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शून्य भुखमरी का लक्ष्य तथा भारत के प्रयास

(प्रारंभिक परीक्षा : आर्थिक और सामाजिक विकास – सतत विकास, सामाजिक क्षेत्र में की गई पहल आदि)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र – 2 व 3 : गरीबी एवं भूख से सम्बंधित विषय, कृषि तथा पर्यावरण संरक्षण)

चर्चा में क्यों?

16 अक्टूबर, 2020 को विश्व खाद्य दिवस मनाया गया।

पृष्ठभूमि

वर्तमान महामारी संकट ने वैश्विक खाद्य सुरक्षा तथा कृषि पर निर्भर आजीविका के लिये खतरा उत्पन्न कर दिया है। विश्व खाद्य दिवस के अवसर पर सयुंक्त राष्ट्र की खाद्य एजेंसियों द्वारा भुखमरी और खाद्य असुरक्षा को समाप्त करने तथा सतत् विकास लक्ष्य– 2 (शून्य भुखमरी) को प्राप्त करने हेतु एकजुटता से कार्य करने की प्रतिज्ञा की गई।

भारत के प्रयास

  • पिछले कुछ दशकों में भारत की कृषि उत्पादकता में काफी सुधार हुआ है। वर्तमान में भारत खाद्यान्न आयातक की बजाय एक महत्त्वपूर्ण निर्यातक की भूमिका अदा कर रहा है। महामारी के समय में केंद्र और राज्य सरकारें 3 माह (अप्रैल से जून) में भारत के घरेलू खाद्यान्न भंडारों से लगभग 23 मिलियन टन की खाद्य सामग्री वितरित करने में सक्षम रहीं, जिससे देशभर के ज़रूरतमंद परिवारों को संकट की स्थिति में सहायता प्राप्त हुई।
  • सरकार ने अप्रैल से नवम्बर तक 820 मिलियन लोगों के लिये सफलतापूर्वक राशन का प्रबंध किया। इसमें 90 मिलियन स्कूली बच्चों को भोजन प्रदान करने के वैकल्पिक उपायों को भी शामिल किया गया है।
  • लॉकडाउन के दौरान आवाजाही पर प्रतिबंध के दौरान भी सरकार द्वारा सुरक्षा मानकों के तहत खाद्य आपूर्ति शृंखला की बाधाओं को दूर करने और कृषि गतिविधियों को जारी रखने हेतु सराहनीय प्रयास किये गए।
  • इन उपायों के कारण ही इस वित्त वर्ष की पहली तिमाही में कृषि उत्पादन में 3.4% की वृद्धि हुई तथा खरीफ़ की खेती का क्षेत्रफल 110 मिलियन हेक्टेयर से भी अधिक हो गया, जो कि एक बड़ी उपलब्धि है।
  • समेकित बाल विकास सेवा पहल के अंतर्गत 6 वर्ष से कम आयु के 100 मिलियन बच्चों, गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को पका हुआ भोजन तथा घर-घर राशन की सुविधा प्रदान की जाती है। मध्याह्न भोजन कार्यक्रम पोषण और भुखमरी को समाप्त करने की दिशा में एक आदर्श उदाहरण है।
  • भारत में जलवायु परिवर्तन से निपटने हेतु नवाचारी प्रयास किये जा रहे हैं, जैसे सूखा और बाढ़ रोधी बीज की किस्मों का विकास, किसानों को मौसम आधारित कृषि परामर्श तथा जल की कम आवश्यकता वाली फसलों को प्रोत्साहन (बाजरे की खेती आदि) प्रदान करना।

