(प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय घटनाक्रम) (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2: द्विपक्षीय, क्षेत्रीय एवं वैश्विक समूह और भारत से संबंधित या/अथवा भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार) |
संदर्भ
जुलाई 2024 के एक कैबिनेट नोट के अनुसार, भारत एवं जापान दोनों देश उत्सर्जन कटौती क्रेडिट को साझा करने के साथ संयुक्त ऋण व्यवस्था की स्थापना के लिए सहयोग ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने की योजना बना रहे हैं।
संयुक्त कार्बन क्रेडिटिंग तंत्र योजना के बारे में
- संयुक्त कार्बन क्रेडिटिंग तंत्र (Joint Carbon Crediting Mechanism) योजना के तहत कार्बन क्रेडिट को ‘एक संरचित प्रक्रिया के माध्यम से आवंटित किया जाएगा’ और ‘इन क्रेडिट को ट्रैक करने के लिए एक रजिस्ट्री होगी’।
- इस योजना के तहत परियोजनाओं को तभी शुरू किया जाएगा जब उन्हें संयुक्त समिति के माध्यम से मंजूरी मिल जाएगी और दोनों सरकारें प्रस्तुत रिपोर्टों के आधार पर जारी किए गए इन क्रेडिट को अधिसूचित करेंगी।
- ये क्रेडिट भारत एवं जापान की संबंधित रजिस्ट्रियों को आवंटित किए जाएंगे और बाद में दोनों देशों के राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (उत्सर्जन कटौती एवं जलवायु प्रभावों के अनुकूलन के लिए एक जलवायु कार्य योजना) के लिए उपयोग किए जा सकते हैं।
संयुक्त ऋण तंत्र (Joint Credit Mechanism : JCM)
- दोनों देशों के मध्य JCM का गठन पेरिस जलवायु समझौते के अनुच्छेद 6.2 के अंतर्गत किया जाएगा।
- इस तंत्र को संबंधित दोनों देशों में ‘प्रासंगिक घरेलू कानूनों एवं विनियमन’ के अनुसार कार्यान्वित किया जाएगा।
- इस तंत्र के अंतर्गत एक संयुक्त समिति की स्थापना की जाएगी जो JCM के कार्यान्वयन के लिए आवश्यक नियम एवं दिशानिर्देश विकसित करेगी, जिसमें परियोजना चक्र प्रक्रियाएँ, कार्यप्रणाली, परियोजना डिजाइन दस्तावेज, निगरानी और तीसरे पक्ष की संस्थाओं का पदनाम आदि शामिल होंगे।
योजना के लाभ
- यह प्रस्ताव निम्न कार्बन एवं स्वच्छ प्रौद्योगिकियों में निवेश आकर्षित करके रोजगार सृजन को बढ़ावा देगा।
- इस तरह की परियोजना के दोनों देशों के लिए वित्तीय निहितार्थ भी होंगे।
- संयुक्त ऋण तंत्र अग्रणी डीकार्बोनाइजिंग प्रौद्योगिकियों, उपकरणों, मशीनरी, उत्पादों, प्रणालियों व बुनियादी ढांचे के प्रसार, शमन कार्यों के कार्यान्वयन आदि में सहायता करेगा।
- जापान संयुक्त ऋण तंत्र के लिए नई प्रौद्योगिकियों के संबंध में तकनीक, वित्त एवं क्षमता निर्माण के हस्तांतरण की सुविधा प्रदान करेगा।