री’ को वर्ष, 983 में बनाया गया।
- 1989 में इसकी खुदाई की गई और इसे पुनः आपूर्ति आधार और पारगमन शिविर के रूप में उपयोग किया जाने लगा।
- दक्षिण गंगोत्री का आधा हिस्सा बर्फ में दब जाने के कारण वर्ष 1990 में इसे बंद कर दिया गया था।
2. मैत्री -
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- अंटार्कटिका पर भारत का दूसरा अनुसंधान केंद्र मैत्री, 1989 में शिरमाकर ओएसिस पर स्थापित की गई, जो भू-विज्ञान, भूगोल और चिकित्सा में प्रयोग कर रही है।
- भारत ने इस स्टेशन का निर्माण मीठे पानी की झील के निकट किया किया है, जिसे प्रियदर्शिनी झील के नाम से जाना जाता है ।
भारती -
- 69°S, 76°E पर लार्समैन हिल पर स्थित भारती की स्थापना मार्च 2012 में की गई।
- समुद्र विज्ञान अनुसंधान के लिए यह नवीनतम अनुसंधान स्टेशन भारतीय उपमहाद्वीप के 120 मिलियन वर्ष पुराने प्राचीन इतिहास को उजागर करने के लिए महाद्वीपीय विभाजन के साक्ष्य भी एकत्र करेगा।
अंटार्कटिका में भारतीय डाकघर -
- इसकी स्थापना वर्ष 1984 में अंटार्कटिका के तीसरे भारतीय अभियान के दौरान की गई थी।
- यह दक्षिण गंगोत्री में स्थित था।
- इसकी स्थापना के पहले वर्ष में इस डाकघर में कुल मिलाकर 10,000 पत्र पोस्ट किए गए और रद्द किए गए।
- डाकघर अब वहाँ नहीं है, किंतु यह उन भारतीय पर्यटकों के लिए एक पसंदीदा पड़ाव है जो क्रूज़ जहाजों से इस स्थान पर आते हैं।
- अंटार्कटिका में अब भारतीय डाकघर मैत्री में स्थित है, जहाँ देश का वर्तमान अनुसंधान स्टेशन भी स्थित है।
प्रारंभिक परीक्षा के लिए प्रश्न-
प्रश्न- अंटार्कटिका के लिए भारतीय वैज्ञानिक अभियान के बारे में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
- डॉ. परमजीत सिंह सेहरा 1971 में सोवियत संघ के अंटार्कटिका अभियान के तहत अंटार्कटिका पहुंचने वाले पहले भारतीय थे।
- डॉ. एस. जेड. कासिम ने पहले भारतीय वैज्ञानिक अभियान का नेतृत्व किया था।
- राष्ट्रीय ध्रुवीय एवं महासागर अनुसंधान केंद्र कोच्ची में स्थित है।
उपर्युक्त में से कितना/ कितने कथन सही है/हैं?
(a) केवल एक
(b) केवल दो
(c) सभी तीनों
(d) कोई नहीं
उत्तर- (b)
मुख्य परीक्षा के लिए प्रश्न-
प्रश्न- भारत के पहले अंटार्कटिका वैज्ञानिक अभियान के बारे में बताएं। भारतीय अंटार्कटिका वैज्ञानिक अभियान का क्या उद्देश्य है? स्पष्ट करें।
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स्रोत- indian express