चुनौतियाँ

  • दुनिया भर में विभिन्न राहत उपायों के बावज़ूद संकट के दौरान कई बहुआयामी चुनौतियाँ भी सामने आई हैं। वैश्विक स्तर पर 2 अरब से अधिक लोगों के पास अभी भी पर्याप्त पौष्टिक और सुरक्षित भोजन तक पहुँच सुनिश्चित नहीं हो सकी है।
  • अनुमानों के अनुसार दुनिया वर्ष 2030 तक जीरो हंगर या वैश्विक पोषण लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में अग्रसर नहीं है।
  • जलवायु परिवर्तन कृषि विविधता के लिये एक वास्तविक और प्रबल खतरा बना हुआ है, जो उत्पादकता से लेकर आजीविका और खाद्य प्रणालियों को भी प्रभावित करेगा।
  • वर्तमान में कीटों और टिड्डियों के आक्रमण तथा चक्रवात की घटनाएँ किसानों के समक्ष निरंतर चुनौतियाँ उत्पन्न कर रही हैं, जिनका खाद्य प्रणाली पर प्रभाव पड़ना स्वाभाविक है।
  • रसायनों के अत्यधिक प्रयोग तथा असंगत कृषि पद्धतियों के कारण भू-क्षरण, भूजल स्तर में तेज़ी से कमी तथा कृषि योग्य भूमि में भी निरंतर कमी आ रही है।
  • भारत में 86% से अधिक किसानों के पास 2 हेक्टेयर से भी कम भूमि है, जो कुल खाद्यान्न उत्पादन का लगभग 60% हिस्सा है।
  • भारत में पिछले एक दशक में कुपोषण के स्तर में उल्लेखनीय गिरावट आई है। हालाँकि कॉम्प्रेहेंसिव नेशनल न्यूट्रीशन सर्वे 2016-18 के अनुसार भारत में 40 मिलियन से अधिक बच्चे कुपोषित हैं तथा 15-49 वर्ष की आयु की 50% से अधिक महिलाएँ रक्ताल्पता (एनीमिया) की शिकार हैं।

सुझाव

  • वर्तमान में आवश्यकता है कि खाद्य फसलों के उत्पादन प्रणाली में सकारात्मक परिवर्तन करते हुए भोजन की बर्बादी को व्यावहारिक प्रयासों के माध्यम से रोका जाए। दुनिया में उत्पादित भोजन का लगभग एक-तिहाई हिस्सा बर्बाद हो जाता है।
  • सयुंक्त राष्ट्र की तीनों एजेंसियॉ : ‘खाद्य और कृषि संगठन’ (FAO), ‘कृषि विकास हेतु अंतर्राष्ट्रीय कोष’ (IFAD) और ‘विश्व खाद्य कार्यक्रम’ (WFP) को धारणीय खाद्य प्रणाली (Sustainable Food System) के निर्माण के लिये सरकार, नागरिक समाज (सिविल सोसाइटी) और किसानों के साथ कार्य करने हेतु और अधिक प्रतिबद्धता की आवश्यकता है।

निष्कर्ष

वर्तमान संकट खाद्य प्रणालियों में वैज्ञानिक प्रमाणों के आधार पर नवाचारी समाधानों को लचीला और टिकाऊ (Sustainable) बनाने का महत्त्वपूर्ण अवसर प्रदान करता है। अतः सरकारों, निजी क्षेत्र और सिविल सोसाइटी को एकजुटता के साथ कार्य करना होगा ताकि बढ़ती जनसंख्या की आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु वहनीय और पोषणयुक्त आहार प्राप्त हो सके।

प्री फैक्ट्स :

  • खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO.) को वर्ष 2020 में भुखमरी से लड़ाई की दिशा में कार्य करते हुए 75 वर्ष हो गए हैं।
  • कृषि विकास हेतु अंतर्राष्ट्रीय कोष (IFAD) क्रेडिट रेटिंग प्राप्त करने वाली सयुंक्त राष्ट्र की पहली संस्था है।
  • विश्व खाद्य कार्यक्रम को वर्ष 2020 में शांति के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार दिया गया है।
  • विश्व खाद्य दिवस 16 अक्टूबर को मनाया जाता है।

स्रोत : द हिन्दू

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