(प्रारंभिक परीक्षा : अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ) (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2 : भारत एवं इसके पड़ोसी- संबंध, द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह) |
संदर्भ
भारत के 76वें गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्य अतिथि इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांटो रहे।
भारत-इंडोनेशिया द्विपक्षीय संबंध
सभ्यतागत एवं सांस्कृतिक संबंध
- समुद्री पड़ोसी होने के कारण भारत एवं इंडोनेशिया के ऐतिहासिक व सांस्कृतिक संबंध व्यापार से लेकर धर्म, कला एवं त्योहारों तक परिलक्षित होते हैं।
- इसका एक प्रमुख उदाहरण भारत में ‘बाली यात्रा’ उत्सव है।
- 76वें गणतंत्र दिवस परेड में इंडोनेशियाई मार्चिंग एवं बैंड दल की भागीदारी दोनों देशों के बीच बढ़ती सांस्कृतिक कूटनीति को उजागर करती हैं।
- पहली बार किसी इंडोनेशियाई दल ने विदेश में राष्ट्रीय दिवस परेड में भाग लिया है।
राजनीतिक एवं रणनीतिक सहयोग
- इंडोनेशिया भारत की एक्ट ईस्ट नीति में महत्वपूर्ण भागीदार है। मई 2018 में औपचारिक रूप से भारत एवं इंडोनेशिया ने व्यापक रणनीतिक साझेदारी की घोषणा की।
- यह साझेदारी आर्थिक सहयोग बढ़ाने, रक्षा संबंधों को मजबूत करने और हिंद-प्रशांत में क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए साझा दृष्टिकोण को बढ़ाने पर केंद्रित है।
आर्थिक सहयोग : बढ़ती व्यापक साझेदारी
- इंडोनेशिया आसियान क्षेत्र में भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बनकर उभरा है।
- दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार वित्त वर्ष 2023-24 में 29.4 बिलियन डॉलर तक पहुँच गया जिसे दोनों देशों ने वर्ष 2025 तक दोगुना करने का लक्ष्य निर्धारित किया है।
- इंडोनेशिया के कोयले एवं कच्चे पाम तेल का दूसरा सबसे बड़ा खरीदार भारत है।
- भारत ने इंडोनेशिया में विभिन्न क्षेत्रों, जैसे- बुनियादी ढाँचा, बिजली, वस्त्र, मोटर वाहन, इस्पात एवं उपभोक्ता वस्तुओं में लगभग 1.56 बिलियन डॉलर का निवेश किया है।
- वर्तमान में दोनों देश प्रौद्योगिकी, कृषि व हरित ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में व्यापार एवं निवेश में विविधता लाने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।
रक्षा संबंध
- वर्ष 2018 में हस्ताक्षरित रक्षा सहयोग समझौते ने दोनों देशों के मध्य नियमित परामर्श, संयुक्त सैन्य अभ्यास एवं हिंद महासागर में समन्वित गश्त के लिए मंच तैयार किया है।
- इसमें भारत-इंडोनेशिया समन्वित गश्त (कॉर्पैट) और ‘समुद्र शक्ति’ जैसे संयुक्त नौसैनिक अभ्यास शामिल हैं।
- गरुड़ शक्ति जैसे द्विपक्षीय रक्षा अभ्यास और कोमोडो जैसे बहुपक्षीय अभ्यास दोनों देशों की रक्षा क्षमताओं को मजबूत करने का अवसर प्रदान करते हैं।
- हिंद-प्रशांत में चीन के बढ़ते प्रभाव को ध्यान रखते हुए दोनों देशों ने अपने रक्षा सहयोग को मजबूत किया है।
- दोनों देशों की नौसेनाओं के हिंद महासागर में संयुक्त गश्त से महत्वपूर्ण समुद्री व्यापार मार्गों की सुरक्षा सुनिश्चित हुई है।
- भारत एवं इंडोनेशिया के बीच रक्षा सहयोग का बढ़ता दायरा एक शांतिपूर्ण व सुरक्षित हिंद-प्रशांत क्षेत्र को बनाए रखने में उनके साझा रणनीतिक हितों को दर्शाता है।
अंतरिक्ष सहयोग: सीमाओं का विस्तार
