राजस्थान के झालावाड़ ज़िले में देश की अब तक की सबसे लम्बी जल सुरंग (8.75 किमी.) का निर्माण किया जा रहा है। यह सुरंग झालावाड़ ज़िले को उसके पड़ोसी ज़िले बारां से जोड़ने वाले पहाड़ी रास्ते से होकर गुजरेगी।
झालावाड़ ज़िले के अहावड़ कलां गाँव में परवन नदी पर एक बांध निर्मित है, इसके पानी को इस जल सुरंग के माध्यम से बारां और कोटा जिलों तक पहुँचाया जाएगा। इससे न सिर्फ इन ज़िलों के लगभग 2.4 लाख से अधिक घरों में पेयजल की आपूर्ति की जा सकेगी बल्कि 1.41 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि भी सिंचाई की दृष्टि से लाभान्वित होगी।
चूँकि यह भौगोलिक क्षेत्र अत्यधिक ठोस क्वार्टजाइट बलुआ पत्थर से निर्मित है, इसलिये यहाँ सुरंग निर्माण हेतु ड्रिलिंग की प्रक्रिया नहीं अपनाई जा सकती है। अतः इस जल सुरंग के निर्माण के लिये बोरिंग की प्रक्रिया अपनाया जाना एकमात्र विकल्प है।
वस्तुतः ‘बोरिंग’ की प्रक्रिया ‘ड्रिलिंग’ की अपेक्षा अधिक खर्चीली होती है। इस कारण राजस्थान सरकार ने केंद्र सरकार से आग्रह किया है कि वह इसे एक राष्ट्रीय परियोजना घोषित करे, ताकि इसके लिये अपेक्षाकृत अधिक सहायता राशि प्राप्त की जा सके।
सिंचाई तथा पेयजल उपलब्ध कराने के साथ-साथ यह परियोजना हाड़ौती क्षेत्र के किसानों की आजीविका बढ़ाने में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
ध्यातव्य है कि हाड़ौती क्षेत्र में राजस्थान के चार ज़िलों– झालावाड़, बारां, कोटा और बूंदी को शामिल किया जाता है।
परवन बांध परियोजना
‘परवन बांध परियोजना’ का निर्माण परवन नदी पर हिंदुस्तान कंस्ट्रक्शन कम्पनी तथा एच.एस.ई.पी.एल. के सयुंक्त उपक्रम द्वारा इंजीनियरिंग प्रोक्योरमेंट कंस्ट्रक्शन (EPC) मॉडल के आधार पर किया जा रहा है। इस सयुंक्त उपक्रम में 90% हिस्सेदारी हिंदुस्तान कंस्ट्रक्शन कम्पनी की है।
इस परियोजना को ‘पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय’ द्वारा वर्ष 2011 में पर्यावरणीय स्वीकृति दी गई थी।
परवन नदी
परवन अजनार व घोड़ा पछाड़ की संयुक्त धारा है। यह मध्यप्रदेश के विंध्याचल पर्वत शृंखला से निकलती है।
झालावाड़ में मनोहर थाना में राजस्थान में प्रवेश करती है। झालावाड़ व बांरा में बहती हुई यह नदी बांरा में पलायता गांव में काली सिंध में मिल जाती है।