- भारत और इंडोनेशिया के अंतरिक्ष क्षेत्र में सहयोग वर्ष 1997 से शुरू हुआ। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने इंडोनेशियाई अंतरिक्ष गतिविधियों का समर्थन करने के लिए पापुआ में टेलीमेट्री, ट्रैकिंग एवं कमांड ग्राउंड स्टेशन स्थापित किया है।
- दोनों देश के मध्य अंतरिक्ष साझेदारी से उपग्रह प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष अन्वेषण एवं दूरसंचार में भविष्य की प्रगति के लिए अपार संभावनाएँ हैं।
- इसरो ने इंडोनेशिया के दो उपग्रहों को वर्ष 2025 में लॉन्च करने की घोषणा की है।
स्वास्थ्य एवं शिक्षा सहयोग
- भारत के अपोलो हॉस्पिटल्स ने इंडोनेशिया की नई राजधानी इबू कोटा नुसंतारा (IKN) में हॉस्पिटल बनाने के लिए इंडोनेशिया के मायापाड़ा हॉस्पिटल समूह के साथ साझेदारी की है।
- भारत से इंडोनेशिया को चिकित्सा उपकरणों और फार्मास्यूटिकल्स के निर्यात में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जो उच्च गुणवत्ता वाले भारतीय चिकित्सा उत्पादों की बढ़ती मांग को दर्शाता है।
- भारतीय तकनीकी एवं आर्थिक सहयोग (ITEC) कार्यक्रम और कोलंबो योजना छात्रवृत्ति भारत में इंडोनेशियाई नागरिकों के लिए प्रशिक्षण एवं शिक्षा के अवसर प्रदान करती है।
- भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (ICCR) इंडोनेशियाई छात्रों को भारत में उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए छात्रवृत्ति प्रदान करती है।
बेहतर कनेक्टिविटी एवं पर्यटन
- अगस्त 2023 में मुंबई-जकार्ता, दिल्ली-बाली एवं बैंगलोर-बाली को जोड़ने वाली सीधे उड़ान मार्गों की शुरुआत के साथ भारत एवं इंडोनेशिया के बीच कनेक्टिविटी को बढ़ावा मिला है।
- इससे दोनों देशों के बीच पर्यटन एवं व्यावसायिक यात्रा में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
- वर्ष 2023-24 में बाली में अंतर्राष्ट्रीय पर्यटकों का दूसरा सबसे बड़ा स्रोत भारत था।
भारतीय प्रवासियों की भूमिका
- इंडोनेशिया में भारतीय मूल के लगभग 150,000 लोग रहते हैं, जिनमें से कई 19वीं एवं 20वीं शताब्दी के दौरान प्रवास कर गए थे। भारतीय समुदाय दोनों देशों के बीच सेतु का काम करते हैं।
- इसके अतिरिक्त, इंडोनेशिया में लगभग 14,000 भारतीय नागरिक आईटी, बैंकिंग, इंजीनियरिंग एवं परामर्श सहित विभिन्न क्षेत्रों में संलग्न है जो स्थानीय अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं।
भविष्य में सहयोग की संभावना वाले क्षेत्र
कृषि क्षेत्र : साझा चुनौतियाँ एवं समाधान
वर्तमान में एशिया की दो सबसे बड़ी कृषि अर्थव्यवस्थाएँ, भारत एवं इंडोनेशिया, जलवायु परिवर्तन, आर्थिक सुधार एवं बढ़ती खाद्य कीमतों के कारण खाद्य सुरक्षा चुनौतियों का सामना कर रही हैं।
- साझा चुनौतियाँ : कार्रवाई की आवश्यकता
- मानसूनी वर्षा पर अत्यधिक निर्भर होने के कारण भारतीय कृषि सूखे एवं अनियमित मौसम प्रतिरूप के प्रति संवेदनशील है जबकि इंडोनेशिया को बढ़ते समुद्री जलस्तर और बाढ़ के जोखिम का सामना करना पड़ता है।
- गरीबी एवं असमानता खाद्य असुरक्षा में महत्वपूर्ण कारक बनी हुई है। दोनों देशों के लघु कृषक आर्थिक आघातों, आधुनिक तकनीक तक खराब पहुँच और अस्थिर बाजार कीमतों का सामना करते हैं।
- समाधान
- व्यापार सुविधा एवं बाजार तक पहुँच
- प्रौद्योगिकी हस्तांतरण एवं ज्ञान साझाकरण
- खाद्य विविधीकरण को बढ़ावा देना
- कृषि निगरानी के लिए डिजिटल प्रौद्योगिकियों का लाभ उठाना
- बुनियादी ढाँचा विकास एवं सीमापार सहयोग
ऊर्जा सुरक्षा
वर्तमान में भारत और इंडोनेशिया दोनों ऊर्जा सुरक्षा चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। दोनों देशों की जीवाश्म ईंधन पर अत्यधिक निर्भरता तथा बढ़ती ऊर्जा मांगों को ध्यान में रखते हुए इनके ऊर्जा स्रोतों में विविधता लाना महत्वपूर्ण है।
- ऊर्जा सुरक्षा में साझा चुनौतियाँ
- दोनों देशों की जीवाश्म ईंधन पर अत्यधिक निर्भरता
- ऊर्जा की बढ़ती मांग
- अक्षय ऊर्जा की ओर संक्रमण
- समाधान
- प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और ज्ञान साझाकरण
- नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं में संयुक्त निवेश
- अनुसंधान एवं विकास साझेदारी
- क्षेत्रीय ऊर्जा बाजार एकीकरण
समुद्री सुरक्षा
- दक्षिणी चीन सागर जैसे समुद्री हॉटस्पॉट में तनाव में वृद्धि के साथ ही भारत एवं इंडोनेशिया ने अपने साझा हितों की रक्षा और महत्वपूर्ण समुद्री मार्गों पर माल की मुक्त आवाजाही सुनिश्चित करने के लिए समुद्री सुरक्षा सहयोग की आवश्यकता को पहचाना है।
- यह हिंद-प्रशांत क्षेत्र की सुरक्षा और स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण है।
- वर्ष 2024 में नई दिल्ली में आयोजित भारत-इंडोनेशिया संयुक्त रक्षा सहयोग समिति की बैठक में दोनों देशों ने रक्षा प्रौद्योगिकी, समुद्री सुरक्षा एवं बहुपक्षीय संचालन में अपने सहयोग को गहरा करने के लिए प्रतिबद्धता व्यक्त की।
- इंडोनेशिया की रणनीतिक भूमिका
- हिंद-प्रशांत क्षेत्र में 108,000 किमी. से ज़्यादा लंबी तटरेखा के साथ इंडोनेशिया क्षेत्रीय समुद्री स्थिरता सुनिश्चित करने में अहम भूमिका निभाता है।
- मलक्का जलडमरूमध्य वैश्विक व्यापार के लिए एक रणनीतिक जलक्षेत्र है जिसकी सुरक्षा बनाए रखने की इंडोनेशिया की क्षमता इंडोनेशिया और भारत सहित उसके साझेदारों के लिए महत्त्वपूर्ण है।
- भारत अपनी ‘एक्ट ईस्ट पॉलिसी’ के तहत हिंद-प्रशांत में शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए इंडोनेशिया को एक महत्त्वपूर्ण साझेदार के रूप में मान्यता देता है।
- समुद्री सहयोग को मजबूत करना
- भारत-इंडोनेशिया लंबे समय से नौसैनिक मामलों पर सहयोग करते रहे हैं जो अंतर्राष्ट्रीय समुद्री सीमा रेखा पर उनके संयुक्त अभ्यास और समन्वित गश्ती के माध्यम से परिलक्षित होता है।
- वर्ष 2002 से प्रारंभ हुए इन संयुक्त प्रयासों का उद्देश्य दोनों देशों की नौसेना की तत्परता को बढ़ाना, समुद्री सुरक्षा सुनिश्चित करना और समुद्र में गैरकानूनी गतिविधियों को रोकना है।
- वर्ष 2018 में हुए समझौते ने समुद्री डकैती, अवैध मछली पकड़ने और अनियमित समुद्री गतिविधियों के व्यापक प्रश्न से निपटने के लिए संयुक्त प्रयासों की रूपरेखा तैयार की।
निष्कर्ष
वर्ष 2018 में भारत-इंडोनेशिया के मध्य हस्ताक्षरित व्यापक रणनीतिक साझेदारी निरंतर सहयोग के लिए एक ठोस आधार के रूप में कार्य करती है। भविष्य में भी क्षेत्रीय सुरक्षा, आर्थिक विकास एवं सांस्कृतिक कूटनीति में दोनों देशों के साझा हित भारत की एक्ट ईस्ट नीति की आधारशिला और इंडोनेशिया की विदेश नीति के ढांचे का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बने रहने की संभावना